उत्तराखंड में मज़दूरों के संघर्ष के चार साल: भगवती माइक्रोमैक्स के श्रमिकों ने निकाली रैली, मनाया काला दिवस

उत्तराखंड के सिडकुल पंतनगर स्थित भगवती प्रोडक्ट्स व सितारगंज स्थित जायडस वेलनेस के मज़दूरों ने कार्यबहाली के साथ अन्य समस्यों के संबंध में श्रमिक संयुक्त मोर्चा ऊधम सिंह नगर के नेतृत्व में रैली निकाल कर जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। रैली के बाद दोनों कपिनियों के मज़दूरों ने जिलाधिकारी की अनुपस्थिति में एसडीएम रुद्रपुर को 6 सूत्रीय सामुहिक ज्ञापन सौंपा।

इसके अलावा माइक्रोमैक्स के मज़दूरों ने  27 दिसंबर को प्रबंधन द्वारा की गैरकानूनी छंटनी के चलते संघर्ष को चार साल पूरा होने पर श्रम कार्यालय रुद्रपुर उधम सिंह नगर के बाहर काला फीता बांध कर काला दिवस मनाया था।

श्रमिक संयुक्त मोर्चा के बैनर तले भगवती माइक्रोमैक्स और सितारगंज स्थित जायडस कंपनी के मज़दूरों ने कार्य बहाली सहित सिडकुल की विभिन्न कंपनियों में चल रहे औद्योगिक विवादों के समाधान के लिए रैली का आयोजन किया।

भगवती प्रोडक्ट्स ने चार साल पहले गैरकानूनी छंटनी, ले-आफ बंदी तथा ट्रेनिंग के नाम पर जबरन मज़दूरों का ट्रांसफर कर दिया था। जिसके बाद से ही मज़दूरों का संघर्ष जारी है।

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काम से निकाले गए मज़दूरों का आरोप है कि इन चार सालों में राज्य को तीन मुख्यमंत्री मिले हैं। लेकिन आज भी मज़दूर सड़क पर धरनारत हैं। उनका कहना है कि सरकार और प्रशासन के अंधेपन और मज़दूरों की अनदेखी को देखते हुए श्रमिक संयुक्त मोर्चा ने काला दिवस और रैली का आयोजन किया।

ज्ञात हो कि भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड (माइक्रोमैक्स) पंतनगर में 351 मज़दूर 27 दिसंबर 2018 से अवैध छंटनी, गैरकानूनी लेऑफ और कथित प्रशिक्षण के बहाने गैरकानूनी स्थानांतरण आदि के खिलाफ संघर्षरत हैं। क़ानूनी जीत के बावजूद कार्यबहाली से वंचित हैं और विकट आर्थिक संकटों से जूझते हुए सड़क पर धक्के खाने को मजबूर हैं।

चार साल पहले भगवती प्रबंधन ने एक साजिश के तहत 303 मज़दूरों की छंटनी कर दी थी। जिसे औद्योगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी, फिर माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल ने अवैध घोषित कर दिया था। लेकिन मज़दूरों की कार्यबहाली नहीं हुई। मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है और मामले की अगली सुनवाई आगामी 3 जनवरी को  होनी है।

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दूसरी तरफ प्रबंधन ने 47 श्रमिकों को लंबे ले-ऑफ के तहत बैठाए रखा। संघर्ष के बाद इस साल 1 सितंबर से प्लांट खुला, लेकिन 29 नवंबर फिर एक बार अवैध तौर से कंपनी के गेट को बंद कर दिया गया।

4 वर्षों से विकट आर्थिक संकटों से जूझते हुए मज़दूरों का जमीनी व क़ानूनी संघर्ष चल रहा है। भयावह गर्मी, बारिश, विकट ठंड और कोविड के जानलेवा दौर में भी मज़दूरों का धरना कंपनी गेट पर लगातार जारी रहा। वर्तमान में श्रम भवन, रुद्रपुर में धरना जारी है।

मोर्चा की माँगें-

  1. पूर्व में गठित उच्च स्तरीय प्रशानिक कमेटी को पूर्व की भांति सक्रिय करते हुए वार्ताओं द्वारा जिले की मौजूदा श्रमिक समस्याओं का निस्तारण कराए।
  2. भगवती प्रोडक्ट्स (माइक्रोमैक्स) के समस्त 351 श्रमिकों की सवेतन कार्यबहाली कराएं।
  3. जायडस वैलनेस फैक्ट्री, सितारगंज को तत्काल खोलकर समस्त 1200 श्रमिकों की सवेतन कार्यबहाली कराएं।
  4. विभिन्न कम्पनियों में श्रमिक उत्पीड़न, निलंबन, बर्खास्तगी पर रोक लगाते हुए पीड़ित श्रमिकों की कार्यबहाली व लंबित माँगपत्रों का निस्तारण कराएं।
  5. ईएसआईसी अस्पताल में समस्त श्रमिकों के इलाज की समुचित व्यवस्था हो और निजी अस्पतालों के शोषण पर रोक लगे।
  6. जिले में स्थायी उप श्रमायुक्त की नियुक्ति हो और नियमित बैठने व सुनवाई की व्यवस्था हो।

मंगलवार, 27 दिसंबर को श्रम भवन रुद्रपुर में काला दिवस मानते हुए प्रदर्शन करने वालों में ठाकुर सिंह, दीपक सनवाल, राजकुमार, दीपक पंत, सूरज बोरा, भुवन जोशी, मुकेश जोशी, भुपेन्द्र सिंह, यसपाल, हेम जोशी, गोधन लाल, रविंद्र राणा, धीरज खाती, नरेंद्र मेहरा आदि शामिल रहे।

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