मानेसर: बेलसोनिका प्रबंधन ने काटा मज़दूरों का वेतन, यूनियन ने जताया रोष

हरियाणा के आईएमटी मानेसर स्थित बेलसोनिका कंपनी में प्रबंधन और मजदूरों के बीच तनाव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इस बार बेलसोनिका कंपनी में प्रबंधन द्वारा मज़दूरों के वेतन में भारी कटौती का मामला सामने आया है। इतना ही नहीं प्रबन्धन मज़दूरों को मिलने वाले साप्ताहिक अवकाश (रविवार) में भी बड़े बदलाव करने की रणनीति तैयार कर रहा है, जिसके चलते मज़दूरों पर रविवार को भी काम करने का लगातार दबाव बनाया जा रहा है।

गुरुवार को बेलसोनिका मज़दूर यूनियन से मिली जानकारी के मुताबिक मज़दूरों के वेतन में 500 रुपए से लेकर 12000 रुपए तक की कटौती की गयी है। जिसके कारण मज़दूरों में काफी रोष है।

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बेलसोनिका यूनियन के महा सचिव अजीत सिंह ने बताया कि मज़दूरों को मिलने वाले अक्टूबर 2022 के वेतन में प्रबंधन ने भारी कटौती की है। पुराने ठेका श्रमिक जो संस्था में 7-8 वर्ष से काम कर रहे हैं उनके वेतन में भी ₹500 से लेकर ₹5000 तक की कटौती की गई है। इतना ही नहीं कम्पनी में काम करने वाले नीम ट्रेनी जोकि 2-3 वर्ष के लिए रखे जाते है, अप्रैंटिस मज़दूर जोकि 1 वर्ष के लिए रखे जाते है और ठेका मज़दूर जोकि छह महीने के लिए कंपनी में काम करते हैं , जिनका प्रति महा 10000 रूपये से 14000 रुपए वेतन मिलता हैं, उनका वेतन अभी तक भी नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रबंधन के इस व्यवहार के कारण मज़दूरों में काफी रोष है।

अजीत ने बताया कि प्रबंधन इस कटौती के पीछे अटेंडेंस सिस्टम को क्रेश होना बता रहा है। प्रबंधन का कहना है कि अटेंडेंस सिस्टम क्रेश होने से सभी मज़दूरों के वेतन में से लगभग 1 -12 दिनों का वेतन काटा गया है।

साप्ताहिक छुट्टी में हुए बदलाव

दूसरी तरफ प्रबंधन ने मज़दूरों को मिलने वाले संडे के साप्ताहिक अवकाश को बदलने की नीति तैयार की है। बेलसोनिका यूनियन के प्रधान मोहिंदर कपूर ने बताया कि प्लांट के कुछ डिपार्टमेंट के मज़दूरों पर प्रबंधन इस बात का दबाव बना रहा है कि उन्हें रविवार को भी काम पर आना होगा और प्रबंधन अपनी मर्जी से सप्ताह के किसी अन्य दिन को उनको छुट्टी देगा। मोहिंदर का कहना है कि प्रबंधन द्वारा जानबूझकर दबाव बनाने के लिए मजदूरों को संडे में बुलाया जा रहा है और जो मज़दूर संडे को काम पर नहीं जा रहे है, उनके वेतन में भी भारी कटौती की जा रही है।

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इस मुद्दे पर यूनियन का कहना है कि यदि प्रबंधन मज़दूरों से संडे के दिन भी काम करवाना चाहता है, तो उनको इसके लिए मज़दूरों को कोई एक्स्ट्रा बेनिफिट देना चाहिए न कि उनके वेतन में कटौती करनी चाहिए।

मोहिंदर ने बताया कि इस सिलसिले में प्रबंधन मज़दूरों को पिछले 8-10 महीनों से लगातार परेशान कर रहा है और पिछले दो महीने से वेतन में भी कटौती कर रहा है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अटेंडेस सिस्टम क्रेश होने से लगभग सभी मजदूरों के वेतन में कटौती हुई है, लेकिन बेलसोनिका यूनियन के 8 बॉडी मेंबर्स और 14 अन्य मज़दूरों के वेतन में कोई कटौती नहीं की गयी है। इस संबंध में यूनियन का कहना है कि प्रबंधन की यूनियन के प्रति कोई सोची समझी साजिश है, जिससे वह मजदूरों की नजरों में यूनियन को गिरा सके।

इन सभी समस्याओं के चलते यूनियन के सदस्यों ने बेलसोनिका वर्कर्स यूनियन के फेसबुक पेज से लाइव वीडियो के माध्यम से मजदूरों को किसी भी तरह से उकसावे में आकर काम न करने की सलाह दी है। साथ ही श्रम विभाग को भी प्रबंधन की इन औद्योगिक अशांति के बढ़ाने की हरकतों पर रोक लगाने की मांग की है।

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गौरतलब है बेलसोनिका कंपनी में मज़दूरों के साथ हो रहे मानसिक शोषण के मामले लगातार सामने आते रहे हैं। बीते कुछ महीनों पहले कंपनी ने सुबह “ए” शिफ्ट में आने वाले पांच मज़दूरों का पंच कार्ड (हाजरी बंद) कर दिया था।

हालांकि प्लांट में ये पांचों मज़दूर काम कर रहे हैं। इन्हें पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था इस मुद्दे पर बेलसोनिका मज़दूर यूनियन का कहना था कि प्रबंधन मज़दूरों की छंटनी करने की तैयारी कर रहा है। साथ ही यूनियन ने प्रबंधन पर मज़दूरों का मानसिक और शरीरिक शोषण करने का भी आरोप लगाया था।

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इन सभी मुद्दों के विरोध में बेलसोनिका के मजदूरों ने 1 अगस्त को दो बार एक बार सुबह और दूसरा रात की शिफ्ट में टूल डाउन भी किया था।

जिसके बाद यूनियन नेताओं ने कहा कि ‘प्रबंधन अपनी तुच्छ हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा है। कम्पनी के अधिकारी रोज़ कोई न कोई आरोप लगा कर यूनियन को मज़दूरों की नज़र में बदनाम करना चाहते हैं।’

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