राजस्थान : प्राइवेट अस्पतालों की दादागीरी, सरकारी योजनाओं का लाभ न देने का किया ऐलान

जहां एक तरफ राजस्थान सरकार ने राज्य की जनता को बेहतर स्वास्थ सुविधाएं देने के लिए राइट टू हेल्थ बिल को लागू किया है। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश भर के प्राइवेट डॉक्टर बीते 21 मार्च के लगातार हड़ताल पर हैं।

27 मार्च को जयपुर की सड़कों पर प्राइवेट डॉक्टरों का हुजूम राइट टू हेल्थ बिल का विरोध करता नजर आया। इसके बाद अब उनके समर्थन में सरकारी डॉक्टर भी आगे आए हैं।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ ने प्राइवेट डॉक्टरों की हड़ताल को समर्थन देते हुए कल, 29 मार्च को पूरे दिन छुट्टी पर रहने की घोषणा की है। इससे प्रदेश के करीब 14 हजार सरकारी डॉक्टर छुट्टी पर रहेंगे। इससे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होने की आशंका है।

आखिर क्यों हो रही हड़ताल

उल्लेखनीय है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीते 21 मार्च को राजस्थान विधानसभा में राइट टू हेल्थ बिल को पारित किया था। इस संबंध में गजट नोटिफिकेशन जारी होते ही ये कानून बन जाएगा।

इस बिल के अनुसार राज्य में रह रहे सभी लोगों को स्वस्थ रहने का अधिकार दिया गया है। बिल में प्रावधान है कि कोई भी अस्पताल या डॉक्टर मरीज को इलाज के लिए मना नहीं कर सकता।

इसके अलावा इमरजेंसी में आए मरीज को कोई भी अस्पताल या डॉक्टर इलाज के लिए मना नहीं कर सकता। ऐसी स्थिति में मरीज का पहला इलाज किया जाएगा।

बाद में उनसे इलाज संबंधी पैसे का भुगतान लिया जाएगा और यदि किसी कारणवश मरीज या परिवारजन बिल का भुगतान करने में असमर्थता जताते हैं तो बकाया राशि का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा। इन सभी परिस्थियों में डॉक्टर इलाज से इनकार नहीं कर सकते हैं।

सरकार के इस बिल का विरोध करने वाले प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों की मांग है कि राइट टू हेल्थ बिल को तत्काल वापस लिया जाए।

डाक्टरों का कहना है कि इस बिल से प्राइवेट डॉक्टर के कमाने का अधिकार खत्म हो जाएगा। ऐसे डॉक्टर्स हॉस्पिटल और क्लीनिक कैसे चला पाएंगे?

हड़ताल का असर यह है कि जयपुर के कई प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। इसके कारण मरीज दर-दर की ठोकर खाने को मज़बूर हैं।

वहीं हड़ताली डॉक्टरों का कहना है कि जब तक इस बिल को वापस नहीं लिया जाता, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।

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क्या बोली सरकार

एक हफ्ते से जारी डॉक्टरों इस हड़ताल के जवाब में राज्य सरकार भी साफ कर चुकी है कि राइट टू हेल्थ को वापस नहीं लिया जाएगा।

इस संबंध में बीते रविवार, 26 मार्च को मुख्य सचिव उषा शर्मा और बाकी दूसरे अधिकारियों ने डॉक्टरों के साथ एक बैठक की। इसमें उन्होंने कहा कि ये बिल राज्य में लोगों के स्वास्थ्य अधिकारों को मजबूत करता है।

मुख्य सचिव ने ये भी कहा कि सरकार डॉक्टरों के सुझावों पर चर्चा करने को तैयार है। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि जब तक बिल वापस नहीं होता, तब तक कोई चर्चा नहीं होगी।

प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम सोसायटी के डॉ. विजय कुमार ने कहा कि ये बिल असंवैधानिक है और इसकी वापसी के बाद ही चर्चा की जाएगी।

गौरतलब है कि राजस्थान सरकार द्वारा लाया गया राइट टू हेल्थ बिल पूरी तरह मरीजों और उनके परिवार वालों के मौलिक अधिकारों के हक में है। लेकिन हड़ताल कर रहे डॉक्टरों की मंशा निजी अस्पतालों की दादागीरी को दर्शाती है।

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