हसदेव अरण्य: घाटबर्रा की ग्रामसभा ने कोयला खदान के लिए जमीन नहीं देने का फैसला किया

https://www.workersunity.com/wp-content/uploads/2022/05/hasdeo-forest.jpg

छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र में परसा ईस्ट केते बासेन (PKEB) कोयला खदान के दूसरे चरण में बुधवार को सरगुजा जिले के उदयपुर तहसील में घाटबर्रा की ग्रामसभा ने भूमि अर्जन कानून 2013 की धारा 41(3) के तहत खनन के लिए जमीन नहीं देने का फैसला लिया है।

इस क्षेत्र के कोयला खदान राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आबंटित हैं जिसका संचालन अदानी ग्रुप करती है।

छत्तीसगढ़ में फिलहाल काँग्रेस की सरकार है और यह भूमि अर्जन कानून भी UPA सरकार के समय ही बना था।

वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें

साल 2018 में छत्तीसगढ़ चुनाव से पहले राहुल गांधी ने राज्य दौरे में वादा किया था कि उनकी सरकार कॉर्पोरेट के पंजों से जल, जंगल, जमीन को बचाएगी।

लेकिन सरकार बनते ही, पंचायती राज का मखौल बनाते हुए बिना ग्रामसभा की सहमति के PKEB में कोयला खनन के लिए मंजूरी दे दी।

इससे पहले प्रभावित परिवारों के सर्वे, जनगणना, भूमि अर्जन, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन पर सुझाव के लिए कई बार बैठक हुई लेकिन कोई सहमति नहीं बनने की वजह से ग्रामसभा  ने जमीन नहीं देने का फैसला किया।

सरकार और कॉर्पोरेट की सांठ-गांठ

AdaniWatch के मुताबिक हसदेव में पहले से खनन पर रोक के लिए उसे “no go zone” करार दिया गया था और कोयला मंत्रालय के वन सलाहकार समिति का भी यही मानना था कि वहां खनन नहीं होना चाहिए।

UPA शासन के समय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने इसके बावजूद खदान को मंजूरी दे दी।

National Green Tribunal (NGT) ने इस मंजूरी को दरकिनार कर ऑर्डर निकाला था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने stay लगा दिया था।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़े कोयला घोटाले के तहत इन खदानों का आबंटन निरस्त कर दिया था।

मोदी सरकार ने इन सब के बावजूद संदिग्ध परिस्थितियों में इन खदानों का फिर से आबंटन कर दिया।

हसदेव अरण्य के घने जंगल हाथियों, दो नदियों और कई दुर्लभ पशु पक्षियों की जीवनरेखा है जहां कोयला खनन के लिए सिरे से पेड़ काटे जा रहे हैं।

(वर्कर्स यूनिटी के फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर सकते हैं। टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.