उत्तराखंड:घरों पर नहीं चलेगा बुलडोजर, HC के आदेश पर सुप्रीमकोर्ट ने लगाई रोक, सरकार और रेलवे को नोटिस जारी

उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपूरा में 4 हजार से अधिक परिवारों के  घरों पर  बुलडोजर चलाने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीमकोर्ट ने रोक लगा दी है। साथ ही उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार और भारतीय रेलवे को नोटिस जारी किया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि रेलवे का अपनी जमीन पर अधिकार है, लेकिन जो लोग वर्षों से वहां रह रहे हैं उनका पुनर्वास किया जाना चाहिए। आप उन्हें 7 दिन में जगह खाली करने के लिए नहीं कह सकते।

 

कोर्ट ने कहा कि  ये मानवीय मामला है। लोग 50 सालों से रह रहे हैं, उनके पुनर्वास के लिए भी कोई योजना होनी चाहिए। अदालत ने  कहा कि अब उस जमीन पर कोई कंस्ट्रक्शन और डेवलपमेंट नहीं होगा। हमने इस पूरी प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई है। केवल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई है।

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लाइव लॉ  ने लिखा है कि, जस्टिस ओका ने उच्च न्यायालय के निर्देशों पर आपत्ति जताते हुए कहा, “यह कहना सही नहीं होगा कि वहां दशकों से रह रहे लोगों को हटाने के लिए अर्धसैनिक बलों को तैनात करना होगा।” इस मामले में अगली सुनवाई अब 7 फरवरी को होगी।

हल्द्वानी में घरों के अलावा, लगभग आधे परिवार भूमि के पट्टे का दावा कर रहे हैं। इस क्षेत्र में चार सरकारी स्कूल, 11 निजी स्कूल, एक बैंक, दो ओवरहेड पानी के टैंक, 10 मस्जिद और चार मंदिर हैं।  इसके अलावा दशकों पहले बनी दुकानें भी हैं।

दैनिक भास्कर  की रिपोर्ट के अनुसार, बेंच ने कहा कि, निश्चित तौर पर जमीन रेलवे की है तो उसे इसे डेवलप करने का अधिकार है, लेकिन अगर इतने लंबे समय से इतने ज्यादा लोग वहां पर रह रहे हैं तो उनका पुनर्वास जरूर किया जाना चाहिए। लोग दावा कर रहे हैं कि वो 1947 के बाद यहां आए थे। ये प्रॉपर्टी नीलामी में रखी गई थी। डेवलपमेंट कीजिए और पुनर्वास की मंजूरी दी जानी चाहिए। आप 7 दिन में जमीन खाली करने के लिए कैसे कह सकते हैं? इन लोगों की किसी को तो सुननी ही पड़ेगी। हो सकता है कि दावा कर रहे सभी लोग एक जैसे न हों। कुछ अलग कैटेगरी के हों। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनके लिए मानवीय पहलू के तहत विचार करने की जरूरत है। अभी हम हाईकोर्ट के आदेशों पर रोक लगा रहे हैं। यहां कोई नया निर्माण या विकास नहीं होगा।

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