श्रमिक स्पेशल ट्रेन से भूखा प्यासा बरेली पहुंचा 1200 मजदूरों का जत्था

 

‘काम की तलाश में अब दूसरे प्रदेशों मे ंनहीं जाएंगे, गांव में ही मेहनत मजदूरी से दो रोटी खाकर जिंदगी गुजार लेंगे। हमारे साथ ऐसा बर्ताव हुआ, जैसे ये देश हमारा नहीं। हम पर कोई रियायत नहीं हुई। भूखे-प्यासे सैकड़ों किलोमीटर सफर किया और रेलवे ने किराया भी वसूला। ’

साबरमती से मंगलवार शाम श्रमिक स्पेशल ट्रेन से बरेली पहुंचे 1200 मजदूरों ने दबी जुबान अपना ये दर्द बयां किया। करीब चार घंटे देरी से पहुंची ट्रेन के पहुंचने से पहले जोन से लेकर जिले तक के सिविल और रेलवे के आला अधिकारी बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ जंक्शन पहुंच गए।

ट्रेन के कई कोच खाली भी थे। 160 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी प्लेटफॉर्म और सर्कुलेटिंग एरिया में लगाई गई थी, जिससे एक-एक मजदूर पर नजर रहे।

थर्मल स्क्रीनिंग के बाद उन्हें बसों में बैठाया गया। सभी को खाने का पैकेट और पानी की बोतल दी गई। गंजडुंडवारा के लेखराज और एटा के सुरेंद्र, सूरज, राजू ने बताया, अजमेर में सुबह को खाना दिया गया था। इसके बाद न कहीं पानी मिला न ही कहीं भोजन।

ट्रेन पालनपुर, अबु रोड, अजमेर, जयपुर, बांदीकुई, भरतपुर, मथुरा, कासगंज रोकी गई थी। इस बीच कोच से किसी को नहीं उतरने दिया गया। अधिकतर श्रमिकों के साथ तीन साल से लेकर 10 साल तक के बच्चे भी थे।

रेलवे ने वसूला 525 रुपए स्लीपर का किराया
स्पेशल ट्रेन एलएचबी कोच वाली ट्रेन है। जिसमें स्लीपर कोच लगे हैं। 22 कोच वाली इस ट्रेन में 1216 श्रमिकों की लिस्ट रेलवे के द्वारा बरेली जंक्शन प्रशासनिक अधिकारियों को दी गई थी।

जब श्रमिक यहां पर उतरे तो उन्होंने अपने टिकट भी दिखाए। श्रमिकों का कहना था कि इस मुसीबत की घड़ी में उनसे रेलवे ने किराया वसूल लिया। रेलवे ने यात्रियों का जनरल की जगह स्लीपर टिकट बनाया और 525 रुपए वसूले।

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