ब्रिटेन: नए साल की शुरुआत रेलवे हड़ताल से, जनता में बढ़ा हड़तालों को समर्थन

ब्रिटेन में हड़तालों का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, रेल कर्मचारियों ने एक बार फिर से हड़ताल शुरू कर दिया है। ब्रिटेन में रेल, मैरीटाइम और ट्रांसपोर्ट यूनियन (आरएमटी) के  सदस्यों के साथ 14 रेल ऑपरेटरों ने बीते मंगलवार और गुरुवार को 48 घंटे के हड़ताल पर चले गये थे जबकि एस्लेफ यूनियन के ड्राइवरों ने भी गुरुवार को  हड़ताल शुरू किया।

गौरतलब है कि वेतन और कार्य की स्थितियों को लेकर लंबे समय से जारी विवाद के कारण ब्रिटेन की लगभग आधी रेलवे लाइन बंद हैं और केवल 20 फीसदी सेवाएं चालू हैं।

यूनियन का आरोप है कि  सरकार रेल नौकरी की सुरक्षा, अच्छे और  बेहतर काम करने की स्थिति पर एक स्वीकार्य योग्य प्रस्ताव देने से रेल ऑपरेटरों को रोक रही है। वहीं, परिवहन सचिव मार्क हार्पर ने यूनियन के नेताओं से बातचीत का आग्रह किया और कहा कि सरकार ने ‘बहुत उचित वेतन प्रस्ताव’ दिया है। लेकिन यूनियन अध्यक्ष मिक लिंच ने कहा कि अधिकारियों ने कोई नया प्रस्ताव नहीं रखा और सुझाव दिया है कि सरकार एक समझौते को रोक रही है।

यहां  आप जनवरी 2023 में  अलग-अलग क्षेत्र के प्रस्तावित हड़तालों की तारीख देख सकते हैं।

बता दें कि, दिसंबर में उच्च वेतन की मांग को लेकर नर्सों, एयरपोर्ट के कर्मचारियों, एंबुलेंस और बस चालकों और डाक कर्मियों ने नौकरी छोड़ दी थी।

एक सर्वे के मुताबिक ,  यूके में नर्सों, शिक्षकों, रेल कर्मियों और डाक विभाग के कर्मचारियों के द्वारा किये जा रहे हड़तालों को  जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है। ऐसे में तमाम सरकारी दावे और प्रचार  सिर्फ  एक प्रोपोगेन्डा साबित हो रहे हैं। ऊपर के ट्विट में आप चार्ट देख सकते हैं  कि ब्रिटेन की जनता का समर्थन लगातार इन हड़तालों के लिए बढ़ा है।

बता दें कि खुद रेल, मैरीटाइम और ट्रांसपोर्ट यूनियन (RTM) की सदस्यों की संख्या 40,000 है।  आरटीएम के जनरल सेक्रेटरी मिक लिंच का कहना है कि जब भी सरकार से आमने-सामने एक समझौते पर  बात होती है , तो वह चुपचाप सारी बातें सुनती है, लेकिन करती कुछ भी नहीं।

ख़बरों के अनुसार इन हड़तालों के कारण ब्रिटेन के  पर्यटन उद्योग को सिर्फ दिसंबर के महीने में 1.5 बिलियन पाउंड का नुकसान हुआ है। इस नुकसान का आरोप मिक लिंच पर लगा है , लेकिन  लिंच ने कहा कि इन हड़तालों के लिए सरकार  ही  जिम्मेदार है।  उन्होंने कहा कि ब्रिटेन  में कर्मचारियों को उचित वेतन मिल रहा है और यहां के ज्यादातर कर्मचारी जॉब सिक्यूरिटी चाहते हैं। उन्होंने कहा यहां कर्मचारियों को अवकाश भत्ता, बीमारी भत्ता तक नहीं मिलता, वे बहुत साधारण कर्मचारी हैं और उनके भी टर्म्स एंड कंडीशन हैं।

ये भी पढ़ें-

अल्ज़ज़ीरा वेबसाइट  की रिपोर्ट के मुताबिक लिंच ने कहा कि, ‘हम सरकार से  यह सुनना चाहते हैं कि वह  हमें क्या प्रस्ताव देना चाहती है।’

वहीं, एल्सेफ यूनियन के महासचिव मिक व्हेलन ने कहा  कि,  यूनियन लंबी  दौड़ के लिए  इसमें है, दरअसल हम कभी स्ट्राइक पर जाना नहीं चाहते, लेकिन कंपनियों ने हमें मजबूर किया है ऐसा करने के लिए। व्हेलन  का आरोप है कि यूनियन से जुड़े कर्मचारियों को एक नया पैसा भी नहीं दिया और  न ही  अप्रैल 20 19  से लेकर अब तक उनकी सैलेरी में कोई वृद्धि हुई है।

गौरतलब  है कि ब्रिटेन में  रेल  संचालन प्राइवेट ऑपरेटरों  के हाथों में हैं, यूनियन का कहना है कि रेल कंपनियां लगातार मुनाफ़ा कमाती है इन कर्मचारियों के कारण लेकिन बदले में उन्हें कुछ नहीं मिलता है।

ये भी पढ़ें- 

पहले कोविड लॉकडाउन और उसके बाद  रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण  वैश्विक आर्थिक मंदी के चलते ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति कमज़ोर हो गयी है, वहां हालात बहुत कठिन हो गये हैं ऐसे में वहां  चुनाव भी हुए और चुनी हुई प्रधानमंत्री लिज  ट्रस  ने जब  इन संकटों से डर कर अपने पद से इस्तीफा दिया तब  एशियन मूल के ऋषि सुनक को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। तब से ब्रिटेन में  हड़तालों का यह दौर और तेज हो गया।

गौरतलब  है कि ब्रिटेन की तीसरी महिला प्रधानमंत्री लिज ट्रस का कार्यकाल छोटा लेकिन बड़ी मुसीबतों से भरा रहा। आर्थिक मुसीबतों के संघर्षपूर्ण दौर में उन्हें पैंतालीस दिन के भीतर कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।

वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें

(वर्कर्स यूनिटी के फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर सकते हैं। टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)

 

 

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.