मोदी सरकार के अंतिम पूर्ण बजट पर क्या बोले विपक्षी नेता?

By शशिकला सिंह

आज मोदी सरकार ने अपने इस कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट पेश किया है। इनकम टैक्स में भारी छूट देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने इस बजट को अमृतकाल का पहला बजट कहा है।

दरअसल, इस साल 2023 में 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। फिर 2024 में आम चुनाव होंगे। इसे लेकर मिडिल क्लास को खुश करने की सारी कोशिशें इस बजट के माध्यम से की गयी हैं।

वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में 7 लाख रुपए तक की सालाना कमाई तक कोई इनकम टैक्स नहीं देने के ऐलान के बाद सदन में वाहवाही लूटने के बाद अब सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार के बजट पर विपक्ष ने टिप्पणियां शुरू कर दीं हैं।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने ट्विटर अकाउंट पर केंद्र के बजट को अच्छे दिन नौकरी के बिन बोला है। उन्होंने ट्वीट किया है कि मोदी सरकार का बजट जनता का, भाजपा पर लगातार गिरते विश्वास का सबूत है। ये केवल चुनाव को ध्यान रखकर बनाया बजट है, देश को ध्यान में रखकर नहीं।

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खड़गे ने यह भी लिखा है कि इस बजट में भयंकर बेरोज़गारी का हल ढूंढ़ने की कोई भी कोशिश नहीं की है।

खड़गे ने एक इंटरव्यू कहा कि “बजट 2-4 राज्यों के चुनाव को देखते हुए पेश किया गया है, यह बजट नहीं इलेक्शन स्पीच है उनकी जो भी बातें उन्होंने बाहर कही है वैसे जुमले इस बजट में डालकर इसका पुनरुच्चार किया है। ”

इसके अलावा खड़गे ने केंद्र के नए बजट को किसान विरोधी बताया है। उन्होंने ट्वीट किया कि “नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों के लिए बजट में कुछ नहीं दिया है। 2022 में किसानों की आय डबल करने का वादा किया था, उसको पूरा क्यों नहीं किया। MSP गारंटी कहां है? किसानों की अनदेखी चालू है। ”

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने सदन में बताया कि इस बजट में पीएम आवास योजना के खर्च को 66% बढ़ाकर 79,000 करोड़ रुपये से अधिक किया गया है। इसके अलावा अगले 3 सालों में, सरकार आदिवासी छात्रों को समर्थन देने वाले 740 एकलव्य मॉडल स्कूलों के लिए 38,800 शिक्षकों और सहायक कर्मचारियों को नियुक्त करने की तैयारी की है।

वहीं देश में विकास के नाम पर 50 नए एयरपोर्ट बनाए जाने की घोषणा भी की है। देश के एम बड़े किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने इसका विरोध किया है।

संगठन का कहना है कि Adani के लिये 50 एयरपोर्ट किसानों की ज़मीन पर बनेंगे। उनका आरोप है कि MSP मत दो ताकि खेती घाटे का सौदा रहे और किसान ज़मीन बेचने को मजबूर हो।

मोदी सरकार के बजट पर तंज कसते हुए SKM के सदस्यों का कहना है कि 80 करोड़ गरीबों के लिए सस्ते दामों पर 5 किलो अनाज भी चाहिए ताकि भुखमरी के शिकार मज़दूर #AdaniGroup के लिए दिन रात काम करें।

उल्लेखनीय है कि महामारी के दौरान शुरू हुई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) को दिसंबर 2023 तक के लिए बढ़ा दिया है। जिसके लिए 2 करोड़ का बजट रखा गया है।

अरविंद केजरीवाल ने बजट में दिल्ली वालों के साथ सौतेला बर्ताव करने का आरोप लगाया है।

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केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा है कि इस बजट में महंगाई से कोई राहत नहीं मिलेगी। उल्टे इस बजट से महंगाई बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि बेरोज़गारी दूर करने की कोई ठोस योजना नहीं है। शिक्षा बजट घटाकर 2.64% से 2.5 % करना दुर्भाग्यपूर्ण है। स्वास्थ्य बजट घटाकर 2.2% से 1.98% करना हानिकारक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली वालों के साथ फिर से सौतेला बर्ताव किया गया है। दिल्ली वालों ने पिछले साल 1.75 लाख करोड़ से ज़्यादा इनकम टैक्स दिया था। उसमें से मात्र 325 करोड़ रुपये दिल्ली के विकास के लिए दिए। ये तो दिल्ली वालों के साथ घोर अन्याय है।

इसके अलावा बजट पेश होने से पहले ही यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बी वी ने ट्वीट कर कहा, ”आज पेश होगा जनता का जीवन बेहाल करने वाली ‘मोदी सरकार’ का ‘अंतिम बजट’ संसद में पेश, अगले साल ‘अंतरिम बजट’ के साथ सरकार के ‘ताबूत’ में ठुकेगी ‘अंतिम कील’ और होगी धूमधाम से विदाई..”

आगामी चनावों की तैयारी करते हुए केंद्र ने अपने बजट में महिला वोटर्स को भी लुभाने का काम किया है।

निर्मला सीतारमन ने बताया कि महिला सम्मान बचत पत्र योजना शुरू होगी। इसमें महिलाओं को 2 लाख की बचत पर 7.5% का ब्याज़ मिलेगा। वरिष्ठ नागरिक खाता स्कीम की सीमा 4.5 लाख से 9 लाख की जाएगी।

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बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि ये बजट निल बट्टा सन्नाटा है, बिहार के लिए कुछ नहीं है। केंद्र में बिहार के जितने सांसद हैं, उन्हें शर्म से डूब जाना चाहिए। किसानों के लिए, रेलवे के लिए कुछ नहीं है। UPA की सरकार में बिहार को जितना दिया जाता था क्या इस सरकार ने दिया?

अपने 87 मिनट लंबे बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा, “वरिष्ठ नागरिकों की बचत योजना के तहत जमा राशि की अधिकतम सीमा को 15 लाख से बढ़ाकर तीस लाख रुपये किया जा रहा है।

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने अपने बजट में इस बात को साफ कर दिया है कि वो सच में मज़दूर विरोधी है। क्योंकि 2023 -24 के बजट में मज़दूरों के लिए न के बराबर आबंटन किया है।

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