माइक्रोमैक्स के मजदूरों की जीत: कंपनी को 15 करोड़ के वेतन भुगतान का नोटिस जारी, अमल नहीं करने पर होगा एक्शन

उत्तराखंड के सिडकुल पंतनगर स्थित माइक्रोमैक्स मोबाइल बनाने वाली कंपनी भगवती प्रोडक्ट्स ने 2018 में प्लांट को बंद कर गैरकानूनी तरीके से छटनी करते हुए 303 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था।

साढ़े तीन साल से संघर्ष कर रहे मजदूरों को आखिरकार बड़ी जीत मिली है।

लेबर डिपार्टमेंट ने मज़दूरों का 2018 से अब तक का वेतन भुगतान करने के लिए कंपनी को लगभग 15.5 करोड़ रुपए की वसूली का नोटिस भेजा है।

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रविवार को सहायक श्रमायुक्त अरविंद सैनी (Assistant Labor Commissioner Arvind Saini) ने कहा है कि अगर कंपनी मज़दूरों  भुगतान नहीं करती है, तो विभाग 24 जून को एक्शन लेगा।

सिडकुल पंतनगर में मोबाइल, एलईडी और टैबलेट बनाने वाली भगवती कंपनी ने साल 2018 में 303 मज़दूरों की छंटनी के साथ ही 47 मज़दूरों को ले-ऑफ कर दिया था और एक मज़दूर को सस्पेंड किया था। जिसके बाद भगवती श्रमिक संगठन के सदस्यों ने ढाई साल तक आंदोलन चलाया था।

उसके बाद औधोगिक न्यायाधिकरण ने छंटनी को गैर-कानूनी करार देते हुए सभी हित, लाभ देने के आदेश दिए थे। इस फैसले को हाईकोर्ट ने भी सही ठहराया है।

भगवती श्रमिक संगठन के अध्यक्ष सूरज सिंह बिष्ट ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा है।

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कोर्ट का फैसला आने के बाद लेबर डिपार्टमेंट ने मज़दूरों को छंटनी से लेकर अब तक का वेतन दिलाने की कार्रवाई शुरू कर दी है। इस बाबत कंपनी को नोटिस दिया गया है।

संगठन के नेताओं की मांग है कि हमारे 303 साथियों की पुनः नियुक्ति की जाए। साथ ही सभी मज़दूरों का संपूर्ण बकाया वेतन दिया जाये।

कंपनी 47 मज़दूरों का अवैध ले-ऑफ वापस ले और सस्पेन्ड किये गए मज़दूर को मिला कर कुल 351 मज़दूरों की कार्य बहाली की जाए।

गौतलब है की सिडकुल पंतनगर में कई ऐसे मज़दूर हैं जो अपने हक़ के लड़ाई पिछले कई सालों लड़ रहे हैं।

सिडकुल में इंटरार्क कंपनी में अवैध लॉकआउट के ख़िलाफ़ 500 मज़दूर लगातार धरने पर बैठे है।

31 मई को हाई कोर्ट ने सिडकुल पंतनगर और किच्छा में इंटरार्क कंपनी प्रबंधन द्वारा की गई तालाबंदी को गैरकानूनी घोषित कर दिया था।

लकिन अभी तक कंपनी ने कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है।

साथ ही कंपनी को यह आदेश दिया है कि वह इंटरार्क के सभी मज़दूरों को सैलरी व अन्य लाभ का भुगतान किया जाए।

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