दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन के 200 दिन पूरे, 26 जून को कृषि बचाओ दिवस

https://www.workersunity.com/wp-content/uploads/2021/06/two-hundred-days-of-farmers-movement.jpg

सोमवार को दिल्ली के बाहर डेरा डाले किसान आंदोलन के 200 दिन पूरे हो गए। 26 नवंबर 2020 को दिल्ली की सीमाओं पर लाखों आंदोलकारियों के पहुंचने से पहले कई राज्यों में महीनों तक कई विरोध प्रदर्शन हुए।

इस लिहाज से यह आंदोलन 200 दिनों से भी ज्यादा लंबा है। हालांकि, नरेंद्र मोदी सरकार अपने जोखिम पर आंदोलनकारियों द्वारा उठाए जा रहे बुनियादी मुद्दों और उनकी प्रमुख मांगों की अनदेखी करना जारी रखे हुए है।

विभिन्न राज्यों में ग्रामीण भारत का मिजाज चुनाव परिणाम सामने आने से स्पष्ट है और इधर किसान आंदोलन भी अपनी गति से आगे बढ़ रहा।आंदोलन स्थलों पर अब भी ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता जा रहा और अभी “चढ़ती कलां” का समय है।आन्दोलनकारी अपने शांतिपूर्ण संघर्ष में और अधिक से अधिक दृढ़ होते जा रहे हैं।

उन्होंने कड़ाके की ठंड और सर्दी, तेज आंधी-तूफान, चिलचिलाती गर्मी और अब बारिश की शुरुआत का डंटकर सामना किया है। धान की बुवाई का मौसम शुरू होने के बावजूद अधिक से अधिक किसान सीमा पर आ रहे हैं।

बारिश के पानी से उनके टेंटों में बाढ़ आ गई है, वे अपने मंच के कार्यक्रमों को जारी रखते हैं और यदि आवश्यक हो, तो बारिश के दौरान भी ये लगातार चल रहा।

26 जून को “कृषि बचाओ लोकतंत्र बचाओ” दिवस घोषित किया गया है, इस संघर्ष को और तेज करने की तैयारी चल रही है। यह दिन संघर्ष के सात लंबे महीनों के पूरा होने का प्रतीक है। यह भारत के आपातकाल की 46वीं वर्षगांठ भी है, एक ऐसे समय का दौर जिसे हमारे इतिहास में कभी भुलाया नहीं जा सकता।

भाजपा सरकार के शासनकाल में देश आज अघोषित आपातकाल और सत्तावादी शासन जैसा महसूस कर रहा है, उसके खिलाफ किसानों के इस आंदोलन सहित कई और आंदोलन व संघर्ष इसमें शामिल हैं।

गौरतलब है कि 26 जून को महान किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की पुण्यतिथि भी है।

26 जून को होने वाले विरोध प्रदर्शन में पूरे भारत में जिला/तहसील स्तर पर विरोध प्रदर्शनों के अलावा विभिन्न राज्यों के राजभवनों में धरना-प्रदर्शन शामिल होंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा भारत के सभी प्रगतिशील संस्थानों और नागरिकों से अपील करता है, जिसमें ट्रेड यूनियन, व्यापारी संघ, महिला संगठन, छात्र और युवा संगठन, कर्मचारी संघ और अन्य शामिल हैं, किसान आंदोलन से हाथ मिलाकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन में शामिल हों।

एसकेएम बीकेयू एकता उग्राहन के ट्विटर अकाउंट पर “अस्थायी प्रतिबंध” की कड़ी निंदा करता है, और नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दमन के लिए सरकार को चेतावनी देता है। एसकेएम ने चेतावनी देते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा नागरिकों की आवाज को लगातार दबाना अस्वीकार्य है और सरकार को इससे बचना चाहिए।

जब से केंद्र में भाजपा सरकार के किसान विरोधी, कारपोरेट समर्थक कानूनों के खिलाफ विरोध शुरू हुआ, तब से किसान उनके मॉल, पेट्रोल स्टेशनों और अन्य स्थानों पर लगातार धरना देकर विभिन्न कॉर्पोरेट घरानों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और अलग-अलग राज्यों के टोल प्लाज़ाओं को फ्री करने का काम चल रहा सो अलग।पंजाब के साथ-साथ राजस्थान जैसे अन्य राज्यों में कॉरपोरेट आउटलेट्स और सुविधाओं पर इस तरह का महीनों से विरोध जारी है।

इस अभियान के तहत, अदानी ड्राई पोर्ट एंट्री पॉइंट्स को भी महीनों से अवरुद्ध कर दिया गया है। यह निर्णय लिया गया है कि कॉरपोरेट घरानों के खिलाफ ये विरोध प्रदर्शन, जिनके इशारे पर मोदी सरकार नागरिकों के खिलाफ जाने को तैयार है, शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहेगा और किसानों की मांगों को पूरा करने के बाद ही वापस लिया जाएगा।

संयुक्त किसान मोर्चा ने हाल ही मे वित्त मंत्रालय की ओर से उन राज्यों पर दबाव डालने की निंदा की है जो किसानों को बिजली सब्सिडी प्रदान करते हैं।

मंत्रालय ने कृषि संबंधी कुछ शर्तों के आधार पर राज्य सरकारों को अतिरिक्त ऋण देने का फैसला किया है यह शर्तें कुछ इस प्रकार है: इसमें उन राज्यों को अधिक अंक देने का प्रावधान है, जिनके पास कृषि कनेक्शन के लिए बिजली सब्सिडी नहीं है या कृषि मीटर खपत पर सब्सिडी नहीं है या इससे संबंधित खाता ट्रांसफर प्रणाली नहीं है।

किसान आंदोलन की प्रमुख मांगों में से एक, केंद्र सरकार द्वारा विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के कानूनी रास्तों के द्वारा प्रयास करने के संदर्भ में किया गया है जिसमें कृषि में बिजली सब्सिडी को समाप्त करने के प्रस्ताव मौजूद हैं।

इस मांग पर भारत सरकार ने 30 दिसंबर 2020 को कानून को वापस लेने पर सहमति जताते हुए किसानों की मांग को मौखिक रूप से मान लिया था। लेकिन अब वही चालें दूसरे रास्ते से की जा रही हैं।

हरियाणा, झज्जर में भाजपा ने एक नया कार्यालय बना कर आगे बढ़ने की कोशिश की। प्रदर्शन कर रहे किसानों के आक्रोश से बचने के लिए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने शिलान्यास कार्यक्रम का समय पूर्ववत कर दिया, लेकिन प्रदर्शनकारी किसान मौके पर पहुंचे और कार्यालय के लिए रखी नींव को हटा दिया। किसानो ने यह घोषणा की कि यह स्थान एक नया धरना स्थल बनेगा जहां से झज्जर जिले में जनविरोधी भाजपा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

गुरु अर्जुन देव की शहादत को सोमवार को विभिन्न विरोध स्थलों पर सम्मान के साथ मनाया गया।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.