23 सफ़ाई कर्मचारी कोरोना पॉज़िटिव, दो की मौत, कर्नाटक की डबल इंजन सरकार नहीं दे पाई सुरक्षा

corona virus testing

बढ़ते कोरोना ख़तरे के बीच केंद्र सरकार ने बिना तैयारी के किए लॉकडाउन से भले ही पल्ला झाड़ लिया हो लेकिन अनलॉक भी उतनी बिना तैयारी से किए जाने के कारण कर्मचारियों में कोरोना के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं।

बेंगलुरू महानगर पालिका में काम करने वाले सफ़ाई कर्मचारियों को कोई सुरक्षा उपकरण न मुहैया कराए जाने से उनकी जान को ख़तरा पैदा हो गया है और अभी तक 23 सफ़ाई कर्मचारी कोरोना पॉज़िटिव पाए गए हैं।

दो दिन पहले दो सफ़ाई कर्मचारियों की अचानक मौत हो गई, जिनकी कोरोना रिपोर्ट बाद में पॉज़िटिव आई है।

इसके बाद बृहद बेंगलुरू महानगर पालिका के अधिकारियों ने दक्षिण और पश्चिमी क्षेत्र में व्यापक जांच की, जिसमें 94 सफ़ाई कर्मचारियों के सैंपल लिए गए थे।

न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मरने वाला पुरुष सफ़ाई कर्मचारी टीबी का मरीज़ भी था। इस सफ़ाई कर्मचारी की पत्नी में भी कोरोना संक्रमण मिला है।

कर्मचारियों के विरोध पर कराए गए टेस्ट

अधिकारियों ने तब सफ़ाई कर्मचारियों की टेस्टिंग की जब दोनों मृतकों के साथ काम कर चुके कर्मचारियों ने सबका टेस्ट कराए जाने की मांग की।

अब मेडिकल टीम के लिए इनके सम्पर्क में आए लोगों की शिनाख़्त करना मुश्किल हो गया है।

महानगर पालिका के एक अधिकारी ने कहा कि बाकी सफ़ाई कर्मचारी काम पर आने से मना कर रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि उन्हें भी कोरोना हो जाएगा।

इतना सब होने के बावजूद 23 सफ़ाई कर्मचारियों के परिजनों का अभी तक टेस्ट नहीं कराया गया है।

बेंगलुरु में कुल 19,000 सफ़ाई कर्मचारी हैं जिनमें 2500 ठेके पर काम करते हैं।

एक सुपरवाइज़र ने अख़बार को बताया कि सफ़ाई कर्मचारियों से लोग न सिर्फ अच्छी खासी दूरी बना रहे हैं बल्कि डर के मारे उन्हें पानी तक नहीं दे रहे।

जैसे ही नए मामले सामने आए लोगों ने सफ़ाई कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया है जिससे ये काम पर आने से कतराने लगे हैं।

 

डबल इंजन की सरकार लेकिन पीपीई किट तक नहीं दे पाई

मोदी सरकार ने लॉकडाउन शुरू होने के पहले सफ़ाई कर्मचारियों को कोरोना वॉरियर्स का तमगा दिया था लेकिन तीन महीने बीत जाने के बाद भी इन्हें सुरक्षा किट तक नहीं दी गई है।

जबकि लॉकडाउन के दौरान भी सफ़ाई कर्मचारियों ने अपना काम जारी रखा था।

बेंगलुरू कर्नाटक की राजधानी है और यहां बीजेपी की सरकार है और नरेंद्र मोदी के वादे यहां भी मज़ाक बन गए हैं।

मोदी राज्य के चुनावों में ये कहते रहे हैं कि केंद्र और राज्य में एक साथ बीजेपी की सरकार डबल इंजन की सरकार होगी और राज्य का विकास तेज़ी से होगा।

लेकिन बीजेपी राज्यों में कोरोना का खतरा उठाकर भी काम करने वालों को न तो ठीक से पीपीई किट दी गई है, न समय पर सैलरी मिलती है बल्कि इसको लेकर आवाज़ उठाने वालों पर मुकदमा ठोंक दिया जाता है।

विपक्षी दल डबल इंजन की कर्नाटक सरकार से अब जवाब मांग रहे हैं कि कोरोना से उनकी तैयारी कहां गई।

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