असम में आदिवासी मज़दूरों का संघर्ष जारी, घाटी में धारा 144 लागू

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असम के कछार जिले के डोलू चाय बागान में आदिवासी मज़दूरों का लगातार  प्रदर्शन जारी है। सिल्चर घाटी में धारा 144 लागू कर दी गई है ।

असम मोजुरी श्रमिक संघ (AMSU) के महासचिव मृणाल कांति शोम को पुलिस द्वारा बिना सुचना के 22 मई को गिरफ्तर कर लिया गया है।

इस गिरफ्तरी के विरोध में सोमवार को स्थानीय लोकतांत्रिक समूह के मज़दूरों ने जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय के सामने सामूहिक रैली नकली गई।

सिलचर के अधिकारियों का कहाना है कि पुलिस अधीक्षक (SP) उनसे मिलना चाहते थे। जिस वजह से रविवार दोपहर करीब 3 बजे कांति शोम को उसके घर से गिरफ्तार किया गया था।

हालांकि, एसपी कार्यालय ले जाने के बाद कांति शोम को पुलिस स्टेशन ले जाया गया जहां पुलिस द्वारा उसकी चिकित्सा परीक्षण प्रक्रियाओं को शुरू किया गया।

संगठनों की मागें और विचार

AMSU के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को सिलचर के उपायुक्त को लालबाग और मोइनागढ़ डिवीजनों के टीई कर्मचारियों के सामने आने वाली “जबरदस्त आर्थिक कठिनाई” के बारे में एक पत्र सौंपा।

30 लाख चाय की झाड़ियों और हजारों पेड़ उखड़ने के बाद आदिवासी मज़दूरों की आय का मुख्य स्रोत खो जायेगा।

AMSU ने पत्र में कहा, “धारा 144 की घोषणा के कारण, वे अपनी श्रम-रेखा तक ही सीमित हैं और खराब मौसम और बाढ़ की स्थिति ने भी बिना किसी दैनिक कमाई के उनके कारावास को बढ़ा दिया है।”

AMSU से अरूप बैशवा ने बताया कि, “पुलिस ने अभी भी उनकी हिरासत का कारण नहीं बताया है और न ही उनकी गिरफ्तारी की पुष्टि की है।”

स्थानीय ट्रेड यूनियन नेता, डोलू टी एस्टेट आदिवासी मज़दूरों के साथ मिलकर ग्रीनफ़ील्ड हवाईअड्डा परियोजना के विरोध में काम कर रहे थे। उनका कहना है कि इस परियोजना के आने से आदिवासी मज़दूरों की आजीविका बुरी तरह प्रभावित हो जाएगी।

हाल ही में, अन्य आदिवासी समूहों जैसे ऑल इंडिया यूनियन ऑफ फॉरेस्ट वर्किंग पीपल (AIUFWP) और भूमि अधिकार आंदोलन ने भी मज़दूरों के समर्थन में आवाज उठाई है।

AMSU ने कहा, “आदिवासी मज़दूरों के साथ जुड़े हुए नेताओं की गिरफ्तारी जन आंदोलनों की ताकत को भंग करने का एक सरकारी नीति है।”

ATTSA कार्यकर्ता ने कहा कि, “चाय जनजाति समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले भाजपा के नेता चाय जनजाति समुदाय पर हो रहे अत्याचार के बाद चुप क्यों हैं।”

सबरंग इंडिया के मुताबिक, जिला पुलिस अधीक्षक ने कहा कि, “सीमांकन कार्य जारी रहने तक कर्मियों को तैनात किया जाता है। इसके लिए मानक संख्या में लोग हैं।”

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डोलू गार्डन की 2500 बीघा ज़मीन को एयरपोर्ट निर्माण करने का निर्णय लिया गया था। इस अभियान के कारण चाय बागानों में काम करने वाले लगभग 2000 आदिवासी मज़दूरों के परिवारों को अपनी आजीविका को बचने के लिए लगातार प्रदर्शन कर रहें हैं।

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