वर्कर्स यूनिटी के लाईव शो में शामिल होने पर मारुति के पूर्व मज़दूर नेता को पुलिस ने तलब किया

khushiram ex maruti worker and worker leader

वर्कर्स यूनिटी के फ़ेसबुक लाईव में शामिल होने पर मारुति पूर्व नेता और मज़दूर अधिकार कार्यकर्ता खुशीराम को हरियाणा की पुलिस ने तलब किया है।

हरियाणा के औद्योगिक बेल्ट आईएमटी मानेसर में आठ अप्रैल को अलीहर गांव में स्थानीय दबंगों ने मज़दूरों की पिटाई की थी और उसी की रिपोर्टिंग के दौरान खुशीराम ने इस घटना के लिए प्रशासन और कंपनी प्रबंधन को ज़िम्मेदार ठहराया था।

इस मामले में मानेसर पुलिस ने आठ दबंगों को गिरफ़्तार किया था और पीड़ित मज़दूरों का बयान भी लिया था।

खुशीराम के अनुसार, 14 अप्रैल को मानेसर थाने के एसएसओ का उनके पास फ़ोन आया।

उनका कहना है कि मानेसर के आसपास के गांव के किसी सरपंच ने उनके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज की है, इसलिए 15 अप्रैल को थाने में हाज़िर होने को कहा गया है।

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खुशीराम ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि पुलिस ने उन्हें फ़ोन पर धमकाने की कोशिश की।

खुशीराम ने बताया, “मेरे पूछने पर पता चला है कि अलीहर गांव के कुछ दबंगों द्वारा पिछली 8 अप्रैल को मारुति मजदूरों के ऊपर जानलेवा हमले के ख़िलाफ़ मीडिया में मैंने अपनी राय दी थी जिसके कारण मेरे ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू की जा रही है।”

गौरतलब है कि 8 अप्रैल को अलीहर गांव के 25-30 दबंगों ने डंडा, रॉड, हॉकी स्टिक लेकर बीजीआर बिल्डिंग में घुस गए और एक एक कमरे में मज़दूरों की बेरहमी से पिटाई की।

इस हमले में मारुति में स्टूडेंट ट्रेनिंग कर रहे एक मज़दूर कृष्णा कुमार का सिर फट गया था और उन्हें रॉकलैंड हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।

ज्यादा चोट होने के कारण उन्हें गुड़गांव के पारस हॉस्पिटल में रेफर कर दिया गया। जिन मज़दूरों पर हमला किया गया वे सभी बिहार के रहने वाले हैं।

खुशीराम का कहना है कि ‘बिहार के रहनेवाले मारुति मजदूरों को अलग से चिन्हित करके उनपर जानलेवा हमला किया गया। ‘ये लोग बीमारी फैला रहे हैं’- ऐसा झूठा प्रचार करके ये हमला किया गया था।’

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खुशीराम के अनुसार, ‘जानलेवा हमला होने के बाद भी मारुति मैनेजमेंट और गांव के जिम्मेदार लोगों ने इस घटना की निंदा नहीं की और घायल मज़दूर कृष्णा और उनके अन्य साथियों का साथ नहीं दिया।’

खुशीराम बताते हैं, “आज मानेसर एसएसओ के फोन से यह समझ में आ रहा है कि मारुति मजदूरों की एकता तोड़ने के लिए मारुति प्रबंधन आज भी कितना सक्रिय है। यह भी पता चल रहा है कि सत्ताधारी पार्टी पुलिस को इस्तेमाल करके लॉकडाउन के अंदर भी राजनीति कर रही है।”

मज़दूरों की पिटाई के बाद अलीहर गांव में प्रवासी मज़दूरों और स्थानीय दबंगों के बीच तनाव फैल गया था और पुलिस की सक्रियता से मामला सुलझा।

हालांकि खुशीराम का कहना है जानलेवा हमला करने वालों पर धारा 307 का केस दर्ज किया जाना चाहिए लेकिन पुलिस ने 148, 149, 323, 652, 506 जैसी मामूली धाराओं में केस दर्ज किया।

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