शाहजहांपुर/खंदौरा बॉर्डर: पुलिस को पीछे हटने पर मज़बूर किया आंदोलनकारियों ने: भाग-3

farmers at shahjahanpur border

By एस. वी. सिंह

तीसरा मोर्चा: शाहजहांपुर/खंदौरा बॉर्डर

इस अभूतपूर्व किसान आन्दोलन का तीसरा मोर्चा दिल्ली-जयपुर हाई वे नंबर 8  पर दिल्ली से 114 किमी दूर खंदौरा गाँव के पास है जहाँ हरियाणा के रिवाड़ी और राजस्थान के अलवर जिले कि सीमाएं मिलती हैं।

मौजूदा किसान आन्दोलन पंजाब और हरियाणा के दिग्भ्रमित किसानों का ही आन्दोलन हैटुकड़खोर मीडिया-माफिया की मदद से चलाए जा रहे सरकारी दुष्प्रचार की हवा निकालने का श्रेय इसी मोर्चे को जाता है।

ना सिर्फ़ हरियाणा और राजस्थान बल्कि गुजरात और महाराष्ट्र के किसान यहाँ डेरा डाले हुए हैं। एक बात नोट करने वाली है कि हरियाणा की खट्टर सरकार ने ना सिर्फ़ अम्बाला से सिन्धु बॉर्डर तक अनेकों जगह किसानों पर ज़ुल्म किए, लाठियां भांजीं,कुल्फी ज़माने वाली ठण्ड में ठन्डे और गंदे पानी की बौछार की बल्कि गाँव-गाँव में किसानों को आन्दोलन में शरीक करने से बलपूर्वक रोका जा रहा है।

ऐसा किसी भी दूसरे राज्य में नहीं हो रहा इसीलिए खट्टर सरकार के विरुद्ध किसानों का गुस्सा चरम पर है।

खुद मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों-संत्रियों को खूब दौड़ाया जा रहा है, गांवों में घुसने भी नहीं दिया जा रहा है।

इस बॉर्डर पर भी शुरुआत में जब किसानों की तादाद कम थी और उन्होंने आधा ही हाईवे रोका था, उनपर पुलिस ने हमला किया था।

लेकिन फिर जैसे ही उनकी तादाद बढ़ती गई, उन्होंने पूरे हाईवे पर क़ब्ज़ा कर लिया, अब पुलिस का रवैया भी बदल गया।

जैसे-जैसे आंदोलनकारियों की संख्या इस बॉडर बढ़ती गई पुलिसिया जुल्म भी कम होता चला गया।

सी पी एम से सम्बद्ध किसान सभा की महाराष्ट्र से आई टुकड़ी ने मोर्चे को और मज़बूती दी

इन अनुशासित और दृढनिश्चयी किसानों ने पिछले साल नासिक से मुंबई तक एक शानदार मार्च किया था।

मुम्बई महानगर के लोग ये जानकर दंग रह गए थे कि 25000 से भी ज्यादा लोगों का मोर्चा रातों-रात आज़ाद मैदान पहुँच गया और लोगों को मालूम भी नहीं पड़ा।

किसानों ने रात 1 बजे महानगर में प्रवेश किया और सुबह 6 बजे से पहले सभा स्थल पहुँच गए। और न सिर्फ़ महाराष्ट्र सरकार से अपनी मांगें जीती बल्कि मुम्बईकरों का दिल भी जीत लिया।

जिसे भी मालूम पड़ा वो इन बहादुर किसानों के लिए खाने-नाश्ते, पानी के पैकेट लेकर दौड़ पड़ा और इनके साथ कुछ दूर ज़रूर चला।

इन किसानों के शाहजंहाँपुर बॉडर पहुँचते ही उपस्थित जन सागर ने जोरदार स्वागत किया और उससे किसानों का ये दक्षिण पश्चिमी मोर्चा सशक्त हो गया।

उनके आने के बाद से ही किसानों ने 6 लेन वाला ये पूरा हाईवे अपने क़ब्ज़े में ले लिया।

हालाँकि 30 दिसम्बर को यहाँ से एक चिंताजनक घटना की रिपोर्ट पढ़ने को मिली जब लगभग 20 ट्रेक्टरों पर सवार किसानों का धैर्य जवाब दे गया और वे लोग इस बॉर्डर पर लगे पुलिस बैरिकेड्स को साइड धकेलकर दिल्ली की दिशा में आगे बढ़ गए।

जिन्हें फिर 16 किमी दूर अगले पुलिस बैरीकेड्स पर रोका गया और उनपर आंसू गैस के गोले भी दागे गए।

किसान आन्दोलनकारियों को एक बात दिमाग में रखनी बहुत ज़रूरी है कि तैश में आकर लिया गया कोई भी फैसला सरकार को इस शानदार आन्दोलन पर टूट पड़ने का बहाना दे सकता है, जिसकी की उसे तलाश है।

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