ठेका मज़दूर को सदस्यता देने पर बेलसोनिका यूनियन का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का नोटिस

हरियाणा के मानेसर स्थित ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनी बेलसोनिका के मजदूर यूनियन (बेल्सोनिका ऑटो  कंपोनेंट कर्मचारी  यूनियन ) ने ठेका मज़दूरों को यूनियन की सदस्यता दी है जिसके ख़िलाफ़ मैनजमेंट और श्रम विभाग यूनियन के पंजीकरण को रद्द कराने पर तुल गए हैं।

हरियाणा के लेबर कमिश्नर ने कारण बताओ नोटिस जारी किया और कहा है कि यूनियन ने क़ानून का उल्लंघन किया है।

यूनियन पदाधिकारियों ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि श्रम आयुक्त ने  यूनियन को कारण बताओ नोटिस जारी कर इस मामले में दो महीने के भीतर जवाब माँगा है।

श्रम आयुक्त ने ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 के सेक्शन  10 के तहत यह नोटिस जारी किया है और इसी एक्ट के सेक्शन 4 और सेक्शन 6 (e ) को कोट करते हुए कहा है कि, केवल वही लोग जो  किसी संस्था और इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं केवल वे ही  यूनियन के पंजीकरण और सदस्यता के लिए आवेदन कर सकते हैं और जुड़ सकते हैं।

श्रम विभाग का नोटिस यहां पढ़ें

दरअसल यूनियन ने केशव राजपूत नामक एक अस्थाई/ ठेका मज़दूर को 14 अगस्त 2021 को यूनियन की सदस्यता दी थी।  इसलिए श्रम आयुक्त ने यह नोटिस जारी किया है। जबकि गुरुग्राम- मानेसर  ऑटो इंडस्ट्री बेल्ट में सभी यूनियनों में स्थाई कर्मचारी ही सदस्य हैं और कोई भी यूनियन ठेका कर्मचारियों को सदस्यता नहीं देती है। मामला तब सामने आया जब यूनियन ने साल 2022 में दाखिल किए गए आयकर रिटर्न में उसका नाम दर्ज किया।

बेलसोनिका यूनियन ने केशव राजपूत को सदस्यता देकर नया काम किया है और इससे ठेका श्रमिकों के यूनियनों में शामिल होने के अधिकार पर बहस शुरू हो गयी है।

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वहीं, मजदूर और ट्रेड यूनियनों के नेताओं के अनुसार, बेलसोनिका  यूनियन  के इस कदम से हरियाणा के गुरुग्राम-मानेसर-बावल ऑटोमोटिव बेल्ट में स्थायी और अनुबंध श्रमिकों के बीच विभाजन को पाटने की क्षमता है।

मानेसर स्थित मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन के प्रेसिडेंट पवन कुमार  ने बेलसोनिका यूनियन के इस कदम का स्वागत किया है लेकिन यह भी कहा है कि उनकी कम्पनी में ठेका मजदूरों की तरफ से ऐसी कोई मांग नहीं है।

सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) की हरियाणा इकाई के उपाध्यक्ष सतवीर सिंह ने कहा कि यह एक “स्वागत योग्य कदम” है, लेकिन इस क्षेत्र में श्रमिकों पर इसके प्रभाव की भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी।

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उन्होंने कहा कि, “ट्रेड यूनियनों, विशेष रूप से सीटू ने हमेशा अनुबंध श्रमिकों को शामिल करने की आवश्यकता की वकालत की है।

वहीं, हिंद मजदूर सभा के महासचिव हरभजन सिंह सिद्धू के अनुसार, महामारी के कारण लगे लॉकडाउन के बाद से अधिक संविदा कर्मचारी यूनियनों की सदस्यता की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, लॉकडाउन  के  दौरान हरियाणा के ऑटोमोटिव बेल्ट में, हजारों श्रमिकों ने अपनी नौकरी खो दी, जब फ़ैक्टरियाँ फिर से खुलीं, तो ठेका मज़दूर हमारी यूनियनों में शामिल होने के लिए हमारे पास आने लगे।

ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा कि ऑटो कंपनियों के अधिकारियों और श्रम विभाग ने बातचीत के दौरान ठेका श्रमिकों को यूनियन बनाने की अनुमति देने का विरोध किया है, लेकिन इसका कोई विरोध नहीं कर सकता क्योंकि यह श्रमिकों का मौलिक अधिकार है।

बेलसोनिका यूनियन का कहना है कि यूनियन इस लड़ाई को आगे तक लेकर जाएगी। अब यूनियन चंडीगढ़ हाई कोर्ट में इस संघर्ष को लड़ेगी। अगर वहां भी सफलता नहीं मिली तो यूनियन डिवीज़न बेंच का रुख करेगी।

उनका कहना है कि अगर वहां भी सफलता नहीं मिलती तो यूनियन सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी यदि वहां भी जीत नहीं मिलती है तो यूनियन इस लड़ाई को धरने प्रदर्शनों के माध्यम से संघर्ष को जारी रखेंगे।

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