फ्रांस में पेंशन नीति बदलने के ख़िलाफ़ ऐतिहासिक रैली, पेरिस की सड़कों पर उतरे 11 लाख कर्मचारी

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों द्वारा बनाई गई नई पेंशन नीति के खिलाफ देशभर में भारी विरोध हो रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरुवार को फ्रांस की सड़कों पर 11 लाख के ज्यादा कर्मचारियों ने ऐतिहासिक प्रदर्शन किया है।

इस हड़ताल में 70 फीसदी प्राथमिक स्कूलों के शिक्षक भी शामिल हुए। कहा जा रहा है कि एक दशक बाद फ्रांस में कर्मचारियों मज़दूरों का इतना विशाल प्रदर्शन हुआ है।

दरअसल, नई योजना के तहत साल रिटायरमेंट की उम्र 62 से बढ़ाकर 64 करने की योजना है। कर्मचारी यूनियनों का कहना है कि सरकार बुज़ुर्गों से भी काम कराना चाहती है और नौजवानों के लिए रोज़गार के अवसर नहीं मुहैया करा रही है।

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टेलीग्राफ़ के एक पत्रकार ने अलजजीरा से कहा कि सरकार कर्मचारियों से 62 साल के बाद भी काम कराना चाहती है और युवाओं को रोज़गार के अवसर नहीं देना चाहती।

वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की सरकार का कहना है कि उम्र सीमा बढ़ाकर वह पेंशन सिस्टम को बचाना चाहती है। लेकिन देश के सभी प्रमुख कर्मचारी संगठन इस फैसले को मानने से इंकार कर रहे हैं।

जिसके विरोध में गुरुवार, 19 जनवरी को विशाल प्रदर्शन किया गया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई।

इस हड़ताल के कारण पेरिस के सार्वजनिक परिवहन को ठप किया गया है।

गौरतलब है कि 2019 में जब दुनियाभर में कोरोना महामारी का कहर था उस दौरान मैक्रों के पेंशन नीति के की कोशिशें रुक गई थीं।

पूरी दुनिया में पेंशन का मुद्दा कर्मचारियों के लिए बहुत अहम रहा है। भारत में भी पेंशन को लेकर इस समय बहस तेज हो गई है। कर्मचारी यूनियनें पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने की मांग कर रहे हैं और क़रीब चार राज्यों ने अपने यहां पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने का आदेश भी पारित कर दिया है।

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