संयुक्त किसान मोर्चा चला अब यूपी, लखीमपुर खीरी में पक्का मोर्चा लगाने का ऐलान

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शनिवार को दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में मोर्चे के कार्यक्रम व भविष्य की दिशा पर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। मोर्चे ने घोर निराशा और रोष व्यक्त किया कि भारत सरकार के 9 दिसंबर के जिस पत्र के आधार पर हमने मोर्चे उठाने का फैसला किया था, सरकार ने उनमें से कोई वादा पूरा नहीं किया है।

आंदोलन के दौरान हुए केस को तत्काल वापिस लेने के वादे पर हरियाणा सरकार ने कुछ कागजी कार्यवाई की है लेकिन केंद्र सरकार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल सरकार की तरफ से नाममात्र की भी कोई भी कार्यवाई नहीं हुई है। बाकी राज्य सरकारों को केंद्र सरकार की तरफ से चिट्ठी भी नहीं गई है।

शहीद किसान परिवारों को मुआवजा देने पर उत्तर प्रदेश सरकार ने कोई कार्यवाही शुरू नहीं की है। हरियाणा सरकार की तरफ से मुआवजे की राशि और स्वरूप के बारे में कोई घोषणा नहीं की गई है।

MSP के मुद्दे पर सरकार ने न तो कमेटी के गठन की घोषणा की है, और न ही कमेटी के स्वरूप और उसकी मैंडेट के बारे में कोई जानकारी दी है।

किसानों के साथ हुए इस धोखे का विरोध करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने फैसला किया है कि आगामी 31 जनवरी को देश भर में “विश्वासघात दिवस” मनाया जाएगा और जिला और तहसील स्तर पर बड़े रोष प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे।

लखीमपुर खीरी हत्याकांड में सरकार और भारतीय जनता पार्टी के बेशर्म रवैया से स्पष्ट है कि उसे सार्वजनिक जीवन की मर्यादा की कोई परवाह नहीं है। एसआईटी की रिपोर्ट में षड्यंत्र की बात स्वीकार करने के बावजूद भी इस कांड के प्रमुख षड्यंत्रकारी अजय मिश्र टेनी का केंद्रीय मंत्रिमंडल में बना रहना किसानों के घाव पर नमक छिड़कने का काम है।

दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश पुलिस इस घटना में नामजद किसानों को केसों में फंसाने और गिरफ्तार करने का काम मुस्तैदी से कर रही है। इसका विरोध करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा लखीमपुर खेरी में एक पक्के मोर्चे की घोषणा करेगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने यह स्पष्ट किया है कि “मिशन उत्तर प्रदेश” जारी रहेगा, जिसके जरिए इस किसान विरोधी राजनीति को सबक सिखाया जाएगा।

आगामी 23 और 24 फरवरी को देश की केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने मजदूर विरोधी चार लेबर कोड को वापस लेने के साथ-साथ किसानों को एमएसपी और प्राइवेटाइजेशन के विरोध जैसे मुद्दों पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा देश भर में ग्रामीण हड़ताल आयोजित कर इस हड़ताल का समर्थन और सहयोग करेगा।

कुछ घटक संगठनों द्वारा पंजाब के चुनाव में पार्टियां बनाकर उम्मीदवार उतारने की घोषणा के बारे में मोर्चे ने स्पष्ट किया कि शुरुआत से ही संयुक्त किसान मोर्चा ने यह मर्यादा बनाए है कि उसके नाम, बैनर या मंच का इस्तेमाल कोई राजनैतिक दल न कर सके। यही मर्यादा चुनाव में भी लागू होती है।

चुनाव में किसी पार्टी या उम्मीदवार द्वारा संयुक्त किसान मोर्चा के नाम या बैनर या मंच का कोई इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़ा जो भी किसान संगठन या नेता चुनाव लड़ता है, या जो चुनाव में किसी पार्टी के लिए मुख्य भूमिका निभाता है, वह संयुक्त किसान मोर्चा में नहीं रहेगा। जरूरत होने पर इस निर्णय की समीक्षा इन विधानसभा चुनावों के बाद अप्रैल माह में की जाएगी।

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