मोदी सरकार की मुसीबतें बढ़ीं, टैक्सी यूनियन करेगा दिल्ली एनसीआर जाम

taxi union

किसानों के गुस्से से सांसत में आई मोदी सरकार की मुसीबतें आने वाले समय में और बढ़ सकती हैं। सोमवार को टैक्सी यूनियन ने दिल्ली एनसीआर में अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी देते हुए केंद्र सरकार को दो दिनों की मोहलत दी है।

ग़ौरतलब है कि पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसान पहले से ही दिल्ली को घेरे बैठे हैंं और उन्होंने गृहमंत्री के विवादास्पद वार्ता प्रस्ताव को ठुकार दिया है और दिल्ली से बाहर जाने वाले सभी रास्तों को जाम करने की चेतावनी दी है।

दिल्ली के वकीलों ने भी तीन कृषि क़ानूनों के रद्द करने के किसानों की मांग का समर्थन किया है और अब टैक्सी यूनियन ने किसानों की मांग का भी समर्थन किया है।

टैक्सी यूनियन ने कहा है कि अगर किसानों की बात नहीं सुनती है निजी कैब, टैक्सी, ऑटो और ट्रक ड्राइवर दिल्ली एनसीआर में बेमियादी हड़ताल पर चले जाएंगे।

किसानों ने अमित शाह के प्रस्ताव को खारिज़ करते हुए कहा कि वे आर पार की लड़ाई के लिए दिल्ली आए हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, उनका धरना जारी रहेगा।

आंदोलनकारी किसान सोनीपत की ओर से पड़ने वाले दिल्ली के सिंघु बॉर्डर को घेर कर बैठे हुए हैं।

प्रतिनिधियों ने रविवार को मीडिया कर्मियों से कहा कि “मोदी अपने मन की बात रेडियो कार्यक्रम में कह रहे हैं कि उन्होंने किसानों के भले के लिए नए कृषि क़ानून बनाए हैं, तो वो बताएं कि किसी किसान या किसान संगठन से बात करके उन्होंने ये काले क़ानून बनाए?”

किसान नेताओं ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके ‘मन की बात’ सुनें।’

एक किसान नेता ने एनडीटीवी पर बात करते हुए कहा कि ‘अमित शाह वार्ता करने से पहले बुरारी मैदान में सभी किसानों को इकट्ठा होने की शर्त रखते हैं। असल में ये उनकी शर्त परोक्ष रूप से किसानों को धमकी है।’

इस बीच दिल्ली के चारों और किसानों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है। फरीदाबाद की ओर से हरियाणा के किसान टिकरी बॉर्डर घेरे बैठे हैं तो यूपी के किसान गाज़ीपुर के पास दिल्ली गेट पर जमा हो रहे हैं।

इन विषम परिस्थितियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के दिल्ली के किसानों को छोड़ कर गुजरात, वाराणसी घूमने और हैदराबाद में स्थानीय निकायों के चुनाव प्रचार करने जाने की तीखी आलोचना हो रही है।

कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर द्वारा किसानों से बातचीत के लिए तीन दिसम्बर का समय दिए जाने की भी कड़ी आलोचना हो रही है। सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि मोदी, शाह और तोमर को तीन दिसम्बर से पहले इसलिए फुर्सत नहीं है क्योंकि उन्हें बीजेपी की प्रचार के लिए हैदराबाद जाना है।

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