मुसाशी ऑटो पार्ट्स के मज़दूरों को मई की नहीं मिली सैलरी, रोकने के बावजूद नहीं दिया काम

By खुशबू सिंह

हरियाणा के बावल में स्थित मुसाशी ऑटो पार्ट्स में ठेके पर काम करने वाले कई मज़दूरों को मई माह का वेतन नहीं दिया गया है और मार्च, अप्रैल माह के वेतन में भी कंपनी ने कटौती की है।

मज़दूरों का कहना है कि कंपनी से वेतन न देने का कारण पूछा तो जवाब था, “आप लोगों को यहां अभी एक साल नहीं हुआ है।”

ठेके पर काम कर रहे मज़दूरों को कंपनी न तो काम पर बुला रही है न ही मई माह का वेतन दे रही है। मज़दूरों के भीरत डर बैठा हुआ है, यदि वे कही इस बात की शिकायत करते हैं तो उन्हें काम से निकाल दिया जाएगा।

इस कंपनी में लगभग 2500 मज़दूर कम करते हैं, और इस में से 70 प्रतिशत मज़दूर ठेके पर हैं।

मुसाशी ऑटो पार्ट्स में काम करने वाले एक मज़दूर ने नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर वर्कर्स यूनिटी को बताया, “कंपनी हमें मई माह का वेतन नहीं दे रही है। लॉकडाउन से लेकर अब तक हम लोग घर पर ही बैठै हुए हैं। कंपनी काम पर कुछ मज़दूरों को ही बुला रही है।”

पहले रोका गया, अब फ़ोन भी नहीं उठा रहे

उन्होंने आरोप लगाया, “हम पूरी तरह मज़बूर हो गए हैं। यूनियन भी कुछ करने की स्थिति में नहीं है और वे लोग हमारा साथ देने को तौयर नहीं हैं।”

मज़दूर ने कहा, “वैसै तो वेतन देने के नाम पर कंपनी हमे एक साल नहीं पूरा होने का हावला दे रही है। पर कंपनी का हमारे साथ कोई पक्का कॉन्ट्रैक्ट नहीं होता है। यदि हम उनके खिलाफ गए तो वे हमें काम से बेदखल कर देंगे।”

एक अन्य मज़दूर ने वर्कर्स यूनिटी को बताया, “लॉकडाउन के कारण मैं अपने घर जा रहा था। पर एक दिन अचानक कंपनी से फ़ोन आया कि, घर मत जाओं कंपनी चालू होने के बाद काम पर तुम लोगों को बुलाया जाएगा। अब उस नंबर पर हम फ़ोन करते हैं तो ग़लत नंबर बोलकर काट दिया जाता है।”

मज़दूर का कहना था कि, ‘कंपनी वेतन का भुगतान नहीं कर रही है। काम पर नहीं बुला रही है। दिन प्रतिदिन आर्थिक रूप से मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। क्या पता काम से निकाल दिया होगा।’

मुसाशी ऑटो पार्ट्स ने मज़दूरों को कोई आश्वाशन नहीं दिया है कि कब उन्हें काम पर बुलाया जाएगा और वेतन का भुगतान कब किया जाएगा।

जब सरकार ने ही हरी झंडी दी…

श्रम कानूनों के खत्म हो जाने से मज़दूर वर्ग लाचार हो गया है। इनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

गौरतलब है 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा करते समय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपील की थी कि, किसी भी कर्मचारी का वेतन कोई भी नियोक्ता न काटे। पर यहां पर तो कई कंपनियां लॉकडाउन के पहले का वेतन मज़दूरों को नहीं दे रही है।

हालांकि सरकार अब अपने ही किए हुए वादे से मुकर गई है। 4 जून को वेतन को लेकर सुनवाई के दौरान सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस वादे से पीछे हट गई।

सरकार का तर्क था कि, ‘जब लॉकडाउन शुरू हुआ था, तब कर्मचारियों के काम वाली जगह को छोड़कर अपने गृहराज्यों की ओर पलायन करने से रोकने की मंशा के तहत अधिसूचना जारी की गई थी। लेकिन अंततः ये मामला कर्मचारियों और कंपनी के बीच का है और सरकार इसमें दखल नहीं देगी।’

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