ओल्ड पेंशन स्कीम बहाली के बजाए नई पेंशन स्कीम में बदलाव की तैयारी में केंद्र सरकार

ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) बहाली का केंद्र सरकार पर इस कदर दबाव बढ़ गया है कि सरकारी अधिकारी इस बात पर मगज़मारी करने लगे हैं कि किस तरह बिना ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल किए पेंशन भोगियों को ओल्ड पेंशन स्कीम के बराबर ही मुनाफा दिया जा सके।

दरअसल ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि 2024 में लोकसभा के आम चुनाव होने है। इसलिए मोदी सरकार पेंशन धारकों और सरकारी कर्मचारियों को लुभाने के प्रयासों में जुट गयी है।

हालांकि, देशभर की तमाम ट्रेड यूनियन सरकार के इस प्लान का विरोध कर रही है और ओल्ड पेंशन स्कीम बहाली की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रही है। वहीं हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकारें अपने राज्यों में ओपीएस को लागू कर चुकी हैं। पंजाब में भी ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल किया गया है।

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सुधार का नया तरीका

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मोदी सरकार के मंत्रियों ने नई पेंशन स्कीम में दो तरह के मुख्य बदलाव करने की योजना बनाई है। इसमें पहला तरीका यह है कि पेंशन धारकों के अकाउंट में जो सरकार का योगदान है, उसको 14 फीसदी से इतना ज्यादा बढ़ा दिया जाये कि पेंशन भोगियों को अपने वेतन का 50 फीसदी हिस्सा पेंशन के रूप मिलने लग जाये।

दूसरा तरीका यह है कि पेंशन धाराओं को पेंशन का एक हिस्सा राज्य व दूसरा हिस्सा केंद्र सरकार द्वारा दिया जाये। मतलब कर्मचारी को अपने अंतिम आहरित वेतन का एक तिहाई (33 फीसदी) हिस्सा मिलेगा। अगर वो गारंटी के रूप में अपनी बेसिक सैलरी का 10 फीसदी हिस्सा PF अकाउंट में जमा करते हैं। इसी तरह सरकार भी कर्मचारी के अकाउंट में 10 फीसदी जमा करेगी। फिलहाल अभी तक इन बदलावों को लागू नहीं किया गया है।

ऐसा ही तरीका केंद्र से पहले आंध्र प्रदेश में वाईएसआर जगन मोहन रेड्डी ने ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर एक नया मॉडल पेश किया है। जिसपर अब केंद्र सरकार भी विचार कर रही है।

जगन मोहन रेड्डी द्वारा लाये गए नए मॉडल प्लान ओल्ड और नई पेंशन स्कीम (NPS) को मिला कर तैयार किया गया है। जहां वर्तमान में ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत अभ्यर्थियों को एक निश्चित राशि का भुगतान किया जाता है। नई पेंशन स्कीम में सरकार और कर्मचारी द्वारा निश्चित राशि शेयर बाजार में लगाई जाती है। आंध्र सरकार ने दोनों को मिला कर एक नया मॉडल तैयार किया है।

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OPS बहाली की मांग

गौरतलब है कि पूरे देश में NSP का विरोध हो रहा है और OPS कि बहाली की मांग हो रही है, जिसको लेकर कई ट्रेड यूनियनें लगातार प्रदर्शन कर रही हैं।

दरअसल, नई पेंशन योजना पूरी तरह से शेयर बाजार पर आधारित है। NPS के तहत कर्मचारी द्वारा पूरे कार्यकाल में इकट्ठा किए गए पैसे को शेयर बाज़ार में सट्टे पर लगा दिया जाता है। जिसके बाद पेंशन भोगियों को इस बात का पता ही नहीं होता को उनको कितनी पेंशन मिलेगी।

कुछ आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि NPS में पेंशन भोगियों को कई बार भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है।

कर्मचारियों का दावा है कि NPS के तहत पेंशन पाने वाले पूर्व कर्मचारियों को महज दो तीन हजार मिलते हैं जिसमें उनकी दवाएं भी पूरी नहीं पड़ती हैं। यही कारण है जिसको लेकर लगातार OPS को बहाल करने की मांग की जा रही है।

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