उत्तराखंड: जायडस वैलनेस कंपनी के धरनारत मज़दूरों के समर्थन में आई भाकपा माले, 139 दिनों से जारी है धरना

उत्तराखंड के सितारगंज स्थित औद्योगिक इलाके में कॉम्पलेन और ग्लूकोन-डी बनाने वाली कंपनी में अचानक क्लोज़र के खिलाफ जायडस वैलनेस इम्पलाइज यूनियन सम्बद्ध AICCTU और मज़दूरों का अनिश्चितकाल धरने आज भी जारी है।

बंदी के बाद बेरोज़गार हुए 1200 मज़दूर पिछले 139 दिनों से इस क्लोज़र को अवैद्य और गैरक़ानूनी घोषित किया जाने और मज़दूरों की कार्यबहाली की मांग को लेकर कम्पनी गेट पर धरना दे रहे हैं।

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मज़दूरों ने अपनी मांगों को लेकर आज हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में विशाल धरना प्रदर्शन का आयोजन किया। जिसमें भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) ने इस विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया। साथ ही प्रशासन से तत्काल मज़दूरों की मांगों को पूरा करने की मांग की।

‘उद्योंगों  के पलायन के लिए बीजेपी जिम्मेदार’

धरने को संबोधित करते हुए भाकपा माले राज्य सचिव राजा बहुगुणा ने कहा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के कारण से कई उद्योग श्रम कानूनों की धज्जियाँ उड़ाते हुए उत्तराखंड से पलायन कर रहे हैं। जिसका खामियाजा मज़दूरों को भोगना पड़ रहा है। उनका कहना है कि इसका ताज़ा उदाहरण जायडस वैलनेस सितारगंज फैक्ट्री के मज़दूर हैं।

बहुगुणा ने कहा कि जायडस वैलनेस प्रबंधन द्वारा की की गयी अवैद्य बंदी पर सरकार को रोक लगानी चाहिये और बेरोज़गार हुए 1200 मज़दूरों का तत्काल रोजगार सुनिश्चित करना चाहिए।

हाईकोर्ट के निर्देशों का नहीं हो रहा पालन

ज्ञात हो कि मज़दूरों ने अपनी मांगों का एक पत्र श्रम विभाग को सौंपा था, लेकिन जब मज़दूरों के पक्ष में कोई कारवाही नहीं हुई तो मज़दूरों ने अपनी मांगों का एक सामूहिक मांग पत्र नेनीताल हाई कोर्ट में लगाया। जिसकी सुनवाई बीते 9 सितम्बर को हुई थी। जिसमें कोर्ट ने साफ तौर पर इस क्लोज़र को गैरकानूनी ठहराया था, और श्रम सचिव को 30 दिन के भीतर अवैध घोषित कर तत्काल मज़दूरों को कार्यबहाल करने का निर्देश दिया था। लेकिन अभी तक प्रबंधन और प्रशासन की कोई कार्रवाही नहीं की गयी है।

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मज़दूरों का आरोप है प्रबंधन और प्रशासन अपने आप को कोर्ट से ऊपर समझ रहा है और हमारी मांगों की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
धरनारत मज़दूरों का कहना है कि प्रबंधन द्वारा की गई अवैध बंदी से हो रहे अधिकारों का हनन एवं शोषण नहीं सहेगें तथा वैधानिक कार्यवाही करने के लिये हमेशा तत्पर रहेंगे।

कब हुआ था प्लांट बंद

गौरतलब है कि जायडस वैलनेस कंपनी में बीते 17 जून को बिना किसी पूर्व सूचन के बंदी का नोटिस फैक्ट्री गेट में चस्पा किया गया था। जिसके बाद से मज़दूर लगातार धरना दे रहे हैं।

धरने पर बैठे मज़दूरों का कहना है कि इस गैरकानूनी बंदी के कारण हमारे परिवार सड़क पर आगये हैं। उनका कहना है कि हमारे पास आजीविका का और कोई माध्यम नहीं है। यही कारण है जो मज़दूर लगातार फैक्ट्री गेट से सामने धरना दे रहे हैं।

बुधवार को धरना स्थल पर भाकपा माले के जिला सचित कैलाश पाण्डे, प्रदेश महामंत्री AICCTU के के० बोरा, हरीश पनेरु (पूर्व राज्य मंत्री कांग्रेस), ललित मटियाली (कोषाध्यक्ष AICCTU) आदि मज़दूर संगठनों के सदस्यों ने भाग लिया।

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कार्यक्रम में उपरोक्त के अलावा धर्मेंद्र सिंह, भावना पंत, रंजना राणा दिलीप, दिपक सिंह, दिपक नयाल, मंगल सिंह, हरीश सिंह, चंदन बोरा, पूरन भाकुनी, भास्कर जोसी, भुवन, अनुज कोठारी, खुशहाल सिंह, बच्ची बिष्ट, मनोज सिंह, अंकित जोशी, दिनेश चंद्र, ईश्वर बोरा, त्रीभुवन, नवीन, संदीप राणा, कमल पाण्डे, मोहन कार्की, ललित पंत, मुकेश पंत, लोकेंद्र सिंह, गिरीश जोशी, दिवान जग्गी, अमित शर्मा। भरत सिंह आदि सौकड़ो जायडस मजदूर उपस्थित रहे।

(शशिकला सिंह द्वारा संपादित)

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