पिछले 3 सालों में सबसे निचले पायदान पर देश की वृद्धि दर : आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट

आज देश की वित्त मंत्री निर्मल सीतारमण संसद में वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश किया है। वहीं कल 31 जनवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2022-23 का आर्थिक सर्वेक्षण संसद में पेश किया था।

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक देश की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2023-24 में चालू वित्त वर्ष के 7 फीसदी की तुलना में 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है। जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में आर्थिक में वृद्धि दर 8.7 फीसदी रही थीं।

जहां पिछले साल से अंतिम कुछ महीनों में रुपया डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर साबित हुआ।

वहीं आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 की 3 लहरों तथा रूस-यूक्रेन संघर्ष के बावजूद एवं फेडरल रिजर्व के नेतृत्व में विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं के केन्द्रीय बैंकों द्वारा महंगाई दर में कमी लाने की नीतियों के कारण अमेरिकी डॉलर में मजबूती दर्ज की गई है। आयात करने वाली अर्थव्यवस्थाओं का चालू खाता घाटा बढ़ा है।

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इसके अलावा रिपोर्ट में इस बात का भी दावा किया गया है कि दुनियाभर की एजेंसियों ने भारत को सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था माना है, जिसकी विकास दर वित्त वर्ष 2023 में 6.5 से 7.0 प्रतिशत तक रहेगी।

समीक्षा के अनुसार वित्त वर्ष 2023 के दौरान भारत के आर्थिक विकास का मुख्य आधार निजी खपत और पूंजी निर्माण रहा है, जिसने रोजगार के सृजन में मदद की है।

एक तरफ विपक्ष का दावा है कि मोदी सरकार के राज में मात्र 10 फीसदी नए रोजगार दिए गए हैं। वहीं आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी बेरोजगारी दर में कमी तथा कर्मचारी भविष्य निधि के कुल पंजीकरण में तेजी के माध्यम से दिखाई पड़ती है।

रायटर्स ने अपने वेब पेज पर सूत्रों के हवाले से लिखा है कि वित्त वर्ष 2023-24 में सावधानी बरतने की संभावना है कि मौद्रिक नीति के कड़े होने के कारण भारतीय रुपए पर दबाव जारी रह सकता है।

भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) भी बढ़ा रह सकता है क्योंकि मजबूत स्थानीय अर्थव्यवस्था के कारण आयात अधिक रह सकता है जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था में कमजोरी के कारण निर्यात में कमी आ सकती है।

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आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत का सीएडी सकल घरेलू उत्पाद का 4.4% था, जो कि एक तिमाही पहले 2.2% और एक साल पहले 1.3% से अधिक था, क्योंकि उपयोगी वस्तुओं की बढ़ती कीमतों और कमजोर रुपये ने व्यापार के बीच के अंतर को बढ़ा दिया था।

गौरतलब है कि आज संसद में वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश किया गया है। जिसमें मुफ्त अनाज बांटने की योजना को जारी रखा गया है।

वहीं आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में इस बात अभी दावा किया गया है कि देश की अर्थव्यवस्था में तेजी आई है और इनकम में इजाफ़ा हुआ है, तो फिर मुफ्त अनाज देने की योजना को एक साल के लिए और क्यों बढ़ाया गया है?

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