उत्तराखंड: नाराज आशा वर्करों का धरना-प्रदर्शन जारी, मुख्यमंत्री पर वादा खिलाफी का लगा आरोप

ASHA WORKERS

शासनादेश जारी नहीं होने से आक्रोशित आशा वर्कस का कार्य बहिष्कार पिछले करीब एक हफ्ते से जारी है। आशा वर्कर ने विधानसभा चुनाव में सरकार को जबाब देने की बात कही है।

हल्द्वानी में महिला अस्पताल में धरने प्रदर्शन के दौरान उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की अध्यक्ष कमला कुंजवाल ने कहा कि आशा वर्करों ने उत्तराखण्ड राज्य की बदहाल हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था को अपने दम पर जी जान से चलाकर ताकत दी है।

लेकिन अफसोस की बात है कि आशाओं को प्रदेश की धामी सरकार सम्मानजनक मानदेय देने के अपने वादे पर कायम नहीं रह पायी है।

एलडी भट्ट सरकारी अस्पताल परिसर में आशा हेल्थ वर्कर्स ने कार्य बहिष्कार कर धरना दिया। संगठन की जिलाध्यक्ष ममता पानू ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आशा हेल्थ वर्कर्स के साथ वादा खिलाफी की है। खटीमा में 31 अगस्त को मांगें पूरी करने के लिए बीस दिन का समय मांगा था, लेकिन वादा पूरा करना भूल गए। यह मुख्यपंत्री की गरिमा के विपरीत है।

उन्होंने कहा कि आशा हेल्थ वर्कर्स आशाओं को डरा धमका कर उनसे कागजों पर हस्ताक्षर करा रही हैं। कानूनी डर दिखा रही हैं, जो निंदनीय है।
उन्होंने कहा कि अधिकारियों की यह हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस दौराना आशाओं ने जमकर नारेबाजी की।

वहीं दूसरी तरफ 12 सूत्री मांगों के पूरा न होने से आशा कार्यकर्ताओं में आक्रोश है। नाराज आशा कार्यकर्ताओं ने पिथौरागढ़ में सरकार के खिलाफ धरना दिया तो डीडीहाट में रैली निकाली।

साथ ही, जाटी (बाजपुर) में उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन से जुड़ी आशाओं ने रविवार को भी कार्य बहिष्कार कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में धरना-प्रदर्शन कर मांगों के समर्थन में आवाज बुलंद की।

इस दौरान आशा वर्करों के साथ किया गया वादा पूरा करते हुए सरकारी कर्मचारी का दर्जा व न्यूनतम 21 हजार रुपये वेतन लागू करने, जब तक मासिक वेतन और कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलता तब तक अन्य स्कीम वर्कर्स की तरह मासिक मानदेय फिक्स करने, सेवानिवृत्त होने पर पेंशन का प्रावधान करने समेत 12 सूत्रीय मांगों के समर्थन में नारेबाजी करते हुए आवाज बुलंद की गई।

इसके अलावा जेएनएन, चम्पावत में मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर रविवार को भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। कलक्ट्रेट समेत सभी तहसील मुख्यालयों में धरना देते हुए उन्होंने अपनी मांगों को प्रमुखता से उठाया।

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