फ्रांस :वेतन वृद्धि को लेकर पेरिस की सडकों पर उतरे हज़ारों डॉक्टर

फ्रांस के हजारों चिकित्सा कर्मियों ने काम की बेहतर परिस्थितियों और वेतन में वृद्धि के लिए पेरिस में विरोध प्रदर्शन किया।

पेरिस में काम की प्रतिकूल परिस्थितियों के विरोध में हजारों डॉक्टर शनिवार, 7 जनवरी को सड़कों पर उतरे।

सोशल मीडिया पर जारी वीडियो में फ्रांस के चार्ट्रेस शहर के मेडिकल स्टाफ ने अपने स्टेथोस्कोप को जमीन पर रखकर अपना विरोध जताया।

पहले खबर आई थी कि देशव्यापी हड़ताल के बीच फ्रांस के डॉक्टर 5 जनवरी को पेरिस में प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं।

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26 दिसंबर को अपनी हड़ताल शुरू करने वाले डॉक्टर बेहतर काम करने की स्थिति और अपनी दरों के पुनर्मूल्यांकन की मांग को लेकर 8 जनवरी तक हड़ताल जारी रखेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के समूह भी डॉक्टरों के साथ एकजुटता जाहिर कर विरोध प्रदर्शनों में शामिल हो सकते हैं।

फ्रांसीसी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली एक अभूतपूर्व संकट का सामना कर रही है। पिछली गर्मियों में भी, चिकित्साकर्मियों ने अधिक वेतन की मांग करते हुए और सरकार द्वारा अपनाई गई स्वास्थ्य देखभाल नीतियों की निंदा करते हुए देशव्यापी हड़ताल की थी।

बेहतर मजदूरी के लिए सरकार के साथ यह लड़ाई ऐसे समय में चल रही है जब आर्थिक स्थिति बिगड़ने से फ्रांस बढ़ती महंगाई से जूझ रहा है।

इसी तरह के विरोध प्रदर्शनों ने हाल के महीनों में स्पेन और यूनाइटेड किंगडम सहित अन्य यूरोपीय देशों को भी प्रभावित किया है, जिसमें रहने और जीवन यापन की महंगी लागत का संकट व्याप्त है।

25 अक्टूबर को, मैड्रिड में, सेवारत डॉक्टर और नर्स ने हजारों प्रदर्शनकारियों के साथ मिलकर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के लिए अधिक संसाधनों, पेशेवरों के लिए काम करने की स्थिति में सुधार और धन में वृद्धि की मांग करते हुए विरोध प्रर्दशन किया।

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ब्रिटेन में एनएचएस के इतिहास में सबसे बड़ी नर्सिंग हड़ताल 20 दिसंबर को हुई, यूके में इंग्लैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड में 10,000 नर्सों को हड़ताल पर रहे, क्योंकि सरकार ने वेतन वार्ता फिर से शुरू करने से इनकार कर दिया। इसके बाद 30 साल में सबसे बड़ा एंबुलेंस वॉकआउट हुआ।

इसके आलावा लंदन में 15 दिसंबर को, 400 ग्राउंड हैंडलर्स ने लंदन हीथ्रो हवाईअड्डे को तब ठप कर दिया जब उन्होंने नए साल के दिन 72 घंटे की अवधि के लिए अपने उपकरणों को नीचे रखा।

इस तरह ब्रिटेन रेल कर्मचारियों, नर्सों और डॉक्टरों, डाक कर्मचारियों और सीमा अधिकारियों सहित अपनी अर्थव्यवस्था में हड़तालों की लहर से जूझ रहा है।

(साभार मेहनतकश)

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