बिहार क्वारंटाइन केंद्रों की दुर्दशा का विरोध किया तो खानी पड़ी पुलिस की लाठी, एक मज़दूर का हाथ टूटा

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By रूपेश कुमार सिंह, स्वतंत्र पत्रकार

शनिवार को बांका क्वारंटाइन केंद्र में अव्यवस्था को लेकर  हुए प्रदर्शन के बाद पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया जिससे एक मज़दूर का हाथ टूट गया और कई अन्य घायल हो गए।

बाहरी राज्यों से बिहार पहुंचे मज़दूरों को 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन केंद्रों पर रखा जा रहा है लेकिन अव्यवस्था के चलते प्रशासन को मज़दरों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन का सारे इंतज़ाम नाकाफ़ी साबित हो रहे हैं।

8 मई को एक तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुख्य सचिव के साथ बैठक कर प्रखंड क्वारंटाइन केन्द्रों से संबंधित दिशा-निर्देश दे रहे थे, तो वहीं दूसरी तरफ बांका ज़िले के कई प्रखंड क्वारंटाइन केन्द्रों पर वहां तनहाई में डाले गए लोग अपनी परेशानियों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।

मुख्यमंत्री आदेश दे रहे थे कि प्रखंड क्वारंटाइन केन्द्रों में रह रहे लोगों की संख्या के अनुपात में किचेन की संख्या बढ़ायें, लेकिन दूसरी तरफ घटिया भोजन की शिकायत करने पर बांका जिला के शंभूगंज थानान्तर्गत द्वारिका अमृत अशर्फी उच्च विद्यालय के क्वारंटाइन केन्द्र पर पुलिस मजदूरों पर लाठियां बरसा रही थी।

एक तरफ़ मुख्यमंत्री पानी, बिजली एवं साफ-सफाई की पर्याप्त व्यवस्था का आदेश जारी कर रहे थे दूसरी तरफ बांका ज़िले के ही रजौन, बेलहर व बौंसी प्रखंड के कई केन्द्रों पर पीने के पानी व शौचालय की दिक्कत को लेकर लोग विरोध जता रहे थे।

प्रवासी मजदूरों की घर वापसी को लेकर बिहार सरकार का काफी ढुलमुल रवैया रहा है।

पहले तो नीतीश कुमार ने प्रवासी मजदूरों को बिहार की सीमा में प्रवेश पर ही रोक लगा दिया था, लेकिन दबाव बना, तब उन्होंने बिहार के मजदूरों को वापस लाने पर सहमति दी।

बिहार सरकार ने घोषणा किया कि वे सभी लोग जो बाहर से आएंगे, उन्हें 14 दिन तक क्वारंटाइन केन्द्रों में रखा जाएगा।

लेकिन हाकिम नहीं जानते थे कि आदेश जारी करना एक बात है और अमल दूसरी। इन्होंने घोषणा तो कर दी, लेकिन ग्रामीण स्तर पर विद्यालयों में बनाये गये क्वारंटाइन केन्द्रों में साफ़ पीने का पानी तक की व्यवस्था नहीं की।

इन केन्द्रों में अव्यवस्था चरम पर है। कहीं खाने में कीड़ा मिल रहा है, तो कहीं पीने का पानी नहीं है। कहीं शौचालय का इंतजाम नहीं है, तो कहीं बाथरूम नहीं।

जो मज़दूर किसी तरह अपने राज्य पहुंचे हैं, वे यहाँ की बदतर हालत देखकर काफी व्यथित हैं और इन केन्द्रों पर भारी अनियमितता के ख़िलाफ़ आवाज उठाना शुरू कर दिया है।

9 मई को ऑल इंडिया रेडिओ के एक ट्वीट के अनुसार, अब तक 70 स्पेशल ट्रेनों से 82 हजार 554 लोग दूसरे राज्यों से बिहार वापस आ चुके हैं, जिसमें मजदूर, छात्र और अन्य तबके के लोग शामिल हैं।

बांका केंद्र पर लाठीचार्ज

शंभूगंज प्रखंड के द्वारिका अमृत अशर्फी उच्च विद्यालय स्थित क्वारंटाइन केन्द्र में 88 मजदूरों को रखा गया है। मजदूरों का कहना है कि भोजन में घटिया चावल व दाल के नाम पर सिर्फ पानी ही दिया जा रहा था।

“भोजन में लगातार कीड़ा भी निकल रहा था। जिस कारण हमलोगों ने इसका विरोध किया। पुलिस ने हमलोगों पर लाठीचार्ज कर दिया, जिससे शंभूगंज प्रखंड के पकड़िया गांव के रहने वाले एक मजदूर का हाथ टूट गया और कई मजदूरों को चोट आई है।”

मज़दूर को भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया।

कथित तौर पर पुलिस ने इस मजदूर से कहा कि ‘दीवार से गिरने से चोट लगना बताना,’ लेकिन मज़दूर ने अस्पताल में पुलिस द्वारा पिटाई से हाथ टूटने की बात कही।

पोल तब खुली जब प्रशासन की ओर से अलग अलग बयान दिए गए। नोडल जिला उपनिर्वाची पदाधिकारी सुरेश प्रसाद व थाना प्रभारी उमेश प्रसाद ने लाठीचार्ज का खंडन किया।

तो शंभूगंज सीओ परमजीत सिरमौर ने कहा कि ‘उक्त व्यक्ति कर्नाटक से आया है, उसे क्वारंटाइन किया गया है। वह घर भाग रहा था, बारिश की वजह से फिसलने से उसका हाथ टूट गया है।’

पीने का साफ़ पानी तक नहीं

बौंसी के अद्वैत मिशन हाई स्कूल, शिव धाम स्थित क्वारंटाइन केन्द्र में 128 लोगों को रखा गया है। उनलोगों को 7 मई की रात में खाना ही नहीं दिया गया। पीने का स्वच्छ पानी भी नहीं दिया जा रहा था।

इससे परेशान लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया। बाद में उच्च पदाधिकारियों ने आकर आश्वासन दिया तब मामला शांत हुआ।

रजौन प्रखंड के शिव सुभद्रा पब्लिक स्कूल स्थित क्वारंटाइन केन्द्र में 133 व्यक्ति व उच्च विद्यालय, धौनी में 64 व्यक्तियों को रखा गया है।

यहाँ भी खाना-पीना व शौचालय-स्नानागार में व्याप्त अनियमितता को लेकर क्वारंटाइन में रह रहे लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया है।

बेलहर प्रखंड के जिलेबिया मोड़ क्वारंटाइन केन्द्र पर भी विरोध-प्रदर्शन हुआ। यहाँ क्वारंटाइन में रह रहे लोगों का कहना था कि ‘भेड़-बकरी की तरह हमलोगों को रखा जा रहा है।’

एक मज़दूर ने बताया कहा, “यहाँ फिजिकल डिस्टेन्सिंग का भी पालन अधिकारियों के द्वारा नहीं किया जा रहा है। सभी को एक ही जगह बैठाकर खाना खिलाया जाता है।”

भाकपा (माले) लिबरेशन के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने ट्वीट कर इसे  ‘बेहद दुखद व शर्मनाक बताया है।’ और लिखा है कि ‘शासन के नाम पर अब सिर्फ क्रूरता रह गई है।’

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