200 से ज्यादा किसान संगठनों ने किया सरकारी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन, कल भी होगा विरोध

देशभर के 200 से ज्यादा किसान संगठनों ने 27 मई को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले सरकारी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया। विरोध करने वाले संगठनों की इकाइयों ने प्रधानमंत्री के नाम खुला पत्र अधिकारियों के माध्यम से भेजा। विरोध प्रदर्शन 28 मई को भी किया जाएगा।

पहले दिन मजदूर किसान मंच की सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली, मऊ आगरा, लखनऊ इकाइयों ने लॉकडाउन के नियमों पालन करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से प्रधानमंत्री को मांग पत्र भेजा। कई जिलों में कल भी मांग पत्र दिया जाएगा।

इस मौके पर प्रदर्शनकारी किसानों को संबोधन में मजदूर किसान मंच के अध्यक्ष एसआर दारापुरी ने कहा कि मोदी सरकार अब तक कि सबसे ज्यादा किसान, मजदूर विरोधी सरकार साबित हुई है।

कोरोना महामारी के इस संकटकालीन समय में भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ किसानों और मजदूरों को अपने भीमकाय 20 लाख करोड़ के पैकेज में एक पैसा देना इस सरकार ने स्वीकार नहीं किया।

उलटे कृषि के कारपोरेटाइजेशन के जरिए वित्तमंत्री ने भारतीय खेती किसानी की बर्बादी का ही रास्ता ही खोल दिया। देश के बिजली, रक्षा, कोयला आदि सार्वजनिक उद्योगों व संपत्तियों को बेचने का निर्णय लिया।

मंच के महासचिव डॉ.बृजबिहारी हद यह है कि सरकार ने इस संकट में पांच हजार रुपए हर गरीब को देने की तमाम संगठनों द्वारा उठाई जा रही न्यूनतम मांग तक को नहीं माना।

मनरेगा में दिए चालीस हजार करोड़ से मौजूदा जाबकार्डधारी परिवारों को महज दो दिन ही रोजगार मिल सकता है। यही वजह है कि प्रदेश में आमतौर पर मनरेगा में कराए जा रहे काम की मजदूरी बकाया है।

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