बिहार : आदिवासी महिला की रेप के बाद हत्या, आरोपियों की गिरफ़्तारी की मांग को लेकर निकला जुलूस

रोहतास के नागाटोली गावं में एक आदिवासी महिला की रेप के बाद हत्या के आरोपियों की गिरफ़्तारी की मांग को लेकर ग्रामीणों द्वारा जुलूस निकाला गया। शुक्रवार, 24 मार्चा को कैमूर मुक्ति मोर्चा के आवाह्न पर आयोजित जुलूस प्रदेशन में भारी संख्या में आदिवासी महिलाओं और पुरुषों ने भाग लिया। ।

उल्लेखनीय है कि बीते, 4 जनवरी 2023 को एक आदिवासी महिला की रेप के बाद हत्या कर दी गयी थी। कैमूर मुक्ति मोर्चा का आरोप है कि वन विभाग के सिपाहियों द्वारा महिला के साथ बलात्कार किया गया और बाद ने हत्या कर दी गयी है।

उनका कहना है कि जिसके बाद वन विभाग के सिपाहियों, वनरक्षियों को बचाने के लिए पुलिस प्रशासन व सरकार द्वारा जिस तरह का षडयंत्र किया गया तथा जांच के नाम पर दोषियों को बचाने के लिए जिस तरह की लीपापोती की गई, उससे यह साफ पता चलता है कि वन विभाग, पुलिस प्रशासन और राज्यसत्ता की नजर में महिलाओं, आदिवासियों और गरीबों की कोई इज्जत नहीं है।

कैमूर मुक्ति मोर्चा द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मुनाफे के लिए केंद्र और राज्य की सरकारें प्राकृतिक संपदा से भरपूर आदिवासी इलाकों के जल-जंगल-जमीन को हथियाने पर उतारू हैं। मोर्चा का आरोप है कि इसके खिलाफ संघर्ष करने वाली जनता को डराने व उसके मनोबल को तोड़ने के लिए शासक वर्ग सबसे पहला निशाना महिलाओं को ही बनाता है।

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दहशत पैदा करने की योजना

मोर्चा का मानना है कि आदिवासी जनता के अंदर दहशत पैदा करने के लिए महिला के साथ बलात्कार और हत्या की गई ताकि अपनी जीविका के परंपरागत साधनों लकड़ी, महुआ, पियार आदि के लिए लोग जंगल में न जाएं।

दरअसल, कैमूर पठार अपनी अद्भूत प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। क्षेत्रफल के हिसाब से कैमूर पठार बिहार राज्य का सबसे बड़ा जंगली-पहाड़ी इलाका है। बिहार में कैमूर पठार के अर्न्तगत दो जिले आते हैं, कैमूर और रोहतास। यहां का कुल क्षेत्रफल 1800 वर्ग किलोमीटर है। यह आदिवासी बाहुल्य इलाका है।

कैमूर पठार में खरवार, उरांव, चेरो, अगरिया, कोरवा आदिवासी समुदाय के लोग ज्यादा संख्या में निवास करते हैं। इसके अलावा यहां गैर परम्परागत वन निवासी(अन्य जाति के लोग) भी रहते हैं।

कैमूर मुक्ति मोर्चा के सदस्यों का कहना है कि सरकार अदिवासियों को कैमूर से यह कहकर हटाना चाहती है कि आदिवासी जल-जंगल-जमीन और वन्यजीवों के लिए खतरा हैं। इसलिए बिना कैमूर पहाड़ के जनता की अनुमति के पहले कैमूर पठार को वन्य जीव अभ्यारण्य में डाल दिया गया और अब इसे बाघ अभ्यारण्य घोषित कर दिया गया है।

उनका कहना है कि सरकार यहां बाघ पालन का हवाला देकर आदिवासियों को हटा रही है।

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जनता को जमीन से बेदखल करने की तैयारी

कैमूर मुक्ति मोर्चा का कहना है कि जिन्हें इंसानों की चिंता नहीं है उन्हें बाघों की भला की कितनी चिंता होगी? जनता यह बात भली भांति समझती है। सरकार विदेशी साम्राज्यवादियों, देशी-विदेशी पूंजीपतियों के मुनाफे के लिए किसी भी कीमत पर कैमूर पठार की जनता को उसके जल-जंगल-जमीन से बेदखल करने पर आमादा है।

मोर्चा का मानना है कि बाघों या जंगलों को आदिवासियों से खतरा नहीं है बल्कि जंगलों को खत्म करने का काम ब्रिटिश शासनकाल से आज तक सरकार और वनविभाग ने कूप कटाई(लकड़ी से कोयला बनाने) के नाम पर व अन्य नामों पर किया है। बाकी जंगलों की कटाई बाहरी लोगों(लकड़ी माफिया) ने जब वे पठार पर आये तो वन विभाग की मदद से किया है।

मोर्चा के सदस्यों का कहना है कि आदिवासी हजारों साल से इन जंगलों में बाघों और अन्य वन्य जीवों के साथ रहते आये हैं। बाघों की हत्या तो शिकारियों ने तथा बाहरी चरवाहों ने वन विभाग की उपस्थिति में की है।

उनका कहना है कि आदिवासियों ने तो जंगलों को बचाया है और जानवरों के साथ साहचर्य में अपना जीवन बिताया है। कैमूर पठार को बाघ अभ्यारण्य, बाघों की रक्षा के लिए नहीं बल्कि आदिवासियों को भगाकर उनके जल-जंगल-जमीन पर कब्जा करने के लिए बनाया जा रहा है।

आज पूरे देश में 52 बाघ अभ्यारण्य हैं। कैमूर बाघ अभ्यारण्य 53 वां और भारत का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बनने जा रहा है। यह टाइगर रिजर्व 1342 वर्ग किलोमीटर में बनाया जा रहा है। इस अभ्यारण्य को 450 वर्ग किलोमीटर में कोर एरिया तथा 850 वर्ग किलोमीटर बफर एरिया में बांटा गया है। कोर एरिया में सबसे ज्यादा गांवों को विस्थापित होने का खतरा है। बाकी बफर एरिया के भी धीरे-धीरे जो गांव प्रभावित होंगे उन्हें बाद में हटाया जायेगा।

कैमूर पठार की आदिवासी और गैर आदिवासी जनता यह ऐलान कर चुकी है कि वह बाघ अभ्यारण्य और वन्य जीव अभ्यारण्य को किसी भी कीमत पर मंजूरी नहीं देगी, चाहे इसके लिए उसे अपना खून ही क्यों न बहाना पड़े।

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मोर्चा की मांगें

कैमूर मुक्ति मोर्चा ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा। मोर्चा का कहना है कि अगर बिहार सरकार से कैमूर पठार की जनता माँगों पर जल्द से जल्द कार्रवाई नहीं करेगी तो आदिवासी आगे और बाद आंदोलन करेंगे।

कैमूर मुक्ति मोर्चा की मांगें

  • राजकली उरांव के बलात्कारियों को तत्काल गिरफ्तार करके कठोर से कठोर सजा दो।
  • राजकली उरांव के परिजनों को 50 लाख रुपये मुआवजा दो।
  • पोस्टमार्टम रिपोर्ट को सार्वजनिक करो।
  • कैमूर पठार से वन जीव अभ्यारण्य और बाघ अभ्यारण्य को तत्काल खत्म करो।
  • वनाधिकार कानून 2006 को तत्काल प्रभाव से लागू करो।
  • कैमूर पहाड़ का प्रशासनिक पुनर्गठन करते हुए पांचवीं अनुसूची क्षेत्र घोषित करो।
  • छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम को लागू करो।
  • पेशा कानून को तत्काल प्रभाव से लागू करो।
  • बिना ग्राम सभा की अनुमति के गांव के सिवान में घुसना बंद करो।
  • वन विभाग द्वारा आदिवासियों से जंगल में टांगी (कुल्हाड़ी) और सूखी लकड़ी छीनना बंद करो।
  • खेती की जमीन से लोगों को उजाड़ना और उसमें वृक्ष रोपना बंद करो।
  • हमारे जीविका के परंपरागत श्रोत वन उत्पाद पर रोक लगाना बंद करो।
  • जनता को फर्जी मुकदमे में फसाना बंद करो और जनता पर लादे गए सारे फ़र्ज़ी मुकदमें वापस लो।

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