प्रदर्शन स्थलों पर किसान पक्के मकान न बनाएंः संयुक्त किसान मोर्चा

farmers making permanent house at tikari

दिल्ली के बॉर्डरों पर प्रदर्शनकारियों की ओर से पक्के मकान बनाए जाने की ख़बरों के बीच संयुक्त मोर्चा ने बयान जारी कर कहा है कि प्रदर्शन स्थलों पर स्थायी मकान का निर्माण न किया जाए। दो दिन पहले संयुक्त मोर्चे की बैठक हुई थी जिसमें ये  फैसला लिया गया।

बीते दो दिन से ऐसी ख़बरें आ रही थीं कि किसान प्रदर्शनकारी टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर सीमेंट के पक्के मकान बना रहे हैं। गौरतलब है कि दिल्ली की भीषण गर्मी को देखते हुए किसानों ने फूस की झोपड़ी बनानी शुरू कर दी है और कई जगह स्थाई स्ट्रक्चर भी खड़े किए गए हैं।

भयंकर ठंड, बारिश और अब गर्मी से सामना कर रहे प्रदर्शनकारी किसान इस बात को मानकर चल रहे हैं कि ये आंदोलन लंबा चलने वाला है क्योंकि मोदी सरकार अब पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा कर किसान आंदोलन की ओर से आँखें मूंद चुकी है।

पश्चिम बंगाल में संयुक्त किसान मोर्चे ने बीजेपी के विरोध में रैलियां कर नो वोट फॉर बीजेपी अभियान की जो शुरुआत की है, उसमें तेजी आई है।

रविवार को संयुक्त मोर्चे के नेताओं ने सिंगुर और आसनसोल में किसान रैलियां की जिसमें भारी भीड़ जुटी। SKM के कई नेता पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के लिए गए है, वहां मतदाताओं से आग्रह किया जा रहा है कि वे किसान विरोधी भाजपा को वोट न दें।

संयुक्त किसान मोर्चे ने एक बयान जारी कर कहा है कि 26 जनवरी के ट्रैक्टर परेड के दौरान अलग अलग मामलों में विभिन्न एफआईआर में गिरफ्तार 151 किसानों में से 147 अब तक ज़मानत पर रिहा हो गए हैं। रिहा किए गए लोगों में से कई धरना स्थलों पर वापस आ गए हैं।

4 किसानों (पंजाब से तीन और हरियाणा से एक) की ज़मानत का इंतज़ार है। पंजाब के रंजीत सिंह, जिन्हें 29 जनवरी 2021 को गिरफ्तार किया गया था, जिनकी जमानत अर्जी को अस्वीकार कर दिया गया था, अब उच्च न्यायालय में आवेदन करेंगे।

इंग्लैंड के हाउस ऑफ कॉमन्स में किसान आन्दोलन पर बहस के बाद, ऑस्ट्रेलिया के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में एक बहस हो सकती है जो एक याचिका द्वारा इस मामले को सदन में उठा सकती है।

ओडिशा में किसान यात्रा रायगडा जिले के गुनूपुर में पहुंची। इस बीच, 7 अलग-अलग मार्गों पर 7 किसान रथों पर 7 किसान यात्रा रविवार को चौथे दिन में प्रवेश कर गयी है। ये यात्राएं पूरे बिहार में किसानों को जागरूक करेगीं।

रविवार को सिंघु बॉर्डर पर थिएटर ग्रुप “द पार्टिकल कलेक्टिव” ने एक नाटक “दाना दाना इंकलाब” प्रस्तुत किया। इस नाटक में किसान आंदोलन के गीतों को भी सम्मिलित किया गया। कलाकारों ने कला के असली अर्थो को सार्थक करते हुए सरकारों के हमलों पर कटाक्ष रखे व किसान आंदोलन को खुला समर्थन दिया।

उत्तराखंड से शुरू हुई किसान मजदूर जागृति यात्रा का रविवार को नौवां दिन था। शाहजहांपुर जिले के खुटार से शुरू हुई यह यात्रा अब तक 600 किलोमीटर लंबा सफर तय कर चुकी है। यात्रा 300 से अधिक गांव कस्बे एवं 20 से अधिक शहरों से होकर गुजर चुकी है।

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