लाल किला नही अब सिर्फ दिल्ली बाॅर्डर पर निकलेगा ट्रैक्टर मार्च

tractor march

भारतीय किसान यूनियन का ऐलान, लाल किला नहीं अब सिर्फ दिल्ली बॉर्डर पर निकलेगा ट्रैक्टर मार्च

26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली को लेकर किसान संगठन की तरफ से महत्वपूर्ण घोषणा की गई है।प्रदर्शनकारी किसान 26 जनवरी को लाल किले पर ट्रैक्टर रैली नहीं निकालेंगे।

भारतीय किसान यूनियन की तरफ से यह कहा गया है कि अब किसान दिल्ली बॉर्डर पर ही रैली निकालेंगे।
भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल समूह) के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने किसानों को एक खुले पत्र में साफ कर दिया है कि ट्रैक्टर मार्च केवल हरियाणा-नई दिल्ली बॉर्डर पर होगा।

उन्होंने बताया कि हमारा लाल किले पर ट्रैक्टर रैली निकालने का कोई इरादा नहीं है।
राजेवाल ने उन किसानों को भी अलगाववादी तत्वों से दूर रहने को कहा है जो लाल किले में बाहर ट्रैक्टर मार्च निकालने की कोशिश कर रहे थे।
बृहस्पतिवार को ट्रैक्टर परेड के लिए दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर 50-60 हजार ट्रैक्टर पहुंच गए।
किसानों का कहना है कि ट्रैक्टर रैली शांतिपूर्ण तरीके से निकालेंगे।

गौरतलब है कि केंद्र ने दिल्ली पुलिस के जरिए सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर-ट्रॉली वाहन मार्च या किसी भी रूप में प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग की गई थी।

केंद्र ने कहा, ‘समारोह में किसी तरह की बाधा न केवल कानून-व्यवस्था और सार्वजनिक हित के खिलाफ होगा, बल्कि राष्ट्र के लिए एक बड़ी शर्मिदगी भी होगी।‘

पूरे विश्व में जाएगा गलत संदेश

केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चैधरी ने कहा कि गणतंत्र दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है, अगर कोई उसमें बाधा डालेगा तो पूरे विश्व में इसका गलत संदेश जाएगा।

सरकार का किसान यूनियन के नेताओं से आग्रह है कि वे इसे समझें। अभी भी उन्हें इस निर्णय को वापस ले लेना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैं किसान भाईयों से कहना चाहूंगा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाई है वह निष्पक्ष है।

उसके सामने अपना मुद्दा रखें ताकि कोर्ट समय पर निर्णय कर सके। अब जो भी फैसला होगा सुप्रीम कोर्ट के अंदर होगा। सरकार सिर्फ आग्रह कर सकती है।

किसानों की भावनाओं को समझने की जरूरतः शिवसेना

26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की निर्धारित ट्रैक्टर रैली का जिक्र करते हुए शिवसेना के मुखपत्र सामना में कहा गया कि अगर सरकार चाहती है कि स्थिति और न बिगड़े, तो किसानों की भावनाओं को समझने की जरूरत है।

उसमें कहा गया कि इस प्रदर्शन में अब तक 60 से 65 किसानों की जान जा चुकी है और देश ने आजादी के बाद अब तक ऐसा अनुशासित आंदोलन नहीं देखा है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.