बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री भारत में ब्लॉक लेकिन हो गई वायरल, हर कोई ढूंढ ढूंढ कर देख रहा

गुजरात में 2002 के विभत्स दंगों पर आधारित बीबीसी की डॉक्युमेंट्री को मोदी सरकार ने बैन तो नहीं लगाया है लेकिन अपनी इमरजेंसी ताक़त के बूते इंटरनेट के सभी प्लेटफार्मं से इसे ब्लॉक करने के आदेश दिए हैं।

हालांकि ये डाक्युमेंट्री भारत में वायरल हो गई है और ब्लॉक किए जाने के बावजूद इसे लगातार इंटरनेट पर अपलोड किया जा रहा है। गूगल ड्राईव में इसकी लाखों कापियां मौजूद हैं।

इसके अलावा ये डाक्युमेंट्री https://archive.org/details/narendra-modi-bbc-documentary पर मौजूद है, जिसे कोई भी देख सकता है।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ (India: The Modi Question) को यूट्यूब पर ब्लॉक करने का आदेश दिया है।

इसके अलावा मंत्रालय ने इससे संबंधी डॉक्यूमेंट्री का वीडियो का लिंक शेयर करने वाले लगभग 50 ट्विटर पोस्ट हटाने का आदेश दिया है।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने यह आदेश आईटी नियम 2021 के तहत जारी किया है।

दरअसल, बीबीसी ने दो एपिसोड की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है जिसका नाम है – ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’. इसका पहला एपिसोड 17 जनवरी को ब्रिटेन में प्रसारित हो चुका है और अगला एपिसोड आज, 24 जनवरी को प्रसारित होने जा रहा है।

मोदी सरकार की डाक्युमेंट्री ब्लॉक करने के देश भर में तीखी आलोचना हो रही है। विपक्षी दलों ने इसे बोलने की आज़ादी पर प्रतिबंध बताया है और इमरजेंसी से तुलना की है।

वहीं डाक्युमेंट्री के पक्ष में ऑनलाइन सपोर्ट जुटाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है।

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फोटो क्रेडिटः BBC

मोदी की गुजरात दंगे में भूमिका

पहले एपिसोड में नरेंद्र मोदी के शुरुआती राजनीतिक करियर को दिखाया गया है जिसमें वे भारतीय जनता पार्टी में आगे बढ़ते हुए, गुजरात के मुख्यमंत्री के पद पर पहुँचते हैं।

यह डॉक्यूमेंट्री 2002 में गुजरात में हुए साम्प्रदायिक दंगों पर आधारित है।

ये डॉक्युमेंट्री इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें ब्रिटेन के दूतावास के उन दस्तावेजों को सबूत बनाया गया है जो 2002 के दंगों के दौरान ब्रिटिश कांसुलेट ने ब्रिटेन सरकार को भेजे थे।

बीबीसी के अनुसार, इस डॉक्युमेंट्री को बनाने में कई साल की मेहनत की गई और तथ्यों को दूतावास की सूचनाओं और आँकड़ों से लिया गया।

फोटो क्रेडिटः BBC

इस डाक्युमेंट्री में साफ़ साफ़ कहा गया है कि 2002 के दंगों में मुसलमानों के नरसंहार के लिए सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल के निर्देश पर हुआ। उस समय के एक साक्षात्कार में मोदी खुद कहते हैं कि जो कुछ हुआ है उससे वो खुश हैं।

इकोनॉमिक टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्र ने आदेश जारी करते हुए ट्विटर और यूट्यूब से कहा है कि “अगर उनके प्लेटफॉर्म पर कोई भी यूजर इस डॉक्यूमेन्ट्री को अपने अकाउंट पर अपलोड करने की कोशिश करता है तो उसको तत्काल ब्लॉक किया जाए।”

वहीं इंडियन एक्सप्रेस द्वारा जारी रिपोर्ट में मोदी सरकार के अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि संबंधित डॉक्यूमेंट्री में भारत की संप्रभुता और अखंडता को कमतर दिखाने की कोशिश की गई है। जिसका गलत प्रभाव देखने को मिल सकता है। इसके अलावा अधिकारियों का यह भी कहना है कि इस ‘डॉक्यूमेंट्री से दुनिया के अन्य देशों के साथ संबंध खराब हो सकते हैं।

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आज़ाद ख्याल पर सेंसरशिप के ख़िलाफ़ विपक्ष एकजुट

सरकार पर वार करते हुए विपक्षी राजनीतिक दलों ने सरकार के इस फ़ैसले को सेंसरशिप का नाम दिया है।

कांग्रेस के संचार प्रभारी जयराम रमेश ने ट्वीट किया कि यह सेंसरशिप है।

तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने आरोप लगाया है कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री से जुड़े उनके एक ट्वीट को ट्विटर ने डिलीट कर दिया है।

जिसके बाद डेरेक ओ’ब्रायन ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा है कि, “ये सेन्सरशिप है। ट्विटर इंडिया ने बीबीसी की डॉक्टयूमेन्ट्री से जुड़ा मेरा वो ट्वीट हटा दिया है।” उनका यह भी दावा है कि इस डॉक्यूमेंट्री को लाखों लोग देख चुके थे।

ओ’ब्रायन ने आरोप लगाया है कि एक घंटे की ये डॉक्यूमेंट्री ये खुलासा करती है कि प्रधानमंत्री अल्पसंख्यकों से नफरत करते हैं। उन्होंने यह भी लिखा है कि पोस्ट हटाने के बाद ट्विटर ने उनको जो भी कारण बता रहा हो लेकिन विपक्ष इस लड़ाई को जारी रखेगा।

हिंदुस्तान से मिली जानकारी के मुताबिक उपरोक्त डॉक्यूमेंट्री से जुड़े विवाद के बीच 300 से अधिक नामी लोगों ने बीबीसी के ख़िलाफ़ एक पत्र लिखकर कहा है कि ये डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से भारत की छवि ख़राब करने की कोशिश कि जा रही है। इसमें 13 रिटायर्ट जज, 133 रिटायर्ड नौकरशाह, 33 राजदूत और सशस्त्र बल के 156 अधिकारी शामिल हैं।

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तृणमूल कांग्रेस की नेत्री महुआ मोइत्रा ने ट्वीट कर कहा कि सरकार हर हाल में यह सुनिश्चित करना चाहती है कि देश का एक भी आदमी इस डॉक्यूमेंट्री को न देखे।

गौरतलब है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय 2021 में लगभग सात बार अपने इमरजेंसी नियम का इस्तेमाल किया है।

हालांकि, बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के मामले में मंत्रालय ने अभी तक अपने आधिकारिक चैनल, पत्र सूचना कार्यालय के माध्यम से कोई विज्ञप्ति जारी नहीं की है।

डॉक्यूमेंट्री के ब्लॉकिंग ऑर्डर को जानकारी सूचना पूर्व पत्रकार कंचन गुप्ता ने साझा की थी। वर्तमान में कंचन गुप्ता मंत्रालय के लिए एक सलाहकार के रूप में काम करते हैं। बीते शनिवार, 21 जनवरी को कंचन ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी।

फोटो क्रेडिटः BBC

इंडिया में सेंसरशिप

4 अप्रैल, 2022 को 22 YouTube-आधारित समाचार चैनल, तीन ट्विटर अकाउंट, एक फेसबुक अकाउंट और एक समाचार वेबसाइट को ब्लॉक कर दिया गया। विशेष रूप से, यह पहली बार था जब MIB ने भारतीय खातों को ब्लॉक करने का खुलासा किया – 22 YouTube खातों में से 18 भारत के थे।

ब्लॉक किए गए खातों में यूक्रेन संकट से संबंधित “झूठी सामग्री” के अलावा भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर से संबंधित सामग्री पोस्ट की जा रही थी। इसके बाद 25 अप्रैल, 2022 को छह पाकिस्तान-स्थित और 10 भारत-आधारित YouTube समाचार चैनल को ब्लॉक किया था।

वहीं देश में अग्निपथ योजना के खिलाफ मचे घमासान के बीच मंत्रालय ने 26 सितंबर, 2022 को खुफिया एजेंसियों से मिले इनपुट के आधार पर YouTube को 10 चैनलों के 45 वीडियो को ब्लॉक करने का निर्देश दिया।

इस दौरान मंत्रालय का दावा था कि इन चैनलों पर कुछ वीडियो का इस्तेमाल अग्निपथ योजना, भारतीय सशस्त्र बलों, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र, कश्मीर, आदि से संबंधित मुद्दों पर दुष्प्रचार फैलाने के लिए किया जा रहा था।

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