रामनगर में बीजेपी विधायक का घेराव कर कृषि क़ानूनों की प्रतियां जलाईं

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संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले, भारी पुलिस बल के बीच, किसानों तथा विभिन्न जन संगठनों के कार्यकर्ताओं ने रामनगर विधायक दीवान सिंह बिष्ट के कार्यालय का घेराव कर तीन कृषि काले कानूनों की प्रतियों को जलाकर मोदी सरकार के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया।

विधायक कार्यालय के बाहर हुई सभा को संबोधित करते हुए किसान नेता ललित उप्रेती ने कहा कि 5 जून, 2020, को कोरोना लॉक डाउन के दौरान मोदी सरकार ने आपदा को अवसर के रूप में इस्तेमाल करते हुए गैर संवैधानिक तरीके से जबरन तीन कृषि काले कानून एक अध्यादेश के जरिये देश के किसानों पर थोप दिए थे।

किसान नेता परमजोत सिंह उर्फ पम्मा ने कहा कि ये 3 कृषि कानून देश के किसानों के ही नहीं बल्कि हर उस व्यक्ति के खिलाफ हैं जो देश में अन्न खाकर जिंदा है। इन कानूनों के द्वारा मोदी सरकार ने देश के कॉर्पोरेट घरानों तथा बहुराष्ट्रीय निगमों को कृषि उत्पाद, दूध, मांस-मछली आदि की जमाखोरी तथा काला बाजारी करने की खुली छूट दे दी है।

महिला एकता मंच की संयोजक ललिता रावत ने चुने हुए जनप्रतिनिधियों पर कटाक्ष किया कि हम विधायक और सांसद इसलिए चुनते हैं कि वे संसद और विधानसभाओं में जाकर जनता के हित में कानून और नीतियां बनायेंगे परन्तु भाजपा के सांसद और विधायक बेशर्मी के साथ किसानों और आम जनता के खिलाफ नीतियां बना रहे है।

महेश जोशी ने कहा कि सरकार की अस्पतालों में बदइंतजामी के कारण आज देश में लाखों लोग कोरोना के कारण दम तोड़ चुके हैं। उन्होंने जनता से मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष करने का आह्वान किया।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता ज्योति ग्रेवाल ने कहा कि जनता के वोटों के दम पर चुने गए जनप्रतिनिधि जनता के खिलाफ नीतियां बना रहे हैं इसलिए मोर्चा को भाजपा विधायकों एवं सांसदों के कार्यालयों के समक्ष तीन काले कृषि कानूनों की प्रतियां फूंक कर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। उन्होंने कहा कि जनता यदि उन्हें वोट देकर कुर्सी पर बैठा सकती है तो उन्हें उतार भी सकती है।

प्रदर्शन कार्यक्रम में सुखविंदर सिंह, मुनीष कुमार, तारा ग्रेवाल, बलदीप सिंह, रमनदीप संधू, लखजीत सिंह, प्रवीण काशी, तारा पपनै, राजेन्द्र, दीपक, उषा पटवाल, चंद्रा, माया,नीमा, कौशल्या, सरस्वती समेत बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे।

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