रेलवे ने दो साल के लिए बेच दी एक ट्रेन

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मोदी सरकार ने सार्वजानिक क्षेत्र के उद्योगों को निजी हाथों में बेचने का जो सिलसिला शुरू किया था  उसे एक कदम और आगे बढ़ाते हुए अब पूर्वोत्तर रेलवे को भी पूरी तरह से निजी हाथों में बेच दिया है।

गौरतलब है कि भारतीय रेल को राष्ट्र की जीवन रेखा  अर्थात Life Line of the Nation भी कहते हैं। मोदी सरकार इस जीवन रेखा को पूरी तरह से निजी हाथों में सौंपने का मन बना लिया है।

ज्ञात हो कि  देश की आजादी की लड़ाई में रेलवे की महत्वपूर्ण भूमिका रही है और रेलवे में ही सबसे अधिक रोजगार के अवसर है।

भारत की पहली ‘निजी’ ट्रेन तेजस एक्सप्रेस के बाद अब नॉर्थ ईस्ट रेलवे की भारत गौरव ट्रेन को भी केंद्र सरकार ने दो साल के लिए बेच दिया गया है। भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (IRCTC ) ने एनई रेलवे से 15 कोच की ट्रेन लीज पर ली है। इसके लिए आईआरसीटीसी ने रेलवे को धरोहर राशि के रूप में एक करोड़ रुपये जमा भी कर दिए हैं।

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प्राइवेट में लीज पर रेल देकर मोदी सरकार भारत गौरव का ढोल पीट रही है। मोदी सरकार की डेढ़ साल की कड़ी मस्त के बाद ‘भारत गौरव’ (प्राइवेट) सीरीज की ट्रेन को आईआरसीटीसी ने एन.ई. रेलवे से एक करोड़ रूपये की धरोहर राशि लेकर लीज पर लिया है।

मजेदार बात है कि मोदी सरकार की ड्रीम प्रोजेक्ट भारत गौरव (उद्योगपतियों को रेल बेचकर चलाने की योजना) प्राइवेट रेल चलाने की योजना उद्योगपतियों और व्यापारियों को डेढ़ साल में भी रास नहीं आयी। कोई भी उद्योगपति या व्यापारी केवल वर्ष भर लाभ कमाने के उद्देश्य से ही व्यापार में कदम रखता है। जबकि भारत में रेलवे में कभी कम और कभी ज्यादा अवसर उतार-चढ़ाव रहता ही है।

भारत अब कल्याणकारी राज्य की अवधारणा से मुख मोड़ रहा है मोदी सरकार में। केवल सुविधाभोगी वर्गों के हितों के हिसाब से ट्रेनों को चला रहा है, और सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों के लिए कम ट्रेनों को चला रहा है।

भारत गौरव के रूप में यह ट्रेन एनई रेलवे की यह पहली ट्रेन होगी। कंपनी ने यह ट्रेन दो साल के लिए लीज पर ली है। इसमें स्लीपर, एसी-3 और एसी-टू के कुल 15 कोच लगाए जाएंगे।

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रेक मिलते ही आईआरसीटीसी इसे यात्रियों के डिमांड के अनुसार विभिन्न रूटों पर चलाएगा।

गौरतलब है कि जहां रेलवे के निजीकरण के विरोध में देशभर में प्रदर्शन किये जा रहे हैं। वहीं भारत का एक मात्र सरकारी हवाई सेवा को भी भारत सरकार ने बेच दिया और अब मोदी सरकार रेलवे के निजीकरण के सिलसिले में तेज़ी से कदम बढ़ा रही है।

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गौरतलब है कि रेलवे मंत्रालय की मंशा के अनुसार रेलवे के सभी स्टेशनों को डेवलपमेंट के नाम पर निजी हाथों में दिया जा रहा है। रेलगाड़ियों को स्पीड व सुविधाओं के नाम पर निजी लोगों को बेच दिया गया है। रेलवे के सभी कारखानों को PSU बनाकर, उनको भी बेचने की तैयारी लगभग पूरी कर ली गयी है।

जून 2017 में, हबीबगंज रेलवे स्टेशन का रेलवे मंत्रालय (भारत) द्वारा निजीकरण किया गया था और यह भारत का पहला निजी रेलवे स्टेशन बना। हबीबगंज रेलवे स्टेशन एक भोपाल शहर रेलवे स्टेशन और पश्चिम मध्य रेलवे का एक हिस्सा है।

ख़बरों के अनुसार 2023 तक 151 प्राइवेट ट्रैन चलाने के लिए सरकार ने हरी झंडी दे दी है। ये रेलगाड़ियाँ प्रमुख शहरों के बीच चलाई जाएँगी। ये कहाँ रुकेंगी, इसका निर्णय प्राइवेट लोग करेंगे। इनकी रफ़्तार तेज होगी, ये समय से चलेंगी। इनको चलाने के लिए निजी कंपनियों के ड्राइवर, गार्ड होंगे।

इनमें यात्रियों के लिए अधिक सुविधाएँ उपलब्ध करायी जाएँगी, जिसके लिए अधिक किराया वसूला जायेगा। ये एक शुरुआत है, आगे और भी प्राइवेट ट्रैन चलायी जाएँगी। ये ट्रेनें, वर्तमान में चल रही तेजस ट्रेनों के अतिरिक्त चलायी जाएँगी।

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