गुजरात के 10 दलित मज़दूरों ने पिया ज़हर, 62 दिनों से थे हड़ताल पर

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बैंकों के मध्य और उच्चवर्गीय ग्राहकों की परेशानी तो फिर भी ख़बर बन जाती है, सरकार भी कुछ मदद करने में जुट जाती है।

लेकिन गुजरात के इन मजदूरों का क्या जिन्हें 62 दिन आंदोलन के बाद भी कोई सुनवाई न होने, मदद न मिलने के बाद जहर पीने जैसा कदम उठाना पड़ा।

कई सालों तक काम करने के बावजूद भी पूँजीपति और श्रम विभाग की मिलीभगत से ये अभी कैजुअल ही हैं, तिहाई-चौथाई मज़दूरी पर काम करने को मजबूर वो भी महीने में 15 दिन ही।

घटना के अनुसार, गुजरात के सुरेंद्रनगर ज़िले में एक निजी कपंनी में दस साल से काम करते आए 10 दलित मजदूरों ने जहरीली दवाई  (कीटनाशक) पीकर आत्महत्या का प्रयास किया।

कंपनी का नाम धाग्रंधा केमिकल वर्क्स डीसीडब्ल्यू  है।

बता दें कि पिछले कुछ महीनों से कंपनी के 40 से भी ज्यादा मजदूर कंपनी के जरिए उनको निकाल देने और स्थायी न करने के मुद्दे को लेकर हड़ताल पर थे।

हालांकि, अब इन मजदूरों ने खुद को कंपनी में स्थायी न किए जाने का विरोध करते हुए आत्महत्या करने की धमकी दी थी।

उसी धमकी के चलते अचानक 10 मजदूरों ने अपने प्रदर्शन वाली जगह जहर पी लिया।

घटना के बाद 10 मजदूरों को अस्पताल ले जाया गया, जहां से इन सभी मजदूरों को सुरेन्द्रनगर के सिविल अस्पताल में रेफर किया गया।

जानकारी के मुताबिक, दलित श्रमिक पिछले 40 दिनों से कंपनी के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। हालांकि कंपनी की ओर से उनकी मांगों पर सहमति नहीं जताई जा रही थी।

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