पेंशन में छेड़छाड़ को लेकर फ्रांस में प्रदर्शन और तेज़ हुए, सांसत में मैक्रों

जहां एक तरफ फ्रांस में नई पेंशन योजना के विरोध में बीते दो महीनों से लाखों लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पेंशन सुधार को लागू करने में जल्दबाजी दिखते हुए इस प्रस्ताव को पारित कराने की प्रक्रिया पूरा कर लिया है।

फ्रांस 24 के मुताबिक, मैक्रों ने राष्ट्रपति को मिले विशेष आपातकालीन अधिकार का इस्तेमाल करते हुए सीनेट में यह प्रस्ताव पारित कराने की प्रक्रिया पूरी की। मैक्रों के इस फैसले से उनके राजनीतिक हलकों से लेकर आम जनता तक विरोध की लहार दौड़ गयी।

इस दौरान फ्रांस के अलग-अलग शहरों में लाखों की संख्या में लोगों ने सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किये। इस दौरान पुलिस वालों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा भी हुई।

दरअसल, फ्रांस में नए पेंशन मानकों के अनुसार देश में सरकारी कर्मचारियों के रिटायर होने की उम्र 62 से बढ़ कर 64 वर्ष किया जा रहा है। इस संबंधन में प्रधानमंत्री इलिसाबेथ बॉर्न ने गुरुवार को एलान किया था कि राष्ट्रपति ने विशेष संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल कर रिटायरमेंट की नई उम्र को लागू करने का फैसला किया है।

गौरतलब है कि इस बिल पर अभी नेशनल असेंबली में मतदान नहीं हुआ था। इस सदन में राष्ट्रपति की पार्टी अल्पमत में है।

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मज़दूर नेताओं में आक्रोश

प्रधानमंत्री की इस घोषणा के बाद मजदूर नेताओं ने देश भर में विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का अह्वान कर दिया। गुरुवार रात से ही पेरिस में लोग जुटने शुरू हो गए थे। शुक्रवार को भी विरोध प्रदर्शन जारी रहे।

ट्रेड यूनियन सीएफडीटी के नेता लौरां बर्गर ने एक बयान में कहा कि सरकार ने विशेष संवैधानिक अनुच्छेद 49.3 का सहारा लेकर यह दिखा दिया है कि उसके पास रियाटरमेंट उम्र दो साल बढ़ाने के प्रस्ताव को पारित कराने लायक समर्थन संसद में नहीं है।

ट्रेड यूनियन सीजीटी के प्रमुख फिलिप मार्तिनेज ने एलान किया कि अब देश में और भी अधिक बड़े पैमाने पर हड़तालें आयोजित की जाएंगी।

संसद में राष्ट्रीय रैली सांसदों के नेता मरीन ले पेन ने पेंशन में बदलाव को आगे बढ़ाने के फैसले को ‘सरकार के लिए पूरी तरह विफल’ कहा।

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, संसद भवन के पास प्लेस डे ला कॉनकॉर्ड में अशांति के दौरान पुलिस ने दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया बीबीसी ने कहा कि शुक्रवार को अन्य फ्रांसीसी शहरों में भी विरोध प्रदर्शन हुए – विशेष रूप से बोडरे, टूलॉन और स्ट्रासबर्ग में।

एएफपी का बयान

एक प्रदर्शनकारी ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, “हम हार नहीं मानेंगे. अभी भी उम्मीद है कि सुधार को रद्द किया जा सकता है।” एक अन्य ने रॉयटर्स को बताया कि बिना वोट के कानून को आगे बढ़ाना ‘लोकतंत्र का तिरस्कार है .. कई हफ्तों से सड़कों पर जो कुछ हो रहा है, उससे पूरी तरह इनकार है।

सरकार ने कहा है कि पेंशन में बदलाव यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि सिस्टम पर अत्यधिक बोझ न पड़े और इसे ढहने से रोका जा सके। लेकिन संघ के सदस्यों सहित कई लोग असहमत हैं और फ्रांस ने अब इस मुद्दे पर दो महीने से अधिक की गरमागरम राजनीतिक बहस और हड़ताल देखी है।

गौरतलब है कि मैक्रों की पेंशन सुधार योजना के खिलाफ जनवरी के मध्य से ही फ्रांस में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी रहा है। एक दिन लगभग 25 लाख लोग प्रदर्शन में शामिल हुए थे। उधर परिवहन और शिक्षा क्षेत्र में हड़तालों के कारण कामकाज बाधित रहा है। लेकिन अब इस बिल को पारित कराने के लिए अपनाए तरीके को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है।

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