डीयू के बाद अब अम्बेडकर यूनिवर्सिटी में 40 सफ़ाई कर्मियों को निकाला

(दिल्ली, मई 2018) दिल्ली विश्वविद्यालय के अब अम्बेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली (एयूडी) में ठेका सफ़ाई कर्मचारियों को मनमाने और ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से हटा दिया गया है।

अम्बेडकर विश्वविद्यालय ने 40 ठेका सफ़ाई कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी, जिसके ख़िलाफ़ कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया।

इसी तरह दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक मई 2018 को कई साल से काम कर रहे 150 सफ़ाई कर्मचारियों की नौकरी अचानक ख़त्म कर दी थी।

अम्बेडकर विश्वविद्यालय ने चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को एनजीओ ‘सुलभ इंटरनेशनल’ को आउटसोर्स कर दिया था।

अंग्रेज़ी अख़बार द ट्रिब्यून के अनुसार, सुलभ इंटरनशनल कर्मचारियों को ईएसआई और पीएफ़ की सुविधाएं नहीं देता था।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने नया टेंडर जारी किया जिसके बाद ये काम भगवती इंटरप्राइजेज़ को दे दिया गया।

नई एजेंसी ने इस शर्त पर ईएसआई और पीएफ़ सुविधाएं देने का वादा किया कि वो अपनी ओर से भर्तियां करेगी।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने तय किया था कि इन वर्करों को अपने तीन कैंपसों में समायोजित करेगा, कश्मीरी गेट, करमपुरा और लोधी रोड. सभी 10 महिला कर्मचारी कश्मीरी गेट कैंपस में ही रहेंगी।

सात साल से काम कर रहे थे

टर्मिनेट किए गए वर्करों में से एक सनी ने अख़बार को बताया कि वो पिछले सात-आठ सालों से कम कर रहे थे, लेकिन अचानक उन्हें निकाल दिया गया।

एक वर्कर प्रमोद कुमार ने बताया, “हम सभी ठेके पर काम कर रहे थे। पहले हमें सरकारी छुट्टियां भी नहीं दी जाती थीं। विरोध प्रदर्शन के बाद हमें छुट्टियां दी गईं।”

प्रमोद कुमार ने तीन साल पहले यहां काम करना शुरू किया था।

सनी ने कहा कि उन्हें कई बार उत्पीड़न का भी सामना करना पड़ा। प्रशासन का बर्ताव भी ठीक नहीं है।

वो कहते हैं, “हम सभी बहुत कम पढ़े हैं लेकिन हम अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं ताकि उन्हें ये दिन न देखना पड़े।”

दलित बहुजन आदिवासी कलेक्टिव ने डिप्टी रजिस्ट्रार पर इन वर्करों के साथ बुरा बर्ताव करने का आरोप लगाया है। हालांकि उन्होंने इसका खंडन किया है।

पिछले एक साल से विश्वविद्यालय के कुछ छात्र हाथ से सफ़ाई करने के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं और सुरक्षा उपकरण के बिना सीवर की सफ़ाई बंद करने की मांग कर रहे हैं।

डिप्टी रजिस्ट्रार भी नहीं  मानते सीवर सफ़ाई को मैनुअल स्कैवेंजिंग

एक पीएचडी स्टूडेंट अनूप ने बताया कि डिप्टी रजिस्ट्रार से जब इस बारे में कहा गया तो उनका कहना था कि सीवर और मैनहोल की सफ़ाई हाथ से मैला ढोने की श्रेणी में नहीं आता है।

रजिस्ट्रार एमएस फ़ारुक़ी का कहना है, “ये एक जनसहभागिता वाला विश्वविद्यालय है। हमने सुलभ इंटरनेशनल से भी कई बार कहा कि वो वर्करों को अन्य सुविधाएं दे।”

“हम पिछले तीन महीने से टेंडर के बारे में पुरानी एजेंसी को सूचना दे रहे थे। नई एजेंसी ने शनिवार से ही नए वर्करों के साथ काम करना शुरू कर दिया है। हम कोशिश कर रहे हैं कि उन सभी कर्मचारियों के लिए कोई रास्ता निकल सके।”

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