उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में कोरोना से ऐसे जंग लड़ रही भाजपा सरकारें, क्वारंटीन सेंटर में दो की मौत, बिना सैंपल सात की रिपोर्ट पॉजिटिव

केंद्र की मोदी सरकार और राज्य भाजपा सरकारें कोरोना महामारी के नाम पर लोगों की जान की परवाह नहीं कर रहीं। उत्तरप्रदेश में जहां सात ऐसे लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव दे दी जिनका सैंपल तक नहीं लिया गया। वहीं, उत्तराखंड में एक महिला और एक बच्ची की क्वारंटीन सेंटर में संदिग्ध हालात में मौत हो गई।

सडक़ पर पैदल चलते, दुर्घटनाओं और ट्रेन में मौतों के साथ ही क्वारंटीन सेंटरों में भी मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। अब उत्तराखंड में दो घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें दो की मौत हो गई। पहली घटना उत्तराखंड के बेतालघाट के तल्लीसेठी प्राथमिक विद्यालय की है, जहां सांप के डसने से बच्ची की मौत हो गई।

बताया जा रहा है कि दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करने वाले महेन्द्र सिंह पत्नी पुष्पा देवी, बेटी व बेटे, भाई प्रेम सिंह, खीम सिंह और अपनी मां के साथ हाल ही में गांव पहुंचे थे। वहां उन्हें 14 दिन को क्वांरटीन किया गया।

महेन्द्र सिंह का लीवर का आपरेशन होने के चलते घर पर ही क्वांरटीन किया गया और उनके भाई खीम सिंह देखभाल के घर पर रुके। बाकी लोग क्वांरटीन सेंटर में सो रहे थे कि अचानक सांप ने महेंद्र सिंह की पांच वर्षीय बच्ची अंजलि को डस लिया।

सांप के काटने शोर मचाया लेकिन आसपास के लोगों ने मदद भी नहीं की। बमुश्किल सुबह दस बजे 108 एंबुलेंस से संपर्क हुआ, तब बच्ची को बेतालघाट स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।

दूसरी घटना उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के जिले की तहसील मुनस्यारी के गांव में हुई। सोमवार को खोयम गांव के प्रधान राजेन्द्र सिंह ने सूचना दी कि 22 मई को हल्द्वानी से अपने दो बच्चों (उम्र लगभग 21 वर्ष व 19 वर्ष ) के साथ शांति देवी उम्र 52 वर्ष अपने गांव पहुंची थीं, जिनको ग्राम जेरथी के प्राथमिक विद्यालय में कोरंटीन किया गया था। सोमवार को शांति देवी की मौत हो गई। महिला टीबी की मरीज बताई जा रही है।

hospitals in india

इधर, उत्तरप्रदेश के भदोही के सरपतहां गांव में कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत के बाद उसकी अंत्येष्टि में शामिल सभी नौ लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव बता दी गई। जबकि अंत्येष्टि में शामिल लोगों और परिजनों का सैंपल ही नहीं लिया गया था।

सरपतहां गांव निवासी व्यक्ति की 17 मई की रात मुंबई से घर आते समय मिर्जापुर में संदिग्धावस्था में मौत हो गई थी। शिकायत पर पुलिस ने शव को रोका और कोरोना सैंपल लेने के बाद अंतिम संस्कार के लिए जाने दिया।

21 मई को मृतक की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद प्रशासन ने गांव को हॉटस्पाट घोषित कर दिया। लेकिन न तो परिजनों का और न ही अंतिम संस्कार में शामिल लोगों का सैंपल लिया गया।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं।)