SKM के “राजभवन चलो” कार्यक्रम के आह्वान पर किसानों ने राज्यों की राजधानियों में किया मार्च

संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रव्यापी”राजभवन चलो” कार्यक्रम के आह्वान पर 26 नवंबर को लाखों किसानों ने देश के विभिन्न राज्यों की राजधानियों में मार्च और रैली निकाली।

इस दौरान संयुक्त किसान मोर्चा ने राज्य के राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा। दरअसल, किसान केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे हैं और दूसरे चरण के आंदोलन की तैयारी में है। किसान मोर्चा ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर केंद्र सरकार द्वारा किसानों से किए गए वादों को याद दिलाया।

मिली जानकारी के मुताबिक, SKM के बैनर तले चंडीगढ़, लखनऊ, पटना, कोलकाता, त्रिवेंद्रम, चेन्नई हैदराबाद, भोपाल, जयपुर और कई अन्य राज्यों की राजधानियों में राज्य भवनों तक मार्च किया।

संयुक्त किसान मोर्चा का अनुमान है कि 5 लाख से अधिक किसान, एक सामूहिक शक्ति का बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और किसानों की सभी मांगों के पूरा होने तक संघर्ष जारी रखने के संकल्प के साथ, शनिवार की भारत की सड़कों पर उतरे हैं।

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3000 से अधिक विरोध प्रदर्शन हुए

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में लिखा है कि शनिवार 26 नवम्बर को देशभर के मजदूरों, छात्रों, युवाओं, महिलाओं और आम लोगों के समर्थन के साथ किसानों ने बड़े मार्च और रैलियां निकाली।

इस दौरान 25 राज्यों की राजधानियों, 300 से अधिक जिला मुख्यालयों और कई तहसील मुख्यालयों पर विरोध सभाएँ आयोजित की गईं।

SKM का अनुमान है कि पूरे भारत में 3000 से अधिक विरोध प्रदर्शन हुए। किसान विरोधी भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने और किसानों की मांगों का ज्ञापन सौंपने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के ‘राजभवन चलो’ आह्वान में शामिल होने के लिए 5 लाख से अधिक नागरिक सड़कों पर उतरे।

सभी किसान संगठनों ने पंचायत भवन के राज्ये भवन तक मार्च कर राज्यों के राज्यपालों के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को, केंद्र में सत्ताधारी दल की किसान विरोधी गतिविधियों में हस्तक्षेप करने और रोकने के लिए अपनी मांगों का ज्ञापन दिया।

किसान संगठन का कहना है कि मोदी सरकार ने किसानों के साथ वादा खिलाफी की है। इसलिए किसान ने SKM के आवाह्न पर इस मार्चा का योजन किया है।

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सयुक्त किसान मोर्चा व अन्य किसान संगठनों ने सभी राज्यों की स्थानीय मांगों के साथ राजयपालों को सामूहिक ज्ञापन सौंपा।

SKM की मांगें

  1. सभी फसलों के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत सीटू+50% न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिया जाये
  2. एक व्यापक ऋण माफी योजना के माध्यम से कर्ज मुक्ति किया जाये।
  3. बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लिया जाये
  4. लखीमपुर खीरी में किसानों व पत्रकारों के नरसंहार के आरोपी केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी एवं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाये
  5. प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों की फसल बर्बाद होने पर शीघ्र क्षतिपूर्ति के लिए व्यापक एवं प्रभावी फसल बीमा योजना तैयार की जाये।
  6. सभी मध्यम, छोटे और सीमांत किसानों और कृषि श्रमिकों को ₹ 5,000 प्रति माह की किसान पेंशन दी जाये।
  7. किसान आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज सभी झूठे मामलों को वापस लिया जाये।
  8. किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजे का भुगतान किया जाये।

गौरतलब है कि कि हजारों की संख्या में किसानों ने नवंबर 2020 में लॉकडाउन के बीच 2019 में पास कराए गए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली का घेराव किया था।

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करीब 13 महीने तक दिल्ली की सीमाओं पर बैठे इन किसानों की मांग आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को माननी पड़ी और नवंबर 2021 में इन कानूनों को वापस ले लिया गया।

लेकिन किसान संगठनों की अन्य मांगों पर अभी तक कोई विचार नहीं किया गया है। अन्य प्रमुख मांगों में एमएसपी पर कानून बनाना, बिजली संशोधन बिल को वापस लेना, आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को मुआवज़ा देना, दर्ज मुकदमे वापस लेना, पराली जलाने पर लगने वाले भयंकर जुर्माने को खत्म करने और लखीमपुर खीरी कार हमले के कथित जिम्मेदार केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी की मांग शामिल है।

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