वैलस्पन पोली बटन कंपनी ने 25-30 सालों से काम कर रहे 150 मज़दूरों को निकाला

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By ओमप्रकाश कारेल

वैलस्पन पोलि बटन कंपनी की अचानक तालाबंदी के बाद दशकों से काम कर रहे 150 मज़दूर सड़क पर आ गए हैं।

मज़दूरों का आरोप है कि कंपनी ने तालाबंदी के पहले कोई नोटिस जारी नहीं किया और ना ही कोई क़ानूनी प्रक्रिया का अनुपालन किया।

वर्करों ने गुड़गांव के उप श्रम आयुक्त को ज्ञापन सौंपा जिसमें बताया गया है कि ये सभी मज़दूर करीब 25 से 30 वर्षों तक कंपनी में कार्यरत थे।

लाॅकडाउन में कंपनी बंद होने के बाद इन मज़दूरों को नोटिस जारी किए बिना गैर कानूनी तरीके से कंपनी से बाहर निकाल दिया गया है।

श्रमिकों ने बताया लाॅकडाउन में हमें सैलरी भी नहीं दी गई है। अब कंपनी ने बिना कारण नोटिस दिए बगैर बाहर निकाल दिया।

करीब 150 वर्कर गुड़गांव लेबर कोर्ट में पहुंच कर कंपनी मालिक के ख़िलाफ़ एक शिकायत पत्र श्रम आयुक्त को सौंपा है।

मज़दूरों ने बताया, “कंपनी ने हमें आज तक सैलरी स्लिप,लिव कार्ड, हाज़िर कार्ड तक नहीं बनाकर दिए। कंपनी लम्बे समय तक शोषण करती आ रही है।”

कुछ मज़दूरों का सामना भी कंपनी के अंदर है। मज़दूरों का आरोप है कि ये सामान लाने के लिए भी कंपनी उन्हें अंदर नहीं जाने दे रही है।

ज्ञापन देने वालों में नाथुराम, रामकरण, भेराराम,बाबुलाल, राजेंद्र सिंह, दलबीर,जसुराम, सत्यवीर, रघुवीर, सुरेश, ओमप्रकाश, राजन, रामेश्वर, अनिल शर्मा, महेंद्र, आदि मौजूद थे।

मज़दूरों के इस प्रोटेस्ट को अखिल भारतीय ट्रेंड यूनियन कांग्रेस ने अपना समर्थन दिया और लेबर ऑफ़िस में उप श्रमायुक्त से वार्ता की।

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