आदेश आते ही तेलंगाना से हज़ारों मज़दूर पैदल ही चल पड़े मध्यप्रदेश

workers on cycle

बुधवार को जैसे ही गृह मंत्रालय का आदेश आया। हज़ारों मज़दूर अपने घरों के लिए पैदल ही चल पड़े।

ये प्रवासी मज़दूर मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के हैं। ये तेलंगाना के मांचेरियल ज़िले से पैदल ही चल पड़े हैं। इनमें से कुछ का कहना है कि उन्हें खाना तो मिल जा रहा है लेकिन उन्हें घर पहुंचाने की ज़रूरत है।

मज़दूर वर्ग की ओर से उठी आवाज़ और काफ़ी दबाव के बाद गृह मंत्रालय ने उन्हें वापस लौटने की इजाज़त दे दी।

ख़बर है कि राजस्थान से 40 हज़ार मज़दूर अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं और राजस्थान सरकार ने कुछ बसों का इंतज़ाम किया है।

लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा है कि प्रवासी मज़दूरों को उनके घरों तक पहुंचाने की बहुत पुरानी मांग को सरकार ने अंततः मान लिया। लेकिन जबतक सरकार स्पेशल ट्रेनें नहीं चलाएगी, मज़दूरों का घर पहुंच पाना आसान नहीं है। ये सिर्फ बसों से संभव नहीं है।

बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री से नीतीश कुमार से पूछा है कि अब जब केंद्र ने भी हरी झंडी दे दी है, क्या वे बिहारी मज़दूरों को वापस बुलाएंगे?

हालांकि बिहार सरकार ने इस संबंध में एक नोटिस जारी करते हुए मज़दूरों को वापस लाने की अपनी योजना को सामने रखा है।

उधर नए आदेश के मद्देनज़र महाराष्ट्र सरकार ने प्रवासी मज़दूरों को घर जाने की इजाज़त संबंधी आदेश जारी कर दिए हैं।

इस मामले में कड़ा रुख अपनाने वाले यूपी ने 25-26 अप्रैल को 12,200 प्रवासी मज़दूरों के वापस बुलाया। अब यूपी अपने 10 लाख मज़दूरों को अगले दो हफ़्ते में वापस बुलाने के लिए कमर कस रही है।

इसी तरह महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, पंजाब, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, बिहार, गुजरात, मध्यप्रदेश और उत्तराखंड समेत अन्य राज्य भी अपने मज़दूरों को वापस बुलाने की पुख़्ता योजना बना रहे हैं।

लेकिन जबतक केंद्र सरकार स्पेशल ट्रेनें नहीं चलाती है तबतक प्रवासी मज़दूरों की वापसी आसान नहीं होने वाली है।

लाखों मज़दूर के इस तपती गर्मी में पैदल चल कर डिहाइड्रेशन के शिकार होने और जान जोख़िम में डालने का ख़तरा है।

ट्रेड यूनियनों ने मांग की है कि मोदी सरकार को तुरंत स्पेशल बसें और ट्रेनें चलानी चाहिए, जबकि लाखों बसें और हज़ारों ट्रेनें अपने डिपो में खड़ी खडी धूल खा रही हैं।

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