भारी बारिश में भी जंतर-मंतर पर डटे रहे किसान, ”किसान संसद” के पांचवे दिन हुई कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग पर बहस

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दिल्ली में बुधवार सुबह तेज बारिश के बीच  जंतर-मंतर पर किसानों की संसद जारी रखी। धरना स्थल पर बरसात और जलभराव के बाद भी किसान अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते रहे। किसानों का कहना है कि हम ठंड हो बारिश पीछे हटने वाले नहीं है।

शहर में होती तेज बारिश और सड़कों पर जाम के चलते किसान दोपहर 12 बजे जंतर-मंतर पर पहुंचे। इसके बाद उन्होंने ‘किसान संसद’ की कार्यवाही शुरू की हुई।

‘किसान संसद’ की कार्यवाही के बीच चले सत्र में अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक तरीके से केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2020 में लाए गए कॉन्ट्रेक्ट खेती कानून पर चर्चा हुई।

दो सत्रों में चली चर्चा में यह बात सामनेआई कि चुनिंदा कॉरपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए मोदी सरकार कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का कानून लेकर आई है। भाजपा सरकार कॉरपोरेट घरानों के साथ मिलकर काम करती है। इन्हीं घरानों के दबाव में वे ऐसे काले कृषि कानून लेकर आई है। सरकार छोटे और गरीब किसानों की जमीन अंबानी और अडानी को देना चाहती है।

किसानों ने कहा कि आज सरकार संसद के अंदर और बाहर किसानों से चर्चा करने से बचते हुए दिखाई दे रही है। मोदी सरकार आज डब्ल्यूटीओ और चुनिंदा उद्योगपतियों की गुलाम बन चुकी है। आज किसानों की लड़ाई देश के प्रमुख कॉरपोरेट घरानों, डब्ल्यूटीओ से है। शाम को सरकार के इस काले कानून के खिलाफ प्रस्ताव भी पेश किया गया।

धरना स्थल पर बरसते पानी और भारी जलजमाव के बावजूद किसान टस से मस नहीं हुए। वे प्रदर्शन स्थल पर ही अपनी मांगों को लेकर धरना देते रहे।

बरसते पानी के बीच किसानों ने टेंट में पहले संसद को चलाया। वहीं इसके बाद किसानों ने टेंट में लंगर लिया। इसके बाद फिर से संसद के दूसरे सत्र की कार्यवाही शुरू की गई।

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