बेलसोनिका : यूनियन की सदस्यता रद्द करने के विरोध में प्रगतिशील महिला केंद्र और मजदूरों के परिवार की महिलाओं व बच्चों ने निकाला जुलूस

प्रगतिशील महिला केंद्र और बेलसोनिका मजदूरों के परिवार की महिलाओं व बच्चों ने आज दोपहर गुड़गांव लघु सचिवालय तक जुलूस निकाल कर एक मांगपत्र उपायुक्त को सौंपा।

यह जुलूस बेलसोनिका प्रबंधन द्वारा बेलसोनिका यूनियन की सदस्यता रद्द करने की कार्रवाही के विरोध में, खुली-छिपी छंटनी के विरोध में और बेलसोनिका यूनियन के लंबित मामलों के समाधान के लिए निकाला गया।

ज्ञात हो कि हरियाणा के मानेसर स्थित ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनी बेलसोनिका के मजदूर यूनियन (बेलसोनिका ऑटो कंपोनेंट कर्मचारी यूनियन ) ने ठेका मज़दूर को यूनियन की सदस्यता देने के कारण यूनियन को बीते 3 जनवरी को यूनियन की सदस्यता रद्द करने का नोटिस मिला था।

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यह नोटिस 28 दिसंबर को श्रम विभाग की ओर से जारी किया गया था।

दरअसल, बेलसोनिका यूनियन ने कंपनी में काम करने वाले एक अस्थाई/ ठेका मज़दूर केशव राजपूत को 14 अगस्त 2021 को यूनियन की सदस्यता दी थी।

इसके कारण श्रम आयुक्त ने यह नोटिस जारी किया। मामला तब सामने आया जब यूनियन ने साल 2022 में दाखिल किए गए आयकर रिटर्न में उसका नाम दर्ज किया।

इसके अलावा कंपनी में स्थाई और अस्थाई मज़दूरों की छंटनी लगातार जारी है जिसको लेकर मज़दूरों ने कई बार प्रदर्शन भी किए हैं।

बेलसोनिका यूनियन की इस लड़ाई का समर्थन प्रगतिशील महिला एकता केंद्र ने किया है।

शुक्रवार को आयोजित इस जुलूस को प्रगतिशील महिला एकता केंद्र और इंकलाबी मजदूर केंद्र के प्रतिनिधियों ने संबोधित किया। साथ ही बेलसोनिका मजदूरों के परिवार से आई महिलाओं ने भी सभा को संबोधित किया।

गुड़गांव में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की अगुवा नेता रीना ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि बेलसोनिका प्रबंधन लगातार अपनी मनमानी कर रहा है, जिसका शिकार मज़दूरों को होना पड़ रहा है।

उनका कहना है कि प्रबंधन के इस बर्ताव का सीधा प्रभाव मज़दूरों के परिवारवालों पर पड़ता है। इसलिए प्रगतिशील महिला एकता केंद्र ने मज़दूरों के समर्थन में और प्रबंधन के तानाशाही रवैये के खिलाफ जुलूस निकालने का ऐलान किया है।

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गौरतलब है कि इस साल बेलसोनिका प्रबंधन ने तीन स्थाई मज़दूरों को काम से निकाल दिया। इतना ही नहीं छुटपुट ठेका कर्मचारियों को भी यूनियन का समर्थन करने के आरोप में काम से निकाल दिया गया है।

यूनियन द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक प्रबंधन ने बर्खास्त ठेका मज़दूरों के बकाया वेतन का भी हिसाब नहीं किया है।

इसके अलावा वर्कर्स यूनिटी ने अपनी एक स्पेशल रिपोर्ट में पाया था कि प्रबंधन ने यूनियन को मजदूरों की नज़र में गिराने के भी अथक प्रयास किये।

इस बाबत प्रबंधन ने एक गार्ड को केवल इसलिए नौकरी से निकाल दिया, क्योंकि उसने प्रबंधन के कहने पर भी यूनियन के खिलाफ पत्र लिखने से इंकार कर दिया था, जिसके बाद उनको काम से निकाल दिया गया था।

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