दिल्ली सरकार ने न्यूनतम मज़दूरी का प्रस्ताव पेश किया, निजी अस्थाई कर्मचारियों की सैलरी 14 से 18 हज़ार करने की मंशा

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By रवींद्र गोयल

दिल्ली सरकार के न्यूनतम मज़दूरी बढ़ाने संबंधी निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली सरकार ने एक 4 सदस्यों की समिति बनायी।

तय हुआ कि यह समिति दिल्ली में महंगाई का जायजा लेगी और अपनी रिपोर्ट एक सप्ताह में देगी।

यह रिपोर्ट ही दिल्ली में न्यूनतम मजदूरी का नया आधार बनेगी।

निजी कंपनियों में अस्थाई कर्मचारियों की सैलरी में 53% और दिल्ली सरकार के अधीन काम करने वाले अस्थाई कर्मचारियों की सैलरी में 11% की बढ़ोत्तरी प्रस्तावित की गई है।

अब समिति ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। उसकी सिफारिशों के अनुसार, न्यूनतम मज़दूरी 14 हज़ार से 18 हज़ार के बीच होगी।

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न्यूनतम मज़दूरी कुछ इस प्रकार होगी

अकुशल श्रमिक -14,842 रुपया प्रति माह

अर्ध कुशल श्रमिक – 16,341 रुपया प्रति माह

कुशल श्रमिक – 17,991 रुपया प्रति माह

सुपरवाइजरी और क्लर्क कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मजदूरी

मैट्रिक से कम पढ़े कर्मचारी – 16,341 रुपया प्रति माह

कर्मचारी जो स्नातक नहीं हैं -17,991 रुपया प्रति माह

कर्मचारी जो ग्रेजुएट या उससे ऊपर की डिग्री रखते हैं – 19,572 रुपया प्रति माह

इन सुझावों पर 11 जनवरी २०19 तक दिल्ली सरकार ने सुझाव आमंत्रित किए हैं।

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दिल्ली में 55 लाख अस्थाई वर्कर

एक अनुमान के अनुसार, दिल्ली में 55 लाख अस्थाई कर्मचारी निजी कंपनियों में काम करते हैं।

वर्तमान में निजी कंपनियों में न्यूतम मज़दूरी, अकुशल के लिए 9.724 रुपये, अर्द्ध कुशल के लिए 10,764 और कुशल के लिए 11,830 रुपये प्रति माह निर्धारित है।

श्रम विभाग के अनुसार, जनवरी में दिल्ली न्यूनतम मज़दूरी सलाहकार परिषद इस प्रस्ताव पर आए सुझावों पर विचार करेगी।

इन सुझावों के मद्देनज़र दिल्ली में न्यूनतम मज़दूरी निश्चित की जाएगी।

उम्मीद की जानी चाहिए कि अब तय की गई मज़दूरी में कोई कानूनी दांव पेंच से रोक नहीं लगा पाएगा।

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