दिल्ली के 16 लाख बच्चों के मिड डे मील पर बुरे फंसे केजरीवाल, 3 हफ़्ते में देने का आदेश

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By मुनीष कुमार

मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार को फटकार लगाते हुए स्कूली बच्चों को मिड-डे-मील योजना के तहत तय भुगतान की धनराशि को तीन सप्ताह के अंदर बांटने का फैसला सुनाया है।

यही नहीं अदालत ने दिल्ली सरकार से इस बारे में एक शपथ पत्र भी दाखिल करने को कहा है।

असल में दिल्ली हाईकोर्ट ने ये निर्देश महिला एकता मंच और सोसायटी फॉर एनवायरनमेंट एंड रेगुलेशन की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए दिए।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में कक्षा एक से आठ तक पढ़ने वाले सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों के लगभग 16 लाख बच्चों को बीते तीन महीने से मिड-डे-मील योजना के अंतर्गत राशन और भोजन पकाने की धनराशि नहीं दी गई है।

केजरीवाल सरकार की ओर पेश हुए वकील ने कोर्ट से कहा कि मिड-डे-मील योजना के अंतर्गत बच्चों को 69 करोड़ रुपये का भुगतान करना है लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक पैसा जारी नहीं किया है, जिस कारण बच्चों को इस राशि का भुगतान नहीं किया जा सका है।

एक बच्चे को 25 पैसे देगी केजरीवाल सरकार

लेकिन केंद्र सरकार के वकील ने इस दावे को काटते हुए कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ने 27 करोड़ रुपये दिल्ली सरकार को मिड-डे-मील योजना के तहत जारी कर दिए हैं तथा राशन की सप्लाई भी की जा चुकी है।

हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए इस अनियमितता पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा।

इसके बाद केजरीवाल सरकार ने एक हलफ़नामा देकर कहा गया कि वो लॉकडाउन व गर्मियों की छुट्टियों का अप्रैल, मई व जून का मिलाकर कुल 69 दिन के मिड-डे-मील की राशि का भुगतान करेगी।

हालांकि इन तीन माह में कुल दिनों की संख्या मिलाकर 91 दिन है।

केजरीवाल सरकार ने ये भी बताया कि वह बच्चों को चावल देने के बदले उन्हें बाजार से खरीदने के लिए नकद राशि देगी। इसके तहत वह बच्चों को 100 ग्राम चावल के लिए एक दिन का 25 पैसे की दर से भुगतान किया जायेगा।

इस समय चावल की दर खुले बाजार में लगभग तीस रुपया प्रति किलोग्राम है और बच्चा यदि सौ ग्राम चावल बाजार में लेने जायेगा तो उसे कुल तीन रुपये चुकाने होंगे।

केंद्र से मिला चावल कहां गया?

दिल्ली सरकार को केन्द्र से 16 लाख बच्चों को तीन महीने के लिए 1.34 लाख कुंतल चावल प्राप्त होना है, जिसका बाजार मूल्य लगभग 40 करोड़ रुपये है।

महिला एकता मंच ने बयान जारी कर कहा है कि केजरीवाल सरकार ने जो कोर्ट को बताया उसके अनुसार, वह 16 लाख बच्चों को 40 करोड़ रुपये मूल्य के चावल का वितरण करने की जगह सिर्फ क़रीब 3.30 करोड़ रुपये की धनराशि का ही भुगतान करेगी।

मंच का आरोप है कि केंद्र से मिड-डे-मील योजना के अंतर्गत प्राप्त चावल के मामले में केजरीवाल सरकार की अनियमितताएँ खुलकर सामने आ गयी हैं।

मंच ने पूछा है कि बच्चों के लिए केंद्र से मिड-डे-मील के लिए प्राप्त हुआ चावल कहाँ चला गया केजरीवाल सरकार बच्चों को चावल देने की जगह नकद धनराशि के रूप में इतना कम पैसा क्यों दे रही है, इस बात का जवाब केजरीवाल सरकार को देना चाहिए।

मोदी सरकार ने नहीं दी पूरी राशि

नियमानुसार केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में मिड-डे-मील योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार को कुल 90 प्रतिशत धनराशि यानी कि लगभग 62 करोड़ रुपये का भुगतान करना है परंतु उसने मात्र 27 करोड़ रुपए ही दिल्ली सरकार को दिये हैं।

30 जून को लॉकडाउन के बाद गर्मियों की छुट्टियां समाप्त हो रही हैं परन्तु दिल्ली के 16 लाख बच्चों को न तो अभी तक अनाज का एक भी दाना मिला है और न ही कोई फूटी कौड़ी उनके बैंक खाते में ट्रांसफर की गई है।

न्यायालय में इस जनहित याचिका की पैरवी दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता कमलेश कुमार द्वारा की जा रही है।

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