उत्तराखंडः वन क्षेत्र में मजार तोड़ना वन अधिकार क़ानून का उल्लंंघन, संगठनों ने डीएफ़ओ से संविधान पालन करने को कहा

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उत्तराखंड सरकार द्वारा एक धर्म विशेष की धार्मिक संरचनाओं ध्वस्त किए जाने के मामले को लेकर विभिन्न संगठनों के एक प्रतिनिधिमंडल ने कार्बेट टाइगर रिजर्व के पार्क वार्डन अमित ग्वासीकोटी, तराई पश्चिमी वन प्रभाग के डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य तथा रामनगर वन प्रभाग की एसडीओ पूनम सैंथल से मुलाकात की।

इस दौरान अतिक्रमण हटाए जाने के नाम पर एक धर्म विशेष की धार्मिक संरचनाओं को निशाना बनाए जाने की कार्रवाई को संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन करार देते हुए इस पर तत्काल रोक लगाने व पारदर्शिता का अनुपालन करने की मांग की।

समाजवादी लोकमंच के मुनीष कुमार व उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के प्रभात ध्यानी ने साझा बयान जारी कर वन प्रशासन पर सांप्रदायिकता मानसिकता से काम करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि प्रशासन संविधान के अनुरूप नहीं बल्कि भाजपा सरकार के टूल के रूप में काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि कार्बेट टाइगर रिजर्व और कालागढ़ टाइगर रिजर्व में एक दर्जन धार्मिक संरचनाएं हैं जिनमें से 9 संरचनाएं तोड़ी गई हैं जो कि सभी मजारें हैं।

तराई पश्चिमी वन प्रभाग द्वारा शासन को भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि तराई पश्चिमी वन प्रभाग में दो दर्जन मंदिर, 14 मजारें व 2 गुरुद्वारे हैं परंतु अतिक्रमण के नाम पर मात्र मजारों को ही वहां से हटाया गया है।

वन गुर्जरों ने वन अधिकार कानून 2006 के अंतर्गत निजी एवं सामुदायिक दावे समाज कल्याण विभाग के समक्ष प्रस्तुत किए हुए हैं जिसको लेकर माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाई गई है कि जिन लोगों ने वनाधिकार के दावे डाले हुए हैं उनको ना हटाया जाए इसके बावजूद वन गुर्जरों के सामुदायिक दावों के अंतर्गत आने वाली मजार को भी हटा दिया गया है।

प्रतिनिधिमंडल ने प्रशासन से पारदर्शिता का अनुपालन करने और  वन भूमि पर जो भी चिह्नित अतिक्रमण है उसको सार्वजनिक करने की मांग की है।

साथ ही कहा है कि देश के संविधान में दर्ज समानता का अधिकार जिसमें कहा गया है कि कानून के समक्ष किसी भी व्यक्ति के साथ जाति, धर्म, लिंग, भाषा, क्षेत्र को लेकर भेदभाव नहीं किया जाएगा, इसका अनुपालन किया जाए।

प्रतिनिधि मंडल में प्रभात ध्यानी, मुनीष कुमार, खुर्शीद आलम, सलमान सलमानी, टीके खान, मुजाहिद ओवेसी, व केशन शर्मा आदि शामिल थे।

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One Comment on “उत्तराखंडः वन क्षेत्र में मजार तोड़ना वन अधिकार क़ानून का उल्लंंघन, संगठनों ने डीएफ़ओ से संविधान पालन करने को कहा”

  1. Asli majaar kisi ki kabr par banti hai. Aur ek hi aadmi ko kya 10 jagah dafnaoge? Isliye avedh majare todi ja rahi hein jo kewal Chanda vasooli ke liye bani hein.
    Hindoo mandir to kahi bhi banaya ja sakta hai kyoki Kan kan me bhagwaan hai aur sanatan dharam me to prakrti ki har cheej me bhagwaan hai. To compare na karein to behatar hai.

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