करनाल लघु सचिवालय के सामने डटे हैं किसान, सड़क पर बिताई रात

karnal farmers protest

करनाल में महापंचायत के बाद से किसान मिनी सेक्रेटेरियट के बाहर डटे हुए हैं। मिनी सेक्रेटेरिएट में मंगलवार को 15 किसान नेताओं के प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रशासन की वार्ता हुई थी। प्रशासन की ओर से डीसी निशांत कुमार यादव और एसपी गंगाराम पूनिया शामिल हुए। करीब दो घंटे वार्ता चली, लेकिन बेनतीजा रही। इसके बाद से ही किसान मिनी सेक्रेटेरियट के बाहर धरना प्रदर्शन पर बैठे हुए हैं।

किसानों और प्रशासन की बैठक में करनाल के एसडीएम रहे आयुष सिन्हा का मामला प्रमुख तौर पर गरमाया रहा। 28 अगस्त को करनाल में ही हरियाणा पुलिस और किसानों के बीच संघर्ष हुआ था। पुलिस के लाठीचार्ज में किसान ज़ख्मी भी हो गए थे जिसके बाद एक किसान की मौत हो गई। हरियाणा पुलिस ने कहा कि किसान की मौत में पुलिस कार्रवाई की कोई भूमिका नहीं है। लेकिन तब तक करनाल के एसडीएम रहे आयुष सिन्हा का एक वीडियो वायरल हो गया। इसमें वो पुलिस के जवानों को प्रदर्शनकारियों के सिर तोड़ने की हिदायत देते देखे गए।

बाद में एसडीएम का तबादला कर दिया गया. उन्हें नागरिक संसाधन सूचना विभाग (Citizen Resources Information Department यानी CRID) में अतिरिक्त सचिव बनाया गया है। हरियाणा के सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट परिवार पहचान पत्र को तैयार करने का काम CRID ही करता है। इससे किसान और नाराज हो गए। इसे लेकर 30 अगस्त को करनाल में किसान महापंचायत भी हुई थी।

किसानों ने तीन मांगें रखी थीं-

# लाठीचार्ज के ज़िम्मेदार अधिकारियों पर मुकदमे दर्ज हों।

# घायल किसानों को 2-2 लाख का मुआवज़ा मिले।

# मृतक किसान के लिए 25 लाख का मुआवज़ा और परिवार से एक सदस्य के लिए नौकरी दी जाए।

पंचायत ने चेतावनी दी थी कि अगर ये मांगें नहीं मानी गई तो 7 सितंबर को करनाल अनाज मंडी में एक बड़ी महापंचायत होगी, और मिनी सेक्रेटेरियट का अनिश्चितकाल के लिए घेराव किया जाएगा। किसानों की सभी मांगें मानी नहीं गईं, ऐसे में 7 सितंबर को करनाल में किसान महापंचायत हुई। जब प्रशासन ने देखा कि बड़ी संख्या में किसान जुट रहे हैं, तब किसानों को बातचीत के लिए बुलाया गया।

टिकैत बोले- जब तक न्याय नहीं, यहीं टिकेंगे
बैठक में प्रशासन की तरफ से कहा गया कि आयुष सिन्हा के खिलाफ जांच में एक महीना लगेगा। इस पर वार्ता बिगड़ गई। इसके बाद किसानों के जत्थे मिनी सेक्रेटेरियट की तरफ कूच कर गए। किसानों को रोकने के लिए पुलिस की तरफ से पानी की बौछारें छोड़ी गईं। किसान नेता राकेश टिकैत की तरफ से टि्वटर पर दावा किया गया कि पुलिस ने किसान नेताओं को हिरासत में लिया था, लेकिन फिर छोड़ दिया।

प्रशासन की लाख कोशिश के बावजूद किसान मिनी सेक्रेटेरिएट के सामने धरने पर बैठ गए। रात में यहीं पर किसानों के लिए लंगर का आयोजन किया गया। फिलहाल प्रदर्शन जारी है। 7 सितंबर की देर रात किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट करके बताया कि उन्होंने कपड़े और खाने का सामान मिनी सेक्रेटेरियट पर मंगा लिया है। जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक यहीं डटे रहेंगे।

करनाल के अलावा जींद में भी किसानों ने प्रदर्शन किया। 7 सितंबर को जींद-चंडीगढ़, जींद-करनाल और जींद-दिल्ली हाईवे को जाम कर दिया गया। लेकिन 8 सितंबर की सुबह करनाल में हालात सामान्य होने के चलते जींद के सभी हाईवे खोल दिए गए। हालांकि किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर करनाल में धरने पर बैठे किसानों के साथ कोई अप्रिय घटना हुई तो हरियाणा जाम कर दिया जाएगा।

अभी इंटरनेट बंद रहेगा
प्रशासन ने पहले ही करनाल के अलावा कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद और पानीपत में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी थीं। पहले 7 सितंबर तक इंटरनेट सेवाएं बंद रखने का आदेश दिया गया था। अब इसकी समयसीमा और बढ़ा दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट से एक्सपर्ट रिपोर्ट रिलीज़ करने की मांग
आपको याद होगा कि 11 जनवरी को कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी बनाई थी, जो सभी स्टेकहोल्डर्स से बात करके सुप्रीम कोर्ट को एक रिपोर्ट सौंपने वाली थी। इस कमेटी में तीन एक्सपर्ट थे- अनिल घणावत, अशोक गुलाटी, प्रमोद जोशी. कमेटी ने कहा था कि वो 85 किसान संगठनों से मिले हैं। मार्च के आखिर में खबर आई कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है। लेकिन इसके बाद कुछ नहीं हुआ। कमेटी के सदस्य अनिल घणावत ने ये दावा करते हुए बताया कि अब उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश को एक चिट्ठी लिखी है। इसमें उन्होंने कहा है कि न रिपोर्ट सार्वजनिक की जा रही है और न ही अदालत में इस पर सुनवाई हो रही है। घणावत ने ये भी जोड़ा कि किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों का निराकरण नहीं हुआ है और इससे उन्हें पीड़ा पहुंची है।

(साभार- लल्लनटाप)

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