भरूच केमिकल फ़ैक्ट्री धमाके की दहला देने वाली तस्वीरें, 10 मज़दूर मरे, 50 से ज़्यादा झुलसे, अधिकांश प्रवासी मज़दूर

bharuch chemical factory blast

गुजरात के भरूच में दाहेज के विशेष औद्योगिक क्षेत्र में स्थित एक केमिकल फ़ैक्ट्री में हुए भीषण धमाके में मरने वालों की संख्या 10 पहुंच गई है जबकि 50 से अधिक घायल हैं।

बरोडा के एक अस्पताल में 30 से 35 घायल वर्करों को भर्ती किया गया है जबकि एक अन्य ऑर्किड अस्पताल में पांच मज़दूरों को भर्ती कराया गया है।

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, ये विस्फ़ोट फ़ैक्ट्री के स्टोरेज टैंक में हुआ, जिसका मालिकाना पटेल ग्रुप के पास है। आग इतनी ज़बरदस्त थी कि पांच घंटे तक राहत और बचावकर्मी अंदर नहीं जा पाए।

गुजरात वर्किंग क्लास यूनियन के जनरल सेक्रेटरी निलेश परमार ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि कई वर्कर बुरी तरह झुलस गए हैं और कई की स्थिति गंभीर बनी हुई है।

ग़ौरतलब है कि तीन जून की सुबह यशस्वी रासायन प्राइवेट लिमिटेड के प्लांट में विस्फ़ोट हो गया था। विस्फ़ोट इतना ज़बरदस्त था कि इसकी धमक 20 किलोमीटर दूर तक सुनाई दी और आस पास के अन्य कंपनियों के दीवारों में भी दरार आ गई।

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जिलाधिकारी एमडी मोडिया ने कहा कि प्रभावित फैक्ट्री के पास स्थित लाखी और लुवारा गांव के लोगों को एहतियात के तौर पर बाहर निकाला गया।

जिस फैक्ट्री में विस्फोट हुआ है, उसके पास ज़हरीले केमिकल बनाने वाले अन्य प्लांट भी स्थित हैं।

स्थानीय मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार जिस समय विस्फ़ोट हुआ उस कंपनी में न तो कोई एंबुलेंस थी और ना ही सुरक्षा के अन्य कोई उपाय।

राज्य के औद्योगिक सुरक्षा और स्वास्थ्य विभाग ने यशस्वी रासायन प्राइवेट लि. को बंद किए जाने का नोटिस जारी किया है और कहा कि दाहेज में सभी फ़ैक्ट्रियों का सुरक्षा ऑडिट किया जाएगा।

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आग से झुलसे एक मज़दूर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जो बदहवास होकर कंपनी से बाहर सड़क पर निकल आया है लेकिन सुरक्षा गार्ड उसकी कोई मदद नहीं कर रहे हैं।

वो मज़दूर लगातार मदद की गुहार लगा रहा है लेकिन न तो उसके लिए कोई स्ट्रेचर, न फ़र्स्ट एड और ना ही एंबुलेंस का इंतज़ाम दिखता है।

निलेश परमार कहते हैं कि जिस समय विस्फ़ोट हुआ उस पाली में कुल 200 वर्कर काम कर रहे थे जिनमें अधिकांश यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल के प्रवासी मज़दूर हैं।

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उन्होंने बताया कि कुछ मज़दूरों को प्राथमिक उपचार के  बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया जबकि उनका जख़्म भरा नहीं था। इसे लेकर मज़दूरों में आक्रोश है।

उल्लेखनीय है कि कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन से परेशान प्रवासी मज़दूर बड़ी संख्या में अपने घर लौट गए हैं और अभी भी उनकी वापसी जारी है।

लेकिन दो महीने के लॉकडाउन के चौथे चरण में आते आते केंद्र और राज्य सरकारों ने कंपनियों को उत्पादन की इजाज़त दे दी।

जो वर्कर घर नहीं जा सके, वो अभी भी कंपनियों में काम करने पर मज़बूर हैं, जबकि राज्य सरकारों ने उनके लौटने का कोई पुख़्ता इंतज़ाम अभी तक नहीं किया है।

इस बात को लेकर वर्करों में काफ़ी आक्रोश है। जो थोड़ी बहुत श्रमिक ट्रेनें चलीं भी तो सूरत में प्रवासी मज़दूरों के लगातार कई दिनों तक विरोध प्रदर्शन के कारण।

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