Big News: ओडिशा में सरकारी विभागों से ठेका प्रथा ख़त्म, 57000 ठेका कर्मी होंगे परमानेंट, सोमवार को अधिसूचना

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ओडिशा सरकार ने पूरे राज्य से  सरकारी विभागों में ठेका प्रथा को हमेशा के लिए खत्म करने का ऐतिहासिक फैसला लेकर बाकी राज्यों पर दबाव बढ़ा दिया है।

शनिवार को  मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने एलान किया कि राज्य सरकार के अंतर्गत 57000 कर्मचारियों को परमानेंट कर दिया जाएगा और आगे से राज्य सरकार ठेका कर्मियों की भर्ती नहीं करेगी।

स्थानीय खबरों के अनुसार, सरकारी विभागों में लगे हज़ारों ठेका कर्मियों में जश्न का माहौल है। सैकड़ों संविदा कर्मचारियों ने भुवनेश्वर में एसोसिएशन कार्यालय के सामने पटाखे फोड़कर निर्णय का जश्न मनाया।

इस फैसले की अधिसूचना कल सोमवार को जारी की जाएगी। सीएम ने मंत्रिमंडल के फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि राज्य से संविदा भर्ती प्रणाली को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया गया है।

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ठेका प्रथा ख़त्म

उन्होंने कहा, “आज भी, कई राज्यों में कोई नियमित भर्तियां नहीं होती हैं और वे अभी भी संविदा भर्ती प्रणाली के साथ जारी हैं। लेकिन ओडिशा में, संविदा भर्ती का युग समाप्त हो गया है।” 

नवीन पटनायक ने कहा कि 57,000 से अधिक कर्मचारी लाभान्वित होंगे। सरकार हर साल लगभग 1300 करोड़ रुपये अधिक खर्च करेगी।” पटनायक का 16 अक्टूबर को जन्मदिवस भी है।

ओडिशा मंत्रिमंडल के इस फैसले का कर्मचारी यूनियनों ने स्वागत किया है।  ओडिशा ही नहीं देश भर की ट्रेड यूनियनें और केंद्रीय ट्रेड यूनियनें हर तरह के और हर विभाग में ठेका प्रथा को खत्म करने की मांग लंबे समय से कर रही हैं।

दो दिन पहले ही ट्रेड यूनियनें और संविदा कर्मचारी संघ ने सीएम नवीन पटनायक से मिलकर ठेका प्रथा खत्म करने की मांग की थी।

हालांकि राज्य में निजी क्षेत्रों, खदानों, प्राईवेट पॉवर प्लांटों, फैक्ट्रियों, कारखानों में धड़ल्ले से जारी ठेका प्रथा राज्य से कब खत्म होगी, इस पर अभी कोई भी कुछ भी बोलने को राजी नहीं है।

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बाकी राज्यों पर बढ़ा दबाव

गौतलब है कि दिल्ली में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने ठेका कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था और चुनाव में उन्हें भरपूर समर्थन भी मिला, लेकिन आठ साल बाद भी दिल्ली में सरकारी विभागों के ठेका कर्मचारियों को नियमित नहीं किया जा सका।

वहीं देश के 18 राज्यों में राज कर रही बीजेपी और केंद्र में सर्वे सर्वा नरेंद्र दामोदर दास मोदी पर कर्मचारियों को परमानेंट करने का दबाव बढ़ गया है क्योंकि 2024 का चुनाव करीब आ रहा है और आर्थिक मोर्चे से लेकर ऐतिहासिक स्तर पहुंच चुकी महंगाई बेरोजगारी की समस्या से जूझ रही है।

बड़े राज्यों में यूपी, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक में सरकारी विभागों में खासकर स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में परमानेंट नौकरियों को लगभग खत्म कर दिया गया है। वहां भी  ये मांग लंबे समय से हो रही है।

इसी तरह ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल किए जाने की मांग सतह के नीचे जोर पकड़ रही है, रेलवे कर्मचारियों, आर्डनेंस फैक्ट्रियों और केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारी इसकी मांग कर रहे हैं। राजस्थान सरकार के बाद झारखंड में पुरानी पेंशन स्कीम लागू होने से बाकी सरकारों पर इसे लागू करने का दबाव बढ़ गया है।

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