हरियाणा: 40 हज़ार सफाईकर्मी हड़ताल पर, हिसार में प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज, सैकड़ों गिरफ़्तार, 29 से बेमियादी हड़ताल का ऐलान

By शशिकला सिंह

पूरे हरियाणा में जारी सफाई कर्मचारियों की हड़ताल को तोड़ने के लिए खट्टर सरकार ने बलप्रयोग का सहारा लेना शुरू कर दिया है।

गुरुवार को हिसार में पुलिस प्रदर्शन कर रहे सफाई कर्मचारियों पर लाठीचार्ज किया, जिसके बाद प्रदेश में तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई।

परमानेंट किए जाने की मांग को लेकर पूरे प्रदेश के सफ़ाई कर्मचारी पिछले नौ दिनों से हड़ताल पर हैं। प्रदर्शनकारी पुलिस दल बल के साथ बाहर से बुलाए गए सफाई कर्मियों को भी कूड़ा नहीं उठाने दे रहे हैं।

करनाल में पुलिस की टीम के साथ सफाई कर्मी अधिकारीयों ने शहर से कूड़ा उठाने का प्रयास किया। लेकिन प्रदर्शन कर रहे सफाई कर्मचारियों ने कूड़ा नहीं उठाने दिया।

इसके बाद करनाल पुलिस ने 24 सफाई कर्मचारियों को हिरासत में ले लिया है। उन पर सरकारी कामकाज में दखल देने का मामला दर्ज किया गया है।

गौरतलब है कि प्रदेश में 19 अक्तूबर से प्रदेश के 40 हजार सफाई कर्मचारियों और अग्निशमन कर्मियों की हड़ताल जारी है। 16 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे कर्मचारियों की एक बैठक निकाय मंत्री के साथ हो चुकी है, लेकिन उसमें कोई सहमति नहीं बन पाई। इसके बाद सरकार और संघ के बीच न तो कोई तालमेल हो पाया है और न ही दूसरे दौर की बैठक हुई है।

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सैकड़ों कर्मचारी गिरफ़्तार

गुरुवार को यमुनानगर से 5, कैथल से 198 व हिसार से 118 कर्मचारियों समेत 321 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया था, जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया।

सरकार की तरफ से बातचीत के लिए अभी तक नहीं बुलाया गया है जिसके बाद कर्मचारी संघ ने हड़ताल को अनिश्चितकालीन करने की तैयारी कर ली है। संघ का कहना है कि अगर 29 अक्तूबर तक मांगों का समाधान नहीं किया गया, तो हड़ताल को अनिश्चितकालीन कर दिया जायेगा।

प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग है कि अस्थाई कर्मचारियों को नियमित किया जाये। उनका आरोप है कि बीते दस सालों से काम कर रहे सफाई कर्मचारी अस्थाई ही हैं। उनकी अन्य मांगों में समान काम समान वेतन, कोरोना महामारी में ड्यूटी पर मारे गए कर्मचारियों को मुआवजा और जोखिम भत्ता भी शामिल है।

ट्रेड यूनियनों का समर्थन

हरियाणा में सफाई कर्मचारियों के चल रहे आंदोलन को मजदूर संगठन सीटू ने समर्थन किया है, साथ ही 31 अक्तूबर को प्रदेशभर के सभी जिलों में सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने का एलान किया है।

जनसंघर्ष मंच के नेता सोमनाथ का कहना है कि “लोकतंत्र में सभी मज़दूरों को आंदोलन करने का अधिकार है। लेकिन प्रदर्शन कर रहे सफाई कर्मचारियों की गिरफ्तारियों से साफ जाहिर हो गया है कि तत्कालीन बीजेपी सरकार वर्किंग क्लास के प्रति तानाशाही रवैया दिखा रहा है।”

उनका कहना है कि सफाई कर्मचारियों की सभी मांगे जायज हैं। सरकार को उनको गिरफ्तार करने के बजाये उनकी मांगों को पूरा करना चाहिए।

इंडिया टुडे के मुताबिक सीटू हरियाणा की प्रधान सुरेखा, महासचिव जयभगवान और कोषाध्यक्ष विनोद कुमार ने कहा कि सरकार को हड़ताली कर्मचारियों की मांगों का तुरंत समाधान करना चाहिए।

उन्होंने 40 हजार शहरी सफाई कर्मचारियों की हड़ताल का समर्थन करते हुए सरकार द्वारा हड़ताल को दबाने के लिए लगाए गए एस्मा जैसे कानून की निंदा की।

सीटू नेताओं ने कहा कि “सरकार शहरी सफाई कर्मचारियों को अकेला न समझे और उनकी आवाज दबाने से बाज आये।”

सीटू नेताओं ने कहा कि एक तरफ सरकार सफाई कर्मचारियों को कोरोना योद्धा और स्वच्छता सैनिक बताती है। लेकिन दूसरी तरफ जब वे अपनी मांगों को लिए कर आंदोलन करते हैं तो सरकर उनसे बात करने को भी राजी नहीं है।

शहरों में लगे कचरे के ढेर

सफाई कर्मचारी संघ के नेता रमेश अत्री का कहना है कि प्रदेश में प्रतिदिन 59 नगर पालिकाओं 22 नगर परिषदों 11 नगर निगमों में प्रतिदिन 10 से 12 हजार टन कूड़ा निकलता है।

पिछले नौ दिन से प्रदेश में कूड़े का उठान बंद है, ऐसे में सभी शहरों में कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। और महामारी फैलने का खतरा पैदा हो गया है।

1996 के बाद नहीं हुई पक्की भर्ती

नगरपालिका कर्मचारी संघ के राज्य महासचिव मांगे राम तिगरा ने कहा कि हरियाणा में 1996 के बाद से निगम, परिषदों और पालिकाओं समेत सभी सरकारी विभागों में सफाई कर्मचारियों की कोई भी पक्की भर्ती नहीं की गई है।

2014 से पहले सरकार ने विभाग में ठेकाप्रथा समाप्त करके सभी सफाई कर्मचारियों को विभाग के रोल पर लेने का निर्णय किया था, जिसे सरकार ने निरस्त कर दिया।

इतना ही नहीं अब सरकार विभाग के रोल पर आए हुए कर्मचारियों को भी हरियाणा कौशल रोजगार निगम के तहत हमेशा के लिए ठेके पर रखने को अड़ी हुई है। ऐसे ही हालात ग्रामीण सफाई कर्मचारियों के हैं।

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प्रदेशभर के जिलों में कर्मचारियों के धरने प्रदर्शन जारी है। सर्व कमचारी संघ समेत अन्य संगठनों ने भी आंदोलन का समर्थन किया है। वीरवार को 9वें दिन भी हड़ताल जारी रखी वहीं प्रदेश के विभिन्न शहरों में पुलिस व सफाई कर्मचारियों के बीच तनावपूर्ण माहौल में हल्की झड़प भी हुई। बुधवार को करनाल में 32 कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज तक उनको न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

नगर पालिका कर्मचारी संघ हरियाणा के राज्य प्रधान नरेश कुमार शास्त्री ने कहा कि जब तक उनकी 16 सूत्रीय मांगों का समाधान नहीं किया जाता, आंदोलन जारी रहेगा। 29 अक्तूबर की हड़ताल के बाद आगामी फैसला लिया जाएगा, इसमें हड़ताल को अनिश्चितकालीन करने का फैसला लिया जाएगा।

बहादुराना संघर्ष को समर्थन

फरीदाबाद के क्रांतिकारी मजदूर मोर्चा के सत्यवीर सिंह ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा है, कि कई दिनों से हरियाणा के नगरनिगम कर्मचारियों की  हड़ताल चल रही है। सभी मांगें वाजिब हैं।

कर्मचारियों को नियमित करो, क्योंकि दस दस साल से काम कर रहे सफाई कर्मचारी अस्थाई ही हैं। समान काम समान वेतन, कोरोना महामारी में ड्यूटी पर मारे गए कर्मचारियों को मुआवजा और जोखिम भत्ता।

हड़ताल के पहले पांच दिन कोई बात ही नहीं हुई, मानो कुछ हुआ ही ना हो। उसके बाद पुलिस सुरक्षा में सफाई करवाने की सोची, मतलब डंडे मार- मार कर सफाई करवाएंगे, झाड़ू लगवाएंगे। दिवाली के दिन भी जींद और कैथल में सैकड़ों गिरफ्तारियां हुईं।

सफ़ाई कर्मचारी, खास तौर पर महिलाओं ने डरने से मना कर दिया, डट गईं पुलिस के सामने बल्कि झाड़ू उठा लिए। अभी ख़बर है कि मंत्री कमल गुप्ता बात करेंगे।

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