मानेसर : बेलसोनिका मज़दूर यूनियन ने आगामी 20 नवंबर को मज़दूर-किसान पंचायत का किया ऐलान

Bellsonica protest

हरियाणा के आईएमटी मानेसर में मारुति के कंपोनेंट बनाने वाली कंपनी बेलसोनिका प्लांट की बेलसोनिका मज़दूर यूनियन ने आगामी 20 नवंबर को मज़दूर-किसान पंचायत का ऐलान किया है।

यह पंचायत गुड़गांव में डी.सी. कार्यालय के सामने सयुक्त किसान मोर्चा धरना स्थल पर सुबह 10 बजे से शाम 3 बजे तक आयोजित की जाएगी।

बेलसोनिका मज़दूर यूनियन के प्रधान मोहिंदर कपूर ने कहा कि “वर्तमान में मोदी सरकार का हमला केवल मज़दूरों पर ही नहीं किसानों और आम मेहनतकश जनता, महिलाओं ,दलितों और युवाओं पर भी है, इसलिए अब किसानों और मज़दूरों को एक साथ आकर एक सयुक्त मोर्चा तैयार करने की जरुरत है। उनका कहना है कि यदि हमारा विरोधी भी एक है, तो लड़ाई भी एक साथ होनी चाहिए।”

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बेलसोनिका यूनियन का कहना है कि मोदी सरकार द्वारा पारित किए गए 4 लेबर कोड्स के लागू होते ही 44 केन्द्रीय श्रम कानूनों का अस्तित्व स्वतः समाप्त हो जाएगा। इतना ही नहीं कुछ फैक्ट्री मालिकों ने अपने कंपनी के व्यवहार में इन लेबर कोड्स को लागू करना शुरू भी कर दिया है।

उनका कहना है कि इन नए लेबर कोड में स्थाई कार्य पर फिक्स टर्म इम्प्लायमेंट के तहत मजदूरों को रखने का प्रावधान किया गया है। रात्रि पाली में महिलाओ से कार्य कराने का प्रावधान किया गया है। मजदूरों के हड़ताल के सर्वेधानिक अधिकार को संकुचित कर दिया गया है। मजदूरों की गैर कानूनी हडताल घोषित होने पर जुर्माने से लेकर जेल तक के प्रावधान कर दिए गए है। एक तरह से इन लेबर कोड्न में ट्रेड यूनियन का आपराधिकरण करने की साजिश नजर आती है।

यूनियन ने कहा कि यही कारण है जो आज देशभर में इस नए 4 लेबर कोड का कड़ा विरोध किया जा रहा है। इसलिए बेलसोनिका मज़दूर यूनियन ने आगामी 20 नवंबर को मज़दूरों किसान पंचायत करने का फैसला लिया है।

यूनियन का आरोप है कि उदारीकरण नीतियों के पिछले लगभग 3 दशक के इतिहास में मजदूर-किसान मेहनतकश जनता के जीवन को नरकीय बना दिया है। इन्हीं उदारीकरण नीतियों का परिणाम है कि खेती को भी मोदी सरकार बड़े कारपोरेटो के हवाले सौंपना चाहती है।

जारी रिलीज़ से मिली जानकारी के मुताबिक यूनियन ने केवल यही नहीं मोदी सरकार रेल, बैंक, बीमा, कोयला खाद्यान सड़क, बिजली, भारत पेट्रोलियम हवाई जहाज आदि सार्वजनिक उद्यमों को बड़े बड़े कारपोरेटो के सुपुर्द करने पर आमादा होने का भी आरोप लगाया है। यूनियन का कहना है कि इससे भी आगे बढ़कर “अग्निपथ योजना” के नाम पर स्थाई नौकरियों को छीन कर नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

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यूनियन का कहना है कि आजाद भारत में मजदूरों पर मोदी सरकार का हमला लगातार जारी है। मजदूर मेहनतकश जनता पर मंहगाई, बेरोजगारी की मार लगातार बढ़ती जा रही है। अभी हाल ही में आई विश्व भूखमरी सूचकांक की रिपोर्ट में भारत की स्थिति बड़ी दयनीय है। स्वयं भारत सरकार ने कहा है कि देश में 80 करोड़ लोगों को 5 किलो अनाज दिया जा रहा है। बढ़ती महंगाई से देश की जनता त्राहिमाम है। खाने-पीने की वस्तुओं पर मोदी सरकार द्वारा जी.एस.टी. लगा कर रोटी को गरीबों से दूर किया जा रहा है। उसी क्रम में मजदूरों के 44 केन्द्रीय श्रम कानूनों को खत्म कर 04 लेकर कोट्स को लागू कर मजदूरों की स्थाई नौकरियों पर हमले के साथ साथ यूनियन बनाने के अधिकार हड़ताल के अधिकार, मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा आदि पर हमला किया जा रहा है।

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