अब फौजी भी रखे जाएंगे ठेके पर, 4 साल में हो जाएगी छुट्टी, अग्निपथ नहीं नौजवानों को अंगारों पर धकेलने की योजना

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आखिरकार मोदी सरकार ने भारत की फौज पर भी हाथ लगा दिया है। अग्निपथ नाम से एक योजना की शुरुआत की गई है जिसमें चार साल के लिए ठेके पर फौजियों को रखा जाएगा।

देश की रक्षा व्यवस्था को और बेहतर बनाने का हवाला देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को अग्निपथ योजना की घोषणा की।

घोषणा के साथ ही इस योजना की सोशल मीडिया पर आलोचना शुरू हो गई और लोग इसे नौजवानों को अंगारों पर धकेलने की योजना बताने लगे हैं।

इस योजना के तहत सेना में चार साल के लिए कांट्रैक्ट पर भर्ती होगी जिसमें साढ़े 17 से 21 साल की उम्र के बीच के नौजवानों को मौका दिया जाएगा, चार साल बाद इनमें से दो तिहाई को घर भेज दिया जाएगा।

चार साल के सेवाकाल के बाद मूल्यांकन के आधार पर 25 फीसदी यानि सिर्फ एक-चौथाई युवाओं को रखा जाएगा और बाकी सभी को रिटायर कर दिया जाएगा।

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BBC की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल लगभग 45,000 भर्तियां होंगी जिसमें महिलायें भी शामिल हो सकेंगी।

चयनित युवाओं को छः महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी और उन्हें अग्निवीर कहा जाएगा।

क्या मिलेगा?

पहले साल कुल वेतन 30,000 रुपए होंगे जिसमें इन-हैंड सैलरी 21,000 रुपए होगी। चौथे साल में वेतन 40,000 रुपए होंगे।

रिटायर होने पर सेवा निधि पैकेज के तहत लगभग 12 लाख रुपए की ग्रैच्युटी मिलेगी।

Agnipath salary structure

तीन महीने के अंदर भर्ती शुरू

सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे का कहना है कि अगले तीन महीनों के अंदर अग्निपथ योजना के तहत भर्ती शुरू हो जाएगी।

राजनाथ सिंह ने प्रेस वार्ता में कहा कि चूंकि देश की ज्यादातर आबादी युवा है, सरकार सेना में भी वैसा ही अनुपात लाने की कोशिश कर रही है।

लेकिन सिंह ने ये नहीं बताया कि फौज में परमानेंट वैकेंसी की जगह इनकी भर्ती हो रही है या ये अलग कुछ है।

उन्होंने कहा युवाओं को सेवाकाल के दौरान मिलने वाले प्रशिक्षण युवाओं को सेना से निकालने के बाद भी अच्छी नौकरियां दिलाने में मददगार होगा।

कुछ आलोचकों का कहना है कि ये देश में प्राईवेट सिक्युरिटी एजेंसियों के लिए ये योजना लाई जा रही है। दिलचस्प बात ये है कि सरकार ट्रेनिंग का खर्च उठाएगी और इसका फायदा ये निजी कंपनियां उठाएंगी।

4 साल के बाद क्या?

कई लोग इस योजना को लेकर काफी चिंता जता रहे हैं कि इस बेरोजगारी के आलम में युवा चार साल बाद सेना से निकल कर कहां जाएंगे?

अधिकतम 25 साल की उम्र में 75 फीसदी युवा रिटायर कर दिए जाएंगे। भर्ती के चार साल बाद वे फिर से नौकरी खोजने पर मजबूर होंगे।

विशेषज्ञों का कहना है कि रेगुलर सैनिक की जगह छोटी अवधि के लिए सैनिकों की भर्ती करने पर सेना की क्षमता पर असर पड़ सकता है।

Centre for Policy Research के सीनियर फ़ेलो सुशांत सिंह का कहना है कि बढ़ती बेरोजगारी और हिंसा के इस माहौल में उन्हें डर है कि कहीं हथियार चलाने की ट्रेनिंग लेने वाले युवाओं का मिलिशिया ना तैयार हो जाए।

सेना में अस्थाई नौकरी का प्रावधान देखकर प्राइवेटाइजेशन के कयास लगाए जा रहे हैं।

डेढ़ साल में 10 लाख नौकरियों का वादा

हर साल सेना से 60,000 लोग रिटायर होते हैं। मोदी सरकार ने डेढ़ साल में 10 लाख नौकरियां देने का ऐलान किया है।

ज्ञात हो कि 2014 में सत्ता में आने से पहले मोदी ने हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था, जिसका अब वे नाम लेना भी गवारा नहीं समझते।

कोरोना महामारी के पहले मई 2019 में श्रम मंत्रालय ने बताया था कि बेरोजगारी पिछले 45 साल के रिकार्ड तोड़ स्तर पर पहुँच गई थी।

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One Comment on “अब फौजी भी रखे जाएंगे ठेके पर, 4 साल में हो जाएगी छुट्टी, अग्निपथ नहीं नौजवानों को अंगारों पर धकेलने की योजना”

  1. Confederation of Central Government Gazetted Officer’s Organisations (CCGGOO) welcomes the tweet of Prime Minister instructing recruitment of 10 lakh people by the government in the next 1.5 years.

    CCGGOO is requesting from several years PMO, all the departments and ministries to fill up 8.87 lakhs vacancies lying vacant as of March 2020. Due to massive retirements and non filling up of posts by promotion/ LDCE and direct recruitment, the number of vacant posts further increased resulting in heavy work load on officers and employees are working under heavy stress.

    On the pretext of ‘matching saving’ and ‘financial neutrality’ several posts were surrendered but Cadre reviews have not yet taken place and most of the employees are retiring without promotions.

    Most of the employment notifications calling for applications to fill up even few posts were cancelled later on the pretext of ‘ban on recruitment’, ‘down sizing human resources’ or instructions from PMO that those vacancies can be filled on contractual basis only.

    For example, in DRDO after completing the entire process of selection to the Scientist ‘B’ posts, entire process was cancelled at the stage of issue of appointment orders on the pretext of ‘ban on recruitment’. For the posts of Multi Tasking Staff (MTS) lakhs of youth have applied and finally on the instructions of PMO that there should not be regular appointments, entire process was cancelled thus playing with the lives of unemployed youth.

    Railway Board have instructed arbitrarily to surrender 50% vacant posts. For Civil Services exam, 10 lakh youth had registered in 2021. But UPSC has recommended only 685 for All India Services (AIS), lowest since 2012.

    The announcement of recruitment of 10 lakh personnel within the next 18 months should not be another ‘Jumla’. The recruitment should not be on contractual basis.

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